उपराष्ट्रपति ने युवाओं से हमारी संस्कृति को संरक्षित रखने का आह्वान किया
आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
उपराष्ट्रपति, एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि हमारे युवाओं को सामाजिक मामलों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे सहिष्णुता और सम्मान की परंपराओं का पालन करें तथा हमारी बहुलतावादी संस्कृति को संरक्षित रखें।
वे आज चण्डीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के 68वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति पंजाब विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। नायडू ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यलय का गौरवमयी इतिहास रहा है और यह भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय ऐसे स्थान पर स्थित है जिसने शताब्दियों पुरानी सभ्यता देखी है। यह क्षेत्र ज्ञान प्रसार के लिए समर्पित रहा है और यहां तक्षशिला जैसे अध्ययन केंद्र स्थित थे।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहा है। विश्वविद्यालय अपने 200 सम्बद्ध कॉलेजों, 3 क्षेत्रीय केंद्रों, 6 पंजीकृत कॉलेजों और एक ग्रामीण केंद्र के माध्यम से 15000 छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने पंजाब विश्वविद्यालय को पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों में 34वां स्थान प्राप्त करने के लिए बधाई दी। उन्होंने छात्रों में नावाचार और उद्यमिता की भावना विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि यूजीसी ने विश्वविद्यालय को स्टैम सेल शोध और औषधि विकास के लिए चयनित किया है। विश्वविद्यालय को ‘‘जैव चिकित्सा विज्ञान में उत्कृष्टता की क्षमता’’ वाले केन्द्र के रूप में चुना गया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संस्थान की स्थापना कोई आसान काम नहीं है, इसमें दूरदृष्टि, भावना, कौशल, प्रतिबद्धता और समर्पण की आवश्यकता होती है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यलय के सभी हितधारकों से आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें अपने अच्छे कार्य की गति को बनाए रखना चाहिए।
नायडू ने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य का भारत युवाओं के सपने और उनकी आकांक्षाओं तथा उनके चरित्र और कौशल से निर्मित होगा। यदि हम अपने युवाओं को सही कौशल और सोच से सक्षम बनाते हैं, तो देश जनसांख्यिक लाभांश का पूरा-पूरा लाभ उठा सकेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं शताब्दी के संदर्भ में हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने की जरूरत है। मानव कल्याण, पारितंत्र और पृथ्वी की चिंताओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम अपने पाठ्यक्रम, मूल्यांकन आदि में बदलाव करेंगे और विचार-विमर्श पर विशेष ध्यान देंगे।
नायडू ने कहा कि देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था के स्तर में सुधार हुआ है। हमें शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि हम अपने युवाओं को सर्वोत्तम शिक्षा व्यवस्था का विकल्प प्रदान कर सकें।
नायडू ने युवाओं से आग्रह किया कि वे संचार के विभिन्न साधनों का उपयोग जवाबदेही के साथ करें। संचार के इन साधनों का उपयोग सामाजिक सौहार्द बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए। इसके साथ ही इन साधनों के माध्यम से समाज के वंचित वर्ग की जरूरतों और सामाजिक व लैंगिक असमानता जैसे विषय पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन को सम्मानित किया। डॉ. सिवन को पंजाब विश्वविद्यालय ने विज्ञान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है। डॉ. सिवन के कार्यों से देश के अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की असाधारण क्षमता परिलक्षित होती है।
इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल श्री वी पी सिंह बदनौर, पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार, यूनीवर्सिटी इंन्सट्रक्शन के डीन प्रो. शंकरजी झा, पंजाब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. करमजीत सिंह तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।