फिर से एक बार बिहार से बह रही है बदलाव की बयार: नीरज यादव

Ritesh Ranjan, INN/Bhagalpur, @royret
हते है की परिवर्तन प्रकृति का स्वभाव है लेकिन कभी-कभी यह परिवर्तन इतिहास को दुहराता हुआ नज़र आता है। वर्ष 2024 के चुनाव मे परिवर्तन का असर अभी से दिखना शुरू हो गया है। इसके उदाहरण के तौर पर बिहार से उठ चुकी बदलाव के बयार को देखा जा सकता है। अब वह दिन दूर नहीं जब इसका असर देशभर में देखने को मिलेगा।
गौरतलब है कि 1975 में आजादी के बाद जब देश ने पहली आपातकाल को देखा था उस समय भी जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में इसके खिलाफ सबसे जोरदार और असरदार आवाज़ बिहार से ही उठी थी। आज भी कमोबेश वैसी ही स्थिति है। फर्क बस इतना है कि तब घोषित आपातकाल था और अब अघोषित आपातकाल है।
लेकिन इस अघोषित आपातकाल के खिलाफ भी बिहार के दो ओजस्वी नेता तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ने भी विरोध का बिगुल फूँक दिया है। यह कहना आरजेडी के वरिष्ठ नेता नीरज यादव का।
विपक्ष को एकजुट करने में जुटे नितीश कुमार और तेजस्वी यादव के प्रयास को भगीरथ प्रयास बताते हुए आरजेडी के पूर्व विधायक नीरज यादव इन्फोडिया के साथ खास बातचीत में बताया की बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपने इस प्रयास के तहत नयी दिल्ली जाकर विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के नेताओ से मुलाकात कर रहे है।
विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन जो नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सके.?
पूर्व विधायक ने बड़ी शालीनता से कहा कि हमारे आगे अभी लक्ष्य भाजपा को केंद्र की सत्ता से बहार करने का है और उसके लिए सबको मिलकर प्रयास करने की जरुरत है। नरेंद्र मोदी के टक्कर में कौन यह प्रोपोगेंडा मीडिया द्वारा चलाया गया है जिसका जवाब समय आने पर दिया जाएगा। मीडिया और भाजपा सरकार इन मुद्दों में उलझाकर लोगों का ध्यान महत्वपूर्ण और बुनियादी मुद्दों से हटाना चाहती है। अभी हमारा सारा ध्यान इस बात पर केंद्रित है की किस तरह से देशभर में भाजपा के खिलाफ खड़ी शक्तियों को एक साथ लाया जाय और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया जाय।
क्या आप मानते है की EVM टेंपरिंग की जा सकती है, यदि हा तो इससे कैसे निबटेंगे आप ?
मैंने कई जगह इस बात को सुना है की EVM टेंपरिंग की जा सकती है। हालांकि अधिकांश लोगों का यही कहना है की 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी का पूर्ण बहुमत न पाना इसके पीछे EVM टेंपरिंग का हाथ है। लेकिन यह खेल केवल 200-250 मतों का अंतर दिला सकता है इससे ज्यादा करने पड़ उनकी चोरी पकड़ी जाएगी। मेरे क्षेत्र में मेरे कितने वोटर है इसकी जानकारी मुझे अच्छी तरह से है। किस मोहल्ले और किस घर से मुझे कितना वोट मिलेगा और किस घर से नहीं इसकी जानकारी मुझे और मेरे कार्यकर्त्ता को अच्छी तरीके से है। अब जब महागठबंधन बन गया है तो ऐसे में वोटिंग एकतरफा होगी जब वोटों का अंतर बड़ा होगा ऐसे में टैंपरिंग का कोई फायदा नहीं मिल पाएगा।
भाजपा से मोहभंग हो रहा है लोगों का
महागठबंधन के साथ आने के बाद बिहार में भाजपा अछूत सी हो गयी है। सत्ता हाथ से जाने के बाद अब इनके नेताओं की कोई पूछ नहीं रह गयी है। रही बात चेहरे की तो बिहार में भाजपा का कोई ऐसा नेता नहीं है जिसे मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर भाजपा दाव खेल सके। डबल इंजन की सरकार के नाम पर अबतक इन्होने बिहार की जनता को बेवकूफ ही बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा तभी होता है जब यहाँ लोकसभा, विधानसभा चुनाव हो या फिर कोई बड़ा कार्यक्रम हो। हर दौरे में लोकलुभावन वादे जिनमें से अब तक एक भी पूरा नहीं हुआ है। यही कारण है की पिछले विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने एनडीए गठबंधन से इतर आरजेडी पर ज्यादा भरोसा किया। बिहार के युवा तेजस्वी यादव से ज्यादा अपेक्षा रखते है और उन्हें भरोसा भी है कि तेजस्वी उन्हें निराश नहीं करेंगे।
क्या कारण है की जेडीयू को दुबारा महागठबंधन में आना पड़ा ?
मौजूदा दौर की भाजपा के चरित्र को गौर से अध्यन कीजियेगा तो एक बात स्पष्ट रूप से समझ आएगी की भाजपा जिस किसी भी राज्य में सहयोगी दल के साथ सरकार बनती है वह खुद को मजबूत करती है और अपने सहयोगियों के साथ षड़यंत्र करके उन्हें कमजोर या खतम करने की कोशिस करती है। इसके उदाहरण आपको महाराष्ट्र, पंजाब, में देखने को मिले है और बिहार में यह खेल काफी समय से चल रहा था लेकिन नितीश कुमार ने समय रहते बजी पलट दी। बिहार में एनडीए गठबंधन में होने के बावजूद किसकी शह पर चिराग पासवान ने केवल जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे और जेडीयू केवल 43 सीटों पर सिमट कर रह गयी। यही नहीं भाजपा के नेता काफी समय से इस प्रयास में लगे हुए थे की जेडीयू के विधायकों को तोड़ वह अपनी सरकार बनाये। नितीश कुमार जी पास उनकी कॉल रिकॉर्डिंग भी है, जिसे समय आने पर सार्वजानिक किया जाएगा।

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