विष्णु शर्मा, आईआईएन/चेन्नई, @svs037
देश में जल संकट एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। हमें इसे गम्भीरता से लेने और अभी से इसके उपायों पर काम करने की जरूरत है। अगर हम इस समस्या के बारे में अब भी गम्भीर नहीं हुए तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हम खुद को विनाश की ओर ले जा रहे हैं।
पत्रिका से विशेष बातचीत में आईआईआईटीडीएम, बेंगलूरु के निदेशक प्रोफेसर एस. सदगोपन ने कहा चेन्नई और बेंगलूरु भारत के २१ ऐसे शहरों की सूची में आते हैं जो इस प्रतिस्पर्धा में हैं कि कहां पहले पानी खत्म हो जाय। अगर पानी खत्म हो गया तो जीवन खत्म हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि हम इस समस्या को गम्भीरता से लें और औरों को भी इसके प्रति जागरूक करें।
सदगोपन ने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए जरूरी है कि हम जल संरक्षण के उपायों पर ध्यान दें। विशेषकर इस देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बढ़ते कंक्रीट जंगल में मिनी फॉरेस्ट बसाने के साथ ही झीलों, नदियों और नहरों की सफाई कर उनमें जल संचयन की व्यवस्था करने की जरूरत है। इससे हम जल संकट से काफी हद तक बच सकते हैं। घनी आबादी वाले इलाकों में अगर हम पेड़ लगाएं तो वे न केवल पर्यावरण को शुद्ध करेंगे बल्कि बादलों को भी आकर्षित करेंगे।
बारिश के पानी का करें संचयन
भारत उन देशों में से एक है जहां पर कैपटा के अनुसार सबसे ज्यादा बारिश होती है। जरूरत है तो बारिश के पानी को बचाने और संचयन करने की। आपने देखा होगा कि कुछ घंटे की बारिश मेें ही अपने शहर की झीलें, नहरें और नाले भर जाते हैं। हाल ही मुम्बई में हुई भारी बारिश से सडक़ों पर जलजमाव इसका उदाहरण है इसलिए अगर आप अपने आस-पास के इलाकों में जल संचयन के लिए नदी, कुएं, झीलें आदि बनाए जाएं तो इससे भूजलस्तर में बढ़ोतरी होगी।
इसके अलावा हम जल संचयन के लिए बाहरी माध्यम में पानी का संचयन कर सकते हैं। अभी जो भी बारिश होती है उसका पानी सीधा समुद्र में चला जाता है जो वर्षा जल की बर्बादी है। शहरों के बड़े-बड़े अपार्टमेंट्स और रिहायशी कॉलोनियों में भी जल संचयन की कोई सुविधा नहीं है।
अपशिष्ट जल का हो बेहतर उपयोग
हमें इस बात के प्रति भी आमजन को जागरूक करने होगा कि वे अपशिष्ट यानी बेकार जाने वाले पानी को कैसे व्यवहार में लाएं। हमारे घरों में 80-90 प्रतिशत पानी बाथरूम और किचन में व्यवहार में लाया जाता है। हम इनमें उपयोग होने वाले पानी को बागवानी में पेड़ों में देने के काम में ला सकते हैं। हर तरीके से पानी को बचाने के लिए समग्र प्रयास करने की जरूरत है।
यह हम सबकी की जिम्मेदारी है कि पानी को बेकार न जाने दें और समझदारी से इस्तेमाल करें। इसके लिए केवल सरकार पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। जल संकट ऐसी समस्या नहीं जिसका निदान संभव नहीं हो। हर व्यक्ति को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि हम पानी का इस्तेमाल सूझ-बूझ से करें।
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