अंगों नहीं कोशिकाओं का उपचार बचाएगा जटिलताओं से

युनीवर्सिटी आॅफ मिसौरी के कैंसर नैनोटेक्नोलॉजी प्लैटफार्म के निदेशक ड़ा कट्टेश वी कट्टी के साथ धनवंतरि नैनो आर्युवेद (डीएनए) ने किया शोध

केंसर जैसे असाध्य रोग का नैनो आर्युवेद तकनीक का इस्तमाल कर दुषप्रभावरहित उपचार का डीएनए कर रही दावा

चेन्नई स्थित धनवंतरी नैनो आर्युवेद (डीएनए) आर्युवेद के साथ नैनो तकनीक का इस्तमाल कर कैंसर जैसे रोग के सस्ते और दुष्प्रभाव रहित उपचार के प्राकृतिक उपायों व औषधियों शोध कर रही है।

आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 

धुनिक चिकित्सा विज्ञान बीमारियों से त्वरित राहत देने वाला अवश्य है, लेकिन वैज्ञानिक अब यह चिंता भी उजागर करने लगे हैं कि यह पद्धति जहां रोग के जिम्मेदार कोशिकाओं को अस्थाई रूप निष्क्रिय करके त्वरित लाभ पहुंचाता है, वहीं इसके कारण शरीर में अन्य जटिलताओं व रोगों का कारक भी बन जाता है।

नए अनुसंधानों से यह पता चला है कि आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार में रोग के मूल कारणों को ही नष्ट किया जाता है, जिससे समस्या का समाधान भी स्थायी रूप से होता है और शरीर के अन्य अंग विकारग्रस्त भी नहीं होते। इसी कड़ी में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अब इस कमी को दूर करने के लिए उपचार के नई तकनीकों को ढूंढ़ने में लगा है।

नैनो पार्टिक्ल्सि युक्त औषधियों का विकास इसी कड़ी में किया जा रहा है। उपचार की अंग्रेजी पद्धति आयुर्वेदिक पद्धति की उस विशेषता पर काम कर रहा है, जिसमें रोगी कोशिकाओं का उपचार किया जाए, न कि पूरे अंग का।

आयुर्वेद में ‘त्रिदोष सिद्धान्त’ के आधार पर रोगों का उपचार करता है। यह सिद्धांत रोगों के कारक के रूप में वात, पित्त, कफ दोष बताता है। अर्थात तन की कोशिकाओं के उन विशेष कोष्ठकों का उपचार करता है, जो रोगग्रस्त हैं।

अब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इसी प्रकार की एक नई तकनीक नैनो पार्टिकिल्स पर काम कर रहा है, जिसमें रोगग्रस्त कोशिकाओं का उपचार किया जाएगा, न कि पूरे अंग का। 

 

चेन्नई स्थित धनवंतरी नैनो आर्युवेद (डीएनए) आर्युवेद के साथ नैनो तकनीक का इस्तमाल कर कैंसर जैसे रोग के सस्ते और दुष्प्रभाव रहित उपचार के प्राकृतिक उपायों व औषधियों शोध कर रही है।

डीएनए यह शोध युनीवर्सिटी आॅफ मिसौरी के कैंसर नैनोटेक्नोलॉजी प्लैटफार्म के निदेशक ड़ा कट्टेश वी कट्टी के नेतृत्व में कर रहा है।

इन्फोडिया से बातचीत में डॉ कट्टी ने बताया कि वर्तमान चुनौतियों को लेकर अध्ययन व शोध न होने के कारण हजारों वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक पद्ध​ति आज महत्वहीन सी हो गयी है।

इस शोध के माध्यम से आयुर्वेदिक पद्धति को नैनो तकनीक से जोड़कर ऐसी औषधियों का निर्माण कर रहे हैं, जिससे कैंसर जैसे रोग का भी उपचार सम्भव है। उन्होंने बताया कि डीएनए 2010 से यह शोध कर रहा है।

यह शोध अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है और हमने वह तकनीक विकसित कर ली है, जिसमें औषधियां रोगग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करती हैं और अन्य खराब कोशिकाओं को भी ठीक करती हैं।

मानव शरीर के भीतर मौजूद एंजाइम शरीर के लिए रक्षक का काम करते है। वह बाहर से आई किसी भी अंजान पदार्थ को खत्म कर शरीर के बाहर निष्कासित करने का काम करती है। ऐसे में अधिकांशत: औषधियोंं के तत्व को ये एंजाइम नष्ट कर देते हैं और शरीर को उन दवाओं का उपयुक्त लाभ नहीं मिल पाता है। नैनो पार्टिकलयुक्त औषधियों के साथ ऐसा नहीं होता है। इन औषधियों में में इतनी मात्रा में नैनो पार्टिकल होते हैं जिन्हें ये एंजाइम खत्म नहीं कर पाते। इन पार्टिकिल्स को सोने व कई अन्य प्रकार के फाइटो केमिकल्स का इस्तमाल कर तैयार किया जाता है।

डा कट्टी ने बताया कि नैनो टेकनोलॉजी का प्रयोग न केवल आर्युवेद में हो रहा है बल्कि इसका व्यवहार अंग्रेजी दवाओं में भी किया जा रहा है। आने वाले दिनों में एसी सम्भावना है कि नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तमाल होमियोपैथी दवाओं में भी किया जा सकता है। डीएनए ने जो नैनो पार्टिकिल युक्त औषधियां तैयार की हैं, वे 100 प्रतिशत शुद्ध और किसी टॉक्सिक रसायन को मिलाए बिना तैयार की जाती हैं।

डीएनके के शोध दल ने इन औषधियों का क्लिीनिकल परीक्षण पहले जीव—जंतुओं पर और बाद में मनुष्यों पर किया। इन परीक्षणों के परिणाम सफल रहे हैं।

डीएनए के प्रबंध निदेशक दीपक कुमार ने बताया कि उनकी कंपनी द्वारा तैयार औषधियां स्तन, ली(लीवर), प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए है। अन्य प्रकार के कैंसरों के लिए औषधियों का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। परीक्षण की सफलता के बाद उसे बाजार में लांच कर दिया जाएगा।

चिकित्सा विज्ञान में नैनो टेक्नॉलाजी का मूल सिद्धांत कोशिकाओं की मरम्मत करना है।

नैनो रोबोट और नैनो औषधियां इस तरह प्रोग्राम्ड किए जाते हैं, जो रोगग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करें। अभी यही काम एंटीबॉयोटिक औषधियां भी करती हैं, लेकिन इनमें समस्या यह है कि ये कोशिकाओं नहीं, बल्कि पूरे अंग का उपचार करती हैं।

इसमें उन कोशिकाओं पर एंटीबॉयटिक्स का प्रभाव पड़ता है, जिन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है। परिणाम यह होता है कि एक ओर ये अंग के रोगग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करती हैं और दूसरी ओर उसी अंग की स्वस्थ कोशिकाएं अनावश्यक रूप से एंटीबॉयटिक्स के प्रयोग रसायन के दुष्प्रभाव से खराब होने लगती हैं।

  1. Casino Kya Hota Hai
  2. Casino Houseboats
  3. Star111 Casino
  4. Casino Park Mysore
  5. Strike Casino By Big Daddy Photos
  6. 9bet
  7. Tiger Exch247
  8. Laserbook247
  9. Bet Bhai9
  10. Tiger Exch247.com

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *