रीतेश रंजन, आईआईएन/चेन्नई, @Royret
जिस प्रकार से जनवरी महिने में उत्तर भारत में मकर संक्रांती मनाई जाती है उसी प्रकार से पोंगल तमिलनाडु का बहुत प्रसिद्ध फसल उत्सव है। इस पर्व को हर साल जनवरी के महिने में मनाया जाता है।
पोंगल को तमिलवासियों के लिए नए साल की शुरूआत होता है। चार दिनों का पोंगल 14 से 17 जनवरी तक मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतग्यता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
लोगों का मानना है कि ऐसा कर उन्हें और उनके परिवार को धन, समृद्धि और शांति मिलती है। पोंगल का मतलब उबालना होता है। इस पर्व के दौरान तमिलवासी अपने घरों मेें नई चावल की फसल को पका कर खाते हैं। यह परम्परा तमिलनाडु में सदियों से चली आ रही है।
इस पर्व के दौरान घरों मेें मीठे पकवान बनाए जाते हैं और गायों को सजा कर उनकी पूजा की जाती है। यह पर्व तमिलनाडु के अलावा पुदुचेरी, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, सिंंगापूर आदि देशों में मनाया जाता है।
यह पर्व चार दिनों का होता है। पहला दिन 15 जनवरी को बोगी पोंगल मनाया जाता है यह तमिल महिने का आखिरी दिन होता है। इस लोग अपने पूराने और बेकार चिजों को जलाते हैं और अपने घरों को उत्सव के लिए सजाते हैं।
दूसरा दिन सूर्य पोंगल होता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। यहां के लोग विशेषकर के किसान इस दिन सूर्य भगवान को उनके कृपादिृष्टि बरसाने और बनाए रखने के लिए धन्यवाद देते हैं। यह दिन तमिल महिने का पहला दिन होता है। इस दिन बर्तनों को सजा कर उसमें विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।
सूर्य पोंगल के बाद माटु पोंगल होता है। यह दिन किसानों के पालतु जानवरों गाय, बैल आदि का होता है। इस दिन इन मवेशियों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है। खेती, दूध व अन्य कार्य में सहायक बनने के लिए इन जानवरों को इस धन्यवाद दिया जाता है। इस दिन तमिलनाडु के कई हिस्सों में राज्य के पारम्परिक खेल जलिकट्टु की शुरूआत होती है। इस खेल में सांढ पर लोग काबु करने की कोशिस करते हैं।
पोंगल त्योहार का अंतिम दिन कानूम पोंगल कहलाता है। इसदिन घर परिवार के लोग एकसाथ इक्_ा होते हैं और संबधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते हैं व आयोजन में हिस्सा लेते हैं। इस दिन लोग अपने परिवार के साथ बाहर घूमने निकलते हैं या फिर लोग एकदसूरे के घरों में जातेे हैं।
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