सीएमडी, टीएनईबी व टेनजेडको बोले: सीएजी की रिपोर्ट में तथ्य सामने आने के बाद टांजेडको की ओर से सीआईएसएल को कोई भुगतान नहीं किया गया है।
तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन (टांजेडको) एवं साउथ इंडिया कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीएल) के बीच 17 वर्ष पूर्व हुआ समझौता क्या सैकड़ों करोड़ रुपए की राजस्व हानि का कारण बन रहा है? क्या दोनों कंपनियों के अफसरों से मिलीभगत से सरकार को चूना लगाया जा रहा है? यह प्रश्न दोनों कंपनियों पर कोयले की अनलोडिंग के कांट्रैक्ट में बड़ी वित्तीय गड़बड़ी करने के आरोप से खड़ा हुआ है।
आईएनएन/चेन्नई,@Infodeaofficial
आरापोर इयक्कम संस्था के जयराम ने यह आरोप लगाते हुए कहा है कि टांजेडको के लिए रेल व समुद्री मार्ग से आने वाले कोयले की विशाखापत्तनम पोर्ट पर अनलोडिंग का कांट्रेक्ट पिछले 18 साल से एक ही कंपनी एसआईसीएल के पास है। एसआईसीएल इस काम के लिए बिना किसी उपयुक्त दस्तावेज के टांजेडको से अधिक राशि वसूल रही है। इस गडबड़झाले में टांजेडको के अफसरों की भी मिलीभगत है।
गौरतलब है कि इस कंपनी को टांजेडको की तरफ से यह कांट्रेक्ट 1 फरवरी 2001 को पांच महीने के लिए दिया गया था जिसे बाद में समय-समय पर बढ़ाया गया।
जयराम ने कहा कि वर्ष 2011—16 की अवधि के लिए एसआईसीएल ने वाइजेग पोर्ट को अनलोडिंग के लिए 239.56 करोड़ रुपए का भुगतान किया। लेकिन एसआईसीएल ने टांजेडको से इसके लिए 1267.61 करोड़ प्राप्त किए। इस भुगतान के लिए एसआईसीएल के पास कोई ठोस आधार या दस्तावेज नहीं है। उन्होंने कहा कि आरटीआई से यह जानकारी जुटाई गई है।
जयराम ने पूरी धांधली में डीएमके और एआईएडीएमके सरकार दोनों का संरक्षण बताया। एसआईसीएल को यह कांट्रेक्ट पहले एआईएडीएमके के शासनकाल वर्ष 2001 में मिला था। अगली बार सरकार बदली तो डीएमके ने भी इस कांट्रैक्ट को जारी रखा। भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी अपनी रिपोर्ट में इसमें धांधली का खुलासा करते हुए गंभीर प्रश्न खड़े किये हैं। लेकिन राज्य सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट का न तो संज्ञान लिया और न ही कोई कदम उठाए।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में राजकोष को 1028 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जयराम ने कहा कि इस मामले में वर्ष 2011 से जांच की जाए तो राजस्व हानि का यह आंकड़ा 2500 करोड़ रुपए से अधिक का निकलेगा। उन्होंने कहा कि वेस्टर्न एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी सीएसआईएल की सब कांट्रैक्ट कंपनी है।
इस कंपनी ने टांजेडको द्वारा अनलोडिंग के लिए नया टेंडर जारी करने पर स्थगनादेश ले रखा है। राज्य सरकार की ओर से इस स्थगनादेश को हटवाने का प्रयास नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि टांजेडको और एसआईसीएल के बीच मिलीभगत है। जयराम ने यह मामला राज्य के ऊर्जा सचिव विक्रम कपूर के सामने भी रखा है। जयराम का कहना था कि इस मुलाकात को दो महीने होने को हैं, अभी तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। कार्रवाई नहीं हुई तो न्यायालय में याचिका लगाएंगे।
हालांकि जब सीएमडी, टीएनईबी व टेनजेडको विक्रम कपूर से इस बारे में बात की गयी तो उन्होंने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में तथ्य सामने आने के बाद टांजेडको की ओर से सीआईएसएल को कोई भुगतान नहीं किया गया है। आरापुर इयक्कम ने जो मुद्दा उठाया है, वह सीएजी रिपोर्ट में पहले ही आ चुकी है। अभी यह मामला महाधिवक्ता के पास है।
महाधिवक्ता इस मामले में विधिक राय देंगे और इसके बाद कदम उठाया जाएगा। कपूर ने कहा कि जहां तक टांजेडको के साथ कांट्रैक्ट की बात है तो उसमें कंपनी को प्रति टन के हिसाब से भुगतान की शर्तें हैं। कांट्रैक्ट में यह कहीं भी जिक्र नहीं है कि वह भुगतान लेने से पहले किसी प्रकार का वाउचर व रसीद पेश करेगी। टांजेडको द्वारा नयी निविदा जारी करने के लिए अधिवक्ताओं से राय ली जा रही है। शीघ्र ही इस पर कोई निर्णय ले लिया जाएगा।
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