72 की गिरफ्तारी के बाद प्रदेशभर में प्रदर्शन तेज
आईएनएन/चेन्नई/तिरुअनंतपुरम/एजेंसी@Infodeaofficial सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश को लेकर गतिरोध और बढ़ गया है। तीर्थयात्रियों को मंदिर परिसर में लागू निषेधाज्ञा का पालन न करने पर गिरफ्तार किया गया। पुलिस कार्रवाई का विरोध कर रहे भक्तों ने सबरीमाला में परिसर छोड़ने से मना करते हुए भगवान अय्यप्पा के भजन गाते रहे और जय-जयकार शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने 72 लोगों को निरुद्ध कर लिया। इसके बाद सोमवार को पूरे केरल में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। रुष्ट लोगों ने सड़कों पर उतरकर नारे लगाए और पूरे राज्य के पुलिस थानों के सामने नाम जपम प्रार्थना आयोजित किए। केंद्रीय मंत्री के.जे. अल्फोंस ने इस कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की आलोचना की है।
भक्तों को निरुद्ध किए जाने का समाचार फैलते ही तिरुवनंतपुरम में आक्रोशित प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के निवास के पास एकत्र होकर नारे लगाने लगे। इसके बाद भाजपा व आरएसएस कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी संख्या में नागरिकों ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के आवास पर भी प्रदर्शन किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पी. एस. श्रीधरन पिल्लई ने गिरफ्तारी को क्रूर करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी मामले में न्यायिक जांच चाहती है।
अल्फोंस ने निकक्कल में गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना करते हुए सोमवार को कहा, ‘मैं यह समझ नहीं पा रहा कि केरल पुलिस ने निषेधाज्ञा क्यों लागू की है। यह चीजों को संभालने का तरीका नहीं है। सबरीमाला के तीर्थयात्री कट्टरपंथी नहीं हैं। आप यहां बल प्रयोग नहीं कर सकते।’ केरल के देवासम (मंदिर) मामलों के मंत्री कदकंपल्ली सुरेंद्रन ने आरोपों पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा कि वे तीर्थयात्री नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गुंडे थे, जो भगवान अय्यप्पा मंदिर पर कब्जा जमाए हुए थे। इसके साथ ही उन्होंने इस कार्रवाई का समर्थन किया। सुरेंद्रन ने कहा, ‘मैं उनके (अल्फोंस) जैसा तो नहीं हूं, जो एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे, फिर हमारे साथ विधायक बनें और उसके बाद केंद्रीय मंत्री, मैं एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता हूं लेकिन उन्हें तथ्यों को बिना जाने ऐसा नहीं बोलना चाहिए था।’ वहीं केंद्रीय मंत्री अल्फोंस ने कहा है कि वह यह पता करेंगे कि केंद्र से मिले 100 करोड़ रुपये की राहत राशि का राज्य में किस तरह इस्तेमाल किया गया है। सुरेंद्रन ने कहा, ‘यह सच है कि केंद्र ने सबरीमाला में विभिन्न योजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि दी थी और इसका इस्तेमाल करने की समयसीमा जुलाई 2019 है। सितंबर में आई अचानक बाढ़ के कारण यहां हो रहा करीब 19 करोड़ रुपये की लागत वाला काम बर्बाद हो गया था।
केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस ने सबरीमाला परिसर को ‘युद्ध क्षेत्र’ बनाने और मंदिर में सुविधाओं की कमी के लिए केरल सरकार की कड़ी आलोचना की। भाजपा ने पुलिस की इस कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग भी की है। अल्फोंस ने कहा, ‘राज्य सरकार ने मंदिर परिसर को युद्ध श्रेत्र में बदल दिया। श्रद्धालु कोई आतंकवादी नहीं हैं, वे बस तीर्थयात्री हैं।’ उन्होंने पूछा, ‘सबरीमला में धारा 144 लगाने की क्या आवश्यकता है?’ मंत्री ने कहा कि मंदिर परिसर में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सबरीमाला में बुनियादी सुविधाओं के लिए 100 करोड़ रुपए मुहैया कराए हैं।
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