सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम के खिलाफ अधिवक्ताओं का प्रदर्शन सही नहीं

आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial

द्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के तबादले को लेकर हाईकोर्ट समेत विभिन्न न्यायालयों में हो रहे प्रदर्शन के पीछे राजनीतिक प्रोत्साहन का शक जाहिर करते हुए बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुदुचेरी की कार्यकारी चेयरपर्सन और पहली महिला सदस्य प्रिसिला पांडियन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम के फैसले पर ऐसे हल्के में सवाल नहीं उठाना चाहिए।

ऐसे मामलों में केवल सर्वाेच्च न्यायालय की कॉलेजियम ही हिस्सा ले सकती है जिस पर सवाल नहीं किया जाना चाहिए। यह नहीं कहा जा सकता कि हाईकोर्ट में केवल मुख्य ही फैसला नहीं सुनाता।

मेघालय हाईकोर्ट भी अन्य उच्च न्यायालयों की तरह है। ऐसे में एक जगह काम करना और दूसरे जगह काम करने से मना करना बेतुका सा लगता है। अब तबादले को लेकर विरोध प्रदर्शन उसमें भी प्रदर्शनकारियों का यह कहना कि यह मुख्य न्यायाधीश का अपमान है, यह बात गले के नीचे नहीं उतरती।

यह पहली बार नहीं हुआ कि किसी कोई जज अपने तबादले से खुश न हो लेकिन अब से पहले ऐसे किसी मामले में इस प्रकार का विरोध नहीं देखा गया। मुझे ऐसा लगता है कि इस मुद्दे को नाहक तूल दिया जा रहा है। इस मुद्दे में अधिवक्ता संघ का कूदना और भी निंदनीय है।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन और कोर्ट के कामकाज का बहिष्कार कर मुख्य न्यायाधीश के साथ समन्वय दिखाने का यह सही तरीका नहीं है।

इन अधिवक्ताआ संघों का गठन इनके कल्याण के लिए किया गया ऐसे में इनको अपने विषय पर ध्यान देना चाहिए दूसरे मुद्दों में टांग नहीं अड़ानी चाहिए।

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