विश्व का सबसे पुराना भाप इंजन फिर से पटरियों पर दौड़ेगा

चेन्नई के पेरम्बूर स्थित रेल कारखाने ने दिया इस हेरीटेज इंजन को नया जीवन

10 अक्टूबर को दिल्ली छावनी से हरियाणा के रेवाड़ी स्टेशन के बीच दौड़ेगी

रेलवे की विरासत को सहेजने की बात आए तो चेन्नई की बात न हो, यह कैसे हो सकता है? चेन्नई का ईआईआर 22 विश्व का सबसे पुराना भाप इंजन कारखाना माना जाता है। हाल ही पेरम्बूर स्थित इस कारखाने में विश्व के सबसे पुराने भाप इंजन को फिर से चलने लायक बनाया गया है। 

एस विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @SVS037

स हेरीटेज इंजन के बारे में जानने के लिए इन्फोडिया टीम कारखाने गयी। इस कारखाने को इसी बीते अगस्त में गिनीज बुक में शामिल किया गया है, क्योंकि यह विश्व का सबसे प्राचीन कारखाना चालू हालत में है। कारखाने के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भाप इंजन पूरी तरह चलने लायक बना दिया गया है और अब कुछ छिटपुट ऊपरी कार्य बचे हुए हैं, जिसे पूरा किया जा रहा है।

कारखाने की कार्य प्रबंधक अदिति सैनी ने कहा कि चूंकि अब भाप इंजन चलते नहीं, इसलिए इस हेरीटेज भाप इंजन का जीर्णोद्धार करना आसान नहीं था। भाप इंजन बंद हुए कई दशक हो चुके हैं, इसलिए इस बारे में जानकारी भी सरलता से नहीं मिलती है। इसी तरह इंजन के कलपुर्जे मिलना भी दूभर था। फिर भी इसे सहेजने का चुनौतीपूर्ण कार्य करना ही था। इसके लिए इंजन के घटकों के बहुआयामी रेखाचित्र बनाये गये, ताकि कलपुर्जों की बनावट समझी जा सके।


हालांकि बनावट तैयार करने के बाद भी दूसरी बड़ी चुनौती यह जानना था कि भाप इंजन के पहियों को चेचिस में फिट कैसे किया जाता होगा। इसके लिए इसके कलपुर्जों के अलग—अलग आयाम से चित्र बनाये गये और ‘परीक्षण व त्रुटि’ पद्धति से इनको फिट करने की युक्ति खोजी गयी।

उन दिनों में प्रयोग होने वाली मटैरियल पुस्तक को भी ढूंढ़ना पड़ा। प्रयास करने पर रेल कारखाने के अभियंताओं व कामगारों के लिए 1958 में प्रकाशित पुस्तक ‘लिमिट्स एंड फिट्स’, रेलवे बोर्ड द्वारा 1978 में प्रकाशित ‘स्टीम लोको मैनुअल’ व ‘स्टीम लोको गाइड’ मिल गयी।

स्टीम लोको गाइड के 1963 का संस्करण और ‘कोट आॅफ आम्र्स’ के 1948 के संस्करण से भाप इंजन बनाने में प्रयुक्त मटेरियल व इसकी विशिष्टताओं की जानकारी मिली। ये दोनों पुस्तकें बहुत ढूंढ़ी गयीं तो रंगास्वामी निवासी एक व्यक्ति के पास मिली, जो भाप इंजन में काफी उत्सुकता रखने के कारण इसे अपने पास रखे हुए थे।


पेरम्बूर रेल कारखाना के प्रबंधक अरुण देवराज कहते हैं, ‘जीर्णोद्धार कार्य शुरू करने के लिए सबसे पहले भाप इंजन का बॉयलर खोला गया।

उसमें लीकेज थी, जिसे ठीक किया गया। इंजन का गतिशील भाग एक्सल बॉक्स में दरारें आ गयीं थीं, जिन्हें भरा गया। बॉक्स ठीक होने से यह इंजन का भार थामने के साथ ही एक्सल की गतिशीलता ठीक हो गयी।

दुनिया में इस भाप इंजन में अगला पहिया 1.5 मीटर परिधि वाला सबसे बड़ा माना जाता है। इस पहिये की तीलियों को लोहे की तीलियों से बदला गया। इंजन के सिलेंडर में लुब्रिकेंट प्रवाहित करने वाले पाइपलाइन को बदला गया। सिलेंडर एक जगह से टूटा हुआ था, जिसकी वेल्डिंग की गयी।

अरुण कुमार कहते हैं कि इस हेरीटेज इंजन अब उत्तर रेलवे के पास पॉलीयूरेथीन पेंटिंग के लिए भेजा गया है। जब यह पेंट होकर आएगा तो भव्य दिखेगा। इसके पश्चात आगामी 10 अक्टूबर को दिल्ली छावनी से हरियाणा के रेवाड़ी तक इसे चलाया जाएगा।

सैनी बताती हैं कि कारखाने के बाद इसके बाद दूसरी चुनौती 7015 डब्ल्यूपी के एंटिक भाप इंजन को फिर से दौड़ने लायक बनाना है। शीघ्र ही इस पर भी काम किया जाएगा।

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