स्किल इंडिया भारतीय इंडस्ट्री व व्यापार के लिए गेमचेंजर

स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम की आवश्यकता भारत को बहुत पहले से थी। लेकिन इस दिशा में पूर्ववर्ती सरकारों ने ठोस प्रयास नहीं किया। परिणाम यह हुआ कि देश स्किल के मामले में दुनिया में पिछड़ गया और अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे और विश्व में इसकी मांग प्रभावित हुई।

आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 

स्किल इंडिया देश के मानव संसाधन का रूपांतरण करने की क्षमता रखता है। हालां​कि यह योजना दूरगामी परिणाम देने वाली है, इसलिए योजना का प्रभाव अभी उस तरह दृष्टिगोचर नहीं है, जिस तरह मोदी सरकार की उज्जवला, मुद्रा, जनधन, उड़ान अथवा आयुष्मान भारत जैसी अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं का है। चूंकि विश्व बैंक भी मान रहा है कि भारत अब दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास दर के मामले में अमरीका व चीन को भी पीछे छोड़ देगा। ऐसे में देश के उद्योग जगत को पर्याप्त स्किल्ड लेबर उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार की यह योजना 2030 तक 24.5 करोड़ स्किल्ड लेबर तैयार कर लेगी।

दरअसल, स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम की आवश्यकता भारत को बहुत पहले से थी। लेकिन इस दिशा में पूर्ववर्ती सरकारों ने ठोस प्रयास नहीं किया। परिणाम यह हुआ कि देश स्किल के मामले में दुनिया में पिछड़ गया और अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे और विश्व में इसकी मांग प्रभावित हुई।

रिटेल एसोसिएशन स्किल काउंसिल आॅफ इंडिया (आरएएससीआई) के कार्यकारी प्रमुख जेम्स ए. रफेल ने इंफोडिया से बातचीत में कहा कि देश में अधिकांश युवा आर्थिक तंगी व पारिवारिक परिस्थितियों के कारण ग्रामीण इलाकों में अपनी पढ़ाई स्कूल में ही छोड़ देते हैं। ऐसे युवाओं के लिए ही मोदी सरकार ने स्किल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत हम उन युवाओं को प्रशिक्षण दे इस योग्य बनाते हैं कि उन्हें कहीं बेहतर जगह रोजगार मिल सके। हमारा काम किसी व्यवसाय को बढ़ाना नहीं बल्कि कौशल प्रशिक्षण देकर उद्योग और उद्योग जगत को बढ़ाना है। केंद्र सरकार अपने इस कार्यक्रम के तहत उन लोगों को सर्टिफिकेशन देने का काम करती है जो कि अपना धंधा कर रहे हैं या फिर किसी जगह काम कर रहे हैं। जिसका लाभ उन्हें आगे अपना व्यवसाय व उस उद्योग जगत में दूसरे रोजगार के अवसर तलाशने में मिलेगा।

देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। खासकर पिछले चार सालों में आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कदमों से विश्व की रेटिंग एजंसियों ने एक ओर भारत की अर्थव्यवस्था की रेटिंग ऊपर कर दी है। मूडी ने 14 साल बाद पिछले साल भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग सुधारते हुए बी प्लस कर दिया था।
मोदी सरकार के आने के बाद देश की अर्थव्यवस्था का चित्र सुनहरा होता जा रहा है। लेकिन इसे बनाए रखने के लिए अनेक चुनौतियों से पार पाना होगा। इसमें स्किल्ड लेबर की उपलब्धता भी शामिल है। पर स्किल्ड लेबर की उपलब्धता में स्किल इंडिया योजना के सामने सबसे बड़ी बाधा भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली है। पूर्ववर्ती सरकारों ने शिक्षा में वोकेशनल ट्रेनिंग की आवश्यकता को समझा ही नहीं।

एसएसस जैन महिला कॉलेज के सचिव अभय कुमार श्रीश्रीमाल कहते हैं, ‘देश के विकास की गति को बढ़ाना है तो मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करना आवश्यक है। विद्यार्थियों को पुस्तकीय ज्ञान से अधिक व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता है। हमारे कॉलेज में शिक्षण व्यवस्था को कक्षा से अधिक व्यवहारिक व परियोजनामूलक बनाने पर बल दिया जा रहा है।’

कॉलेज की प्रिंसिपल डा. बी. पूर्णा ने कहा कि आरएएससीआई के साथ स्किल इंडिया पर कार्यक्रम किया गया, ताकि स्किल इंडिया योजना को विद्यार्थियों से जोड़कर रिटेल इंडस्ट्री में स्किल्ड मानव संसाधन की आपूर्ति के साथ ही विद्यार्थियों को रोजगारमूलक पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जाए।

आरएएससीआई की ट्रेनिंग एंड आपरेशन के प्रमुख निका गुप्ता, वसंत एंड को के एस. वसंत कुमार, नल्ली सिल्कस के डा. नल्ली कुपुसामी चेट्टी, विवेक एंड को के श्रीनिवासन, जीआरटी ज्वेलर्स के जीआर अनंत पद्मनाभन, छल्लानी ज्वैलरी मार्ट के जयंतीलाल छल्लानी, सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के निदेशक डा. सम्बा मूर्ति पद्मावती, दीपक श्रीश्रीमाल आदि ने स्किल इंडिया को भारतीय इंडस्ट्री व व्यापार के लिए गेमचेंजर बताया।

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