INN/New Delhi, @Infodeaofficial
सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति में क्रांति लाने और भाषा, अभिव्यक्ति एवं कंप्यूटर संबंधी दृष्टिकोण में मूलभूत मॉडलों का एक समूह विकसित करके नागरिकों के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डिज़ाइन की गई जेनरेटिव एआई से संबंधित एक अग्रणी पहल ‘भारतजेन’ का उद्घाटन आज नई दिल्ली में केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग एवं अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की वर्चुअल उपस्थिति में किया गया।
उद्घाटन के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “भारतजेन स्वदेश में विकसित प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है। यह यूपीआई और विभिन्न क्षेत्रों को बदल देने वाले अन्य नवाचारों से संबंधित हमारी उपलब्धियों की तरह ही भारत को जेनरेटिव एआई के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करता है।”
उन्होंने कहा कि यह पहल सरकार द्वारा वित्त पोषित दुनिया की पहली ‘मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल’ परियोजना है, जो भारतीय भाषाओं में कुशल और समावेशी एआई बनाने पर केन्द्रित है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतरविषयी साइबर-भौतिकी प्रणाली से संबंधित राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के तहत आईआईटी बम्बई के नेतृत्व में यह पहल एक ऐसी जेनेरिक एआई प्रणाली बनाएगी जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाले मूल पाठ (टेक्स्ट) और मल्टीमॉडल कंटेंट सृजित कर सकती है। इस परियोजना का कार्यान्वयन आईआईटी बम्बई में आईओटी तथा आईओई से संबंधित टीआईएच फाउंडेशन द्वारा अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के अकादमिक भागीदारों के साथ किया जाएगा। इन अकादमिक भागीदारों में आईआईटी बम्बई, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मंडी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएम इंदौर और आईआईटी मद्रास शामिल हैं। इस अवसर पर प्रोफेसर गणेश रामकृष्णन के नेतृत्व में कंसोर्टियम संकाय सदस्यों के साथ आईआईटी बम्बई के निदेशक प्रोफेसर शिरीष केदारे भी उपस्थित थे।
‘भारतजेन’ भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को प्राथमिकता देकर सार्वजनिक हित के रूप में जेनेरिक एआई मॉडल और उनके अनुप्रयोगों को संभव बनाएगा। यह भारत की सामाजिक समानता, सांस्कृतिक संरक्षण और भाषाई विविधता जैसी व्यापक जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि जेनेरिक एआई समाज के सभी वर्गों तक पहुंचे।
डीएसटी सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, “भारतजेन एआई को सभी नागरिकों के लिए सुलभ बनाने के लक्ष्य के अनुरूप है। एआई का उपयोग न केवल औद्योगिक एवं वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए बल्कि सांस्कृतिक संरक्षण और समावेशी प्रौद्योगिकीय विकास जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए भी किया जाता है।”
‘भारतजेन’ की चार प्रमुख विशिष्ट विशेषताओं में फाउंडेशन मॉडल की बहुभाषी एवं मल्टीमॉडल प्रकृति; भारतीय डेटा सेट आधारित निर्माण एवं प्रशिक्षण; ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म और देश में जेनेरिक एआई अनुसंधान के एक इकोसिस्टम का विकास शामिल है। विभिन्न सरकारी, निजी, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को लाभ पहुंचाने की योजना के साथ इस परियोजना के दो वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है।
‘भारतजेन’, भारत के विविध भाषाई परिदृश्य में कवरेज सुनिश्चित करते हुए मूल पाठ और अभिव्यक्ति संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा। बहुभाषी डेटासेट पर प्रशिक्षण द्वारा, यह भारतीय भाषाओं की बारीकियों को गहराई से पकड़ लेगा, जिन्हें अक्सर वैश्विक एआई मॉडल में कम दर्शाया जाता है। इसके अलावा, वैश्विक डेटासेट पर निर्भर मॉडलों के विपरीत, ‘भारतजेन’ भारत-केन्द्रित डेटा एकत्र करने और क्यूरेट करने की प्रक्रियाओं को विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित करता है, जिससे देश की विविध भाषाओं, बोलियों और सांस्कृतिक संदर्भों का सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है। डेटा संबंधी संप्रभुता पर यह जोर अपने डिजिटल संसाधनों एवं थाती पर भारत के नियंत्रण को मजबूत करता है।
विशेष रूप से भारत के लिए तैयार किए गए मूलभूत एआई मॉडल के निर्माण से संबंधित ‘भारतजेन’ आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। भारत के भीतर एआई प्रौद्योगिकियों को विकसित करके, भारतजेन विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करता है और स्टार्टअप, उद्योगों और सरकारी एजेंसियों के लिए घरेलू एआई इकोसिस्टम को मजबूत करता है। मूलभूत मॉडलों और विस्तृत तकनीकी विधाओं के माध्यम से एआई की सुलभता का लोकतंत्रीकरण करके यह नवप्रवर्तकों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप को एआई अनुप्रयोगों को जल्दी और किफायती तरीके से बनाने की अनुमति देता है।
‘भारतजेन’ की एक मुख्य विशेषता खासतौर पर सीमित डिजिटल उपस्थिति वाली भारतीय भाषाओं के संदर्भ में डेटा के मामले में कुशल शिक्षण पर ध्यान केन्द्रित करना है। मौलिक अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग के जरिए, यह पहल ऐसे मॉडल विकसित करेगी जो न्यूनतम डेटा के साथ प्रभावी हों, जोकि वैश्विक एआई पहलों द्वारा अनदेखी की गई भाषाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ‘भारतजेन’ प्रशिक्षण कार्यक्रमों, हैकथॉन और वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सहयोग के माध्यम से एआई से जुड़े अनुसंधान में संलग्न एक जीवंत समुदाय को भी बढ़ावा देगा।
भविष्य की ओर देखते हुए, ‘भारतजेन’ जुलाई 2026 तक प्रमुख उप्लाधियां हासिल करने की रूपरेखा तैयार करता है। इनमें व्यापक एआई मॉडल का विकास, प्रयोग और भारत की जरूरतों के अनुरूप एआई बेंचमार्क की स्थापना शामिल है। ‘भारतजेन’ उद्योग जगत और सार्वजनिक पहलों में एआई को व्यापक रूप से अपनाने पर भी ध्यान केन्द्रित करेगी।
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