‘मियां- तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहना ग़लत हो सकता है, लेकिन इसके चलते धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला नहीं बनता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी को ‘मियां- तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहना ग़लत हो सकता है, लेकिन इसके चलते धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला नहीं बनता है
आईएनएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
इस मामले में शिकायतकर्ता उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क(आरटीआई) के रूप में सेवारत थे। उनकी शिकायत थी कि जब वो अपनी आधिकारिक ड्यूटी को निभाने के क्रम में RTI के तहत मांगी गई जानकारी को देने हरिनंदन सिंह नाम के व्यक्ति के घर पहुचे तो उसने, उनके धर्म को टारगेट करते हुए आपत्तिजनक शब्द ‘मियां- तियां और ‘पाकिस्तानी’ का इस्तेमाल किया जिसके चलते उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई। उनके काम मे बाधा डाली।
आरटीआई क्लर्क की शिकायत पर हरिनंदन सिंह के खिलाफ IPC 298, 504 , 506 353 और 323 के तहत FIR दर्ज की गई थी। हरिनंदन सिंह ने केस खत्म करने के लिए सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट का रुख किया लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को विभिन्न धाराओं के तहत आरोप मुक्त करते हुए कहा है कि इस मामले में हरि नंदन सिंह ने कोई बल का इस्तेमाल नहीं किया , लिहाजा उसके खिलाफ IPC 353 के तहत मामला नहीं बनता।
आरोपी ने कोई ऐसी हरक़त नहीं की जिसके चलते शांति भंग की आशंका हो, इसलिए उस पर आईपीसी 504 के तहत केस नहीं बनता। जहाँ तक IPC 298 ( धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है), आरोपी ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया , वो घटिया है लेकिन इसके चलते उसके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का केस नहीं बनता है।