आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
कृषि और कृषि से संबंधित व्यवसायों में युवाओं को आकर्षित करने और इस क्षेत्र में जमे रहने की कोशिश में लगा हुआ है एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन। फाउंडेशन एट्रेक्टिंग एंड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर और मोटिवेटिंग यूथ इन एग्रीकल्चर इन कार्यक्रमों के तहत युवाओं को कृषि क्षेत्र से जुड़े रोजगार, उद्योग व धंधे के बारे में जागरूक करेगा और उनकी रुचि बढ़ाएगा।
लोग कहते हैं कि कृषि में अब कोई भविष्य नहीं रहा लेकिन जो ऐसा कहते हैं उन्हें शायद कृषि के बारे में पूरी जानकारी ही नहीं है। कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अनगिनत अवसर हैं, जिनको पहचानने और उन पर काम करने की जरूरत है। हम अपनी योजनाओं के तहत युवाओं को कृषि और इससे संबंधित रोजगार के अवसरों के प्रति लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं।
इंफोडिया के साथ विशेष बातचीत में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन में कार्यरत डा. एन. परशुरामन ने बताया कि उनकी इस योजना का सफल परीक्षण तमिलनाडु में किया जा चुका है और अब वे चाहते हैं कि इसे देश के अन्य राज्यों में भी प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
उन्होंने बताया कि देश में लोग रोजगार के मुद्दे को लेकर काफी हायतौबा मचा रहे हैं लेकिन युवाओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि प्राकृतिक संसाधन विशेषकर के कृषि के क्षेत्र में रोजगार की आपार सम्भावनाएं हैं।
यह मिट्टी परीक्षण से लेकर फूड प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन, बॉयो फर्टीलाइजर आदि कई क्षेत्रों तक फैला हुआ है। इन क्षेत्रों में युवा खुद का व्यवसाय व धंधा शुरू कर सकते हैं। इससे वे अन्य लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया करवा सकते हैं।
उनका कहना है कि इन कार्यक्रमों के तहत हम कृषि को केवल खाद्य उत्पादन तक ही सीमित नहीं रखना चाहते, हम कृषि को व्यावसायिक रूप में विकसित करने के प्रयास में हंै जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अधिकाधिक अवसर पैदा हों। हम नई तकनीक की मदद से कृषि को और सुलभ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कैसे तकनीक की मदद से कृषि और इससे संबंधित व्यवसाय से जुडक़र लाभ कमाया जा सके।
कुछ साल पहले शुरू हुई इस योजना के तहत कृषि के क्षेत्र में युवाओं के अलावा हमारा मुख्य उद्देश्य महिलाओं को भी शामिल करना है। इस कार्यक्रम के तहत हम युवाओं और महिलाओं को कृषि और इससे जुड़े व्यवसाय के बारे में प्रशिक्षण देकर उनको तैयार करते हैं और उनके उद्योग-धंधे की स्थापना में उनकी हरसम्भव मदद करते हैं।
अब तक हमने करीब एक हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया है। हमने तेनी, पुदुकोट्टै, तिरुवारुर, नागपट्टिनम और तंजावुर में इस योजना का सफल परीक्षण किया है। हमने राज्य के सूखे क्षेत्र में किस प्रकार की खेती की जाय, इस योजना को उड़ीसा और आंध्रप्रदेश में शुरू करने के लिए वहां की राज्य सरकार से बातचीत कर रहे हैं और वहां कभी भी इस योजना पर काम शुरू किया जा सकता है।
वह चाहते हैं बिहार जहां से हर साल प्रतिभाओं का पलायन होता है वहां जाकर भी युवाओं और महिलाओं को कृषि संबंधी व्यावसायिक अवसरों के बारे में जागरूक कर उनकी मदद करें। अगर हम ऐसा कर पाने में सक्षम हुए तो देश में आने वाले सालों में किसान की समस्याओं पर पूर्ण विराम लगाने में सक्षम होंगे।
कृषि के क्षेत्र में केवल खाद्यान्न का उत्पादन ही नहीं आता बल्कि मत्स्य पालन, पशुपालन, बागवानी, फूलों की खेती वानिकी, कृषि प्रसंस्करण आदि भी आते हैं। इन सभी क्षेत्रों में रोजगार की आपार सम्भावनाएं हैं।
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