देश की प्रगति में बाधक जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करें: उपराष्ट्रपति

आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial

पराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज जातिवाद, कट्टरपंथ, भ्रष्टाचार और भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का आह्वान किया, जो समाज और राष्ट्र की प्रगति में बाधक हैं।

नई दिल्ली में श्री धार्मिक लीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला दशहरा समारोह में उपस्थित लोगों को आज संबोधित करते हुए उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सकारात्मक सोच विकसित करें और बच्चों में विशेषकर छोटी उम्र में ही दयालुता, सहिष्णुता, खुशी, प्रेम, सहानुभूति, करुणा, शांति और आदर की भावना को बढ़ावा दें।

दशहरे के शुभ अवसर पर देश की जनता को शुभकामनाएं देते हुए श्री नायडू ने कहा कि दशहरा ऐसा दिन माना जाता है जब भगवान राम ने असुरों के राजा रावण को पराजित किया था और साथ ही देवी दुर्गा ने दुनिया को महिषासुर राक्षस से मुक्ति दिलाई थी।

इसके बावजूद कि कौन किस महाकाव्य पर विश्वास रखता है, यह स्पष्ट है कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय, पाप पर नेकी और सद्गुणों की विजय का प्रतीक है। यह इस सार्वभौमिक सत्य को स्‍वीकार करने का समारोह है कि अंत में सच्चाई की जीत होती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि दशहरा अनन्‍त मानवीय मूल्यों और नैतिकता का समारोह है। यह अधर्म पर धर्म की विजय का समारोह है। भगवान राम का साम्राज्य जिसे एक आदर्श साम्राज्य माना जाता था, उसके सदगुणों की सराहना करते हुए श्री नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी, जिनकी 150वीं जयंती इस वर्ष दुनियाभर में मनाई जा रही है, ने भारत में राम राज्य के लक्ष्य का सपना देखा था।

यह कहते हुए कि राम राज्य में सदगुण, नैतिकता और न्याय पर आधारित समाज की परिकल्‍पना की गई थी, उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी के लिए राम राज्य एक ऐसा राज्‍य था जहां राजा और रंक दोनों को समान अधिकार मिलें।

रामायण को समूची मानवता की धरोहर बताते हुए श्री नायडू ने इस अमर महाकाव्य के प्रति अपनी समझ को सुरक्षित रखने, उसे बढ़ाने और गहरा करने के लिए समर्पित प्रयास करने का आह्वान करते हुए कहा कि देशभर में लोग राम को अपनाते हैं। वे राम कथा से करीब से जुड़े हैं और अपनी पहचान बनाते हैं।

उपराष्ट्रपति ने सभी को रामायण के मूल्यों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि रामायण हमें दुनिया, समाज और परिवार के प्रति अपने कर्तव्य याद दिलाती है और सभी मनुष्यों के एक-दूसरे के साथ और मातृभूमि, प्रकृति, पक्षियों और पशुओं के साथ संबंधों को परिभाषित करती है। उन्होंने कहा कि विश्व शांति और समृद्धि की भयानक चुनौतियों के वर्तमान वैश्विक संदर्भ में रामायण के संदेश की नई प्रासंगिकता है।

उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे राम के जीवन से सबक सीखें और मिलकर रहने की शैली अपनाएं तथा शांति और समग्र विकास के रास्ते पर चलें।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि न्याय, सुशासन और जन-कल्याण के लिए अटल प्रतिबद्धता हमें एक राष्ट्र के रूप में अपनी यात्रा में प्रेरणा देती रहेगी और हमें सभी मोर्चे पर तेजी से प्रगति करने में मदद करेगी।

इस बात पर जोर देते हुए कि त्यौहार हमारे देश की मिली-जुली संस्कृति और समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं, श्री नायडु ने कहा कि ये खुशियां फैलाते हैं और प्रकृति के साथ मनुष्य के संबंधों को मजबूत बनाते है।

इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, श्री धार्मिक लीला समिति के महासचिव श्री धीरज धर और अन्य लोग मौजूद थे।

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