रीतेश रंजन, आईआईएन/चेन्नई, @Royret
तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व में गठित डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट डीसीएफ द्वारा 2 फरवरी को नागरिकता अधिनियम के खिलाफ सिग्नेचर कैंपेन शुरू किया गया। शनिवार को इस अभियान के आखिरी दिन डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा की अबतक इस अभियान में दो करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किये है। उनोहने डीसीएफ के सभी घातक डालो को धन्यवाद दिया की उनकी वजह से यह संभव हो पाया है।
जी हिंदुस्तान की टीम से ख़ास बातचीत में डीएमके दस प्रवक्ता ने बताया की हम एक करोड़ का आकड़ा लेकर चले थे लेकिन हमे उसके दुगुने से भी ज्यादा मिला। यह साफ़ करता है की तमिलनाडु की जनता ने इस नागरिकता अधिनियम को नकार दिया है। उनोहने कहा की केंद्र सर्कार जो कर रही है उसका उद्देश्य लोगो को बाटना है। वह धर्म के आधार पर लोगो को बाटने में लगी हुई है।
भाजपा ने अपने घोसना पत्र में कहा है की वह एनआरसी और एनपीआर लाएंगे और गृह मंत्री ने संसद में भी यह कहा की वह अब पीछे नहीं हटेंगे इसे लागू कर्नेगे जो ऑन रिकॉर्ड है। इसलिए प्रधान मंत्री एक तरफ लोगों को भ्रमित करने में लगे हुए है तो दूसरी तरफ शाह आरएसएस के दिखाए रह पर चल रही है।
डीसीएफ की के सभी सहयोगी पार्टी एमडीएमके, वीसीके, कांग्रेस, लेफ्ट व अन्य पार्टियों ने इस अभियान के तहत लोगों से हस्ताक्षर लिया गया जिसमें वे लोग सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं।
डीएमके और उसकी सहयोगी दल यह मानती है कि सीएए संविधान के मुल्यों के खिलाफ नहीं है। वहीं उनका यह भी कहना है कि तमिलनाडु सुनामी, बाढ, वर्धा, जैसे कई प्राकृतिक आपदाओं को झेल उनसे उबरने की कोशिस कर रहा है।
जिन लोगों ने इन अपादाओं में अपना घर—बार सबकुछ खो दिया उनके पास अगर उनकी नागरिकता को साबित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र या अन्य दस्तावेज मांगे जाय तो इससे ज्यादा जादती इनके साथ और क्या होगी। जहां एक तरफ इनके साथ प्रकृति ने जादती की तो दूसरी ओर सरकार बजाय मरहम लगाने के उन घावों को ताजा करने पर उतारु है।
इस अभियान में डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन स्वयं जुड़े रहे हैं। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र कोलातूर से इस हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की।
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