कावेरी मुद्दे पर किसानों ने सकारात्मक फैसले की उम्मीद छोड़ी

  • पानी की जंग में पिस रहा किसान

  • फैसला तमिलनाडु के पक्ष में नहीं तो होगा बड़ा आंदोलन

आईएनएन, नई दिल्ली ; @infodeaofficial;  

आर. रंजन@चेन्नई. कावेरी मसले पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अगर तमिलनाडु के किसानों के पक्ष में नहीं आया तो राज्य के किसानों का गुस्सा भड़क सकता है और देश की राजधानी दिल्ली में ये किसान फिर से एक बड़ा प्रदर्शन कर सकतें है। कावेरी जल विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। इसके पूर्व तमिलनाडु सरकार को उम्मीद है कि इस बार राज्य के साथ न्याय होगा वहीं दूसरी ओर राज्य के किसानों ने इस मुद्दे पर सकारात्मक फैसले की उम्मीद छोड़ दी है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलनीसामी ने बुधवार को विधानसभा में इस बात का भरोसा भी दिलाया कि केंद्र सरकार की मदद से वह कर्नाटक से अपने हक का पानी राज्य में लेकर आएगी। सत्तारूढ़ एआईएडीएमके पार्टी का मानना है कि इस बार सर्वोच्च न्यायालय अपने फैसले से इस परेशानी का हल निकालेगा और दोनों राज्यों के बीच लम्बी चली आ रही कानूनी जंग का सुखद अंत होगा। जब भी राज्य में कम बारिश होती है तो दोनों राज्यों के बीच पानी को लेकर घमासान छिड़ जाता है। किसानों में असंतोष की स्थिति बनी हुई है। तमिलनाडु के किसानों का कहना है कि अगर हमारे साथ न्याय नहीं हुआ तो दिल्ली में इस बार बड़ा आंदोलन छेड़ देंगे।

अब न कोर्ट, न नेताओं पर भरोसा
कावेरी जल विवाद पर किसान और किसान संगठनों का कहना है कि न तो उन्हें सरकार पर भरोसा रहा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय पर। सालों से चले आ रहे कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद का अबतक कोई हल नहीं निकला। दोनों राज्यों की सरकारें और न ही न्यायालय इस मुद्दे को लेकर गम्भीर है। अब यदि सर्वोच्च न्यायालय तमिलनाडु के पक्ष में फैसला सुना भी देता है तो इस बात की क्या गारंटी है कि वह हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष न करना पड़ेगा। फेडरेशन ऑफ टीएन एग्रीकल्चर एसोसिएशन के सचिव नल्लाकन्नु का कहना है कि अदालत का आदेश कौन मानता है? कर्नाटक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गए पानी छोडऩे के आदेश का खुले आम माखौल बना रहा है। आदेश की पालना नहीं होने पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ नहीं किया। क्या सर्वोच्च न्यायालय को इस मसले पर कोर्ट की अवमानना जान कर्नाटक सरकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी?
अन्ना हजारे का मिला साथ
किसान संघ डीवीएस के अध्यक्ष अय्याकन्नु का कहना है कि अगर इस बार भी तमिलनाडु के किसानों के साथ छल हुआ तो हम राज्य व केन्द्र सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे। इस बार हमारे साथ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी होंगे जो हमारी मांगों को बल देंगे। अगर फैसला तमिलनाडु के पक्ष में नहीं आता है तो 23 फरवरी को हम किसान अन्ना हजारे के साथ फिर से दिल्ली में आंदोलन छेड़ देंगे।
सकारात्मक फैसले की की है आशा
एआईएडीएमके की बागी नेता सीआर सरस्वती का कहना है कि इस बार फैसला तमिलनाडु के पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट केंद्र सरकार को कावेरी नदी जल प्रबंधन बोर्ड बनाकर पानी के बंटवारे के काम की निगरानी व जिम्मेदारी दे तो बेहतर होगा।
जबकि इस मामले में एआईएडीएमके के प्रवक्ता केसी पलनीसामी का कहना है कि वह अपने अधिकारों को लेकर रहेंगे चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े। सरकार हर परिस्थिति में राज्य के लोगों के हक व भलाई के लिए लड़ेगी। विधानसभा में अपने बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदेश के अनुसार तमिलनाडु को 81 टीएमसी पानी मिलना है और उसे पाने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में मैराथन सुनवाई के बाद 20 सितम्बर को सुनवाई खत्म हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

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