तेज बारिश, ठंड, तूफान और रात के अंधेरे में समुंद्र में फंसा था जहाज

राजीव रंजन शर्मा, आईएनएन/पटना, @infodeaofficial

हवा के साथ उड़ गया घर उस परिंदे का।
कैसे बना था घोंसला वो तूफान क्या जाने।।

क समुद्री तूफान आता है 13 अक्टूबर 2017 को भारतीय समयानुसार रात 1.30 बजे फिलीपींस के पूर्वी तट से 280 किलोमीटर दूर फिलीपींस सागर में। उस तूफान के भंवर में फंस जाता है 26 भारतीयों दल वाला एक भारतीय मालवाहक जहाज एमल्ड स्टार। जो 55,000 टन निकल अयस्क लेकर निकला था। तूफान इतना तेज की समुद्र की लहरें लगभग 3 मीटर ऊंची उठने लगी एमल्ड स्टार को निगलने के लिए। ऊपर से रात का अंधेरा, तेज बारिश और भारी ठंड भी तूफान का साथ दे रहे थे।

स्थिति को भांपते हुए जहाज के कप्तान राजेश रामचंद्रन नायर ने अलार्म बजाया और सभी को जीवन रक्षक जैकेट पहनने के लिए अलर्ट किया। स्थित को और भयावह देखते हुए लोगों को डेक पर आने और जहाज को छोडऩे के लिए बोला गया। डेक पर आने के क्रम में कुछ लोग तेज तूफान और बारिश के कारण फिसल कर समुद्र में गिर गए, तो कुछ लोगों को लगा अब स्थित अनियंत्रित है इसलिए वो जान बचाने के लिए खुद समुद्र में छलांग लग दिए।

जब इस घटना का संदेश जापानी तटरक्षक को प्राप्त हुआ तो वे एमल्ड स्टार की आखिरी स्थित पता कर मदद के लिए पहुंचे। जहां नाविक तूफान, अंधेरा, बारिश और ठंड से अपने जीवन की लड़ाई लड़ रहे थे। तूफान ने एमल्ड स्टार को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। ये सब इतनी जल्दी हुआ कि जीवन रक्षक तक को समुद्र में उतारने का समय नहीं मिला।

समुद्री तटरक्षक द्रारा 16 लोगों को सुरक्षित बचाया जा सका। जबकि 10 लोग अभी भी लापता हैं।  सुरेश कुमार सुब्रमण्यम के दामाद सरवनन पलनीवेल ने कहा सुरेश कुमार अभी भी गायब है। उन्होंने लोगों को मौत के मुंह में जाते समय का वो भयानक दृश्य बताया। उन्होंने बताया कि ठंड इतनी ज्यादा थी कि बचाव दल द्वारा जो रस्सी फेंकी जा रही थी, ठंड के कारण वो रस्सी तक पकडऩे में असमर्थ थे। 7 बार में उन्होंने रस्सी पकड़ी और खुद को नया जीवन दान दिया।

उन्होंने बताया कितने लोगों को रस्सी फेंका गया पर वो पकड़ नहीं पाए और खुद को हम सब से दूर और मौत के करीब चल गए। तूफान से जहाज में पानी प्रवेश करने लगा था जिसमें जहाज के अंदर ही 4 लोगों को मौत ने रास्ता रोक लिया। वे बाहर ही नहीं निकल पाए।

मु य अभियंता राजपूत श्याम सिंह, दूसरे अधिकारी राहुल कुमार, मालवरन सिलमारसन, मुरुगन गोथक, गिरिधर कुमार, कप्तान नायर राजेश रामचंद्रन, पेरुमाल्सामी गुरुमूर्ति, कनीय अभियंता चौहान अशोक कुमार, बेविन थॉमस और सुभाष सुरेश कुमार जो हाल ही में डीएनए परीक्षण में मृत घोषित कर दिए गए हैं।

इस घटना ने इन 10 लोगों को हमेशा के लिए अपने परिवार से दूर कर दिया वे अपने परिवार के लोगों की आंखों को हमेशा के लिए नम बनाकर चले गए। इस तूफान ने श्री गिरिधर कुमार को भी हमेशा के लिए अपने परिवार से दूर कर दिया जो अपनी एक माह की नवजात बच्ची से इस यात्रा के बाद मिलने आने वाले थे। वह बच्ची शायद अब पूरी जीवन अपने पापा का चेहरा तक नहीं देख पाएगी।

जहां ये घटना घटित हुई है उसके आसपास बहुत सारे छोटे छोटे टापू हैं। मृतकों के परिजनों का कहना है कि हो सकता है वो मरे नहीं हो और इन टापूओं पर किसी तरह पहुंच कर खुद को सुरक्षित किया हो क्योंकि वो जीवन रक्षक जैकेट भी पहने हुए थे। परिजनों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से खोज के लिए आग्रह किया। इस पर भारतीय नौसेना ने खोज में मदद के लिए विमान भी भेजना चाहा। पर खराब मौसम का हवाला देकर उसने भी पल्ला झाड़ लिया।

परिजनों को कुछ ज्योतिषों ने भी उन सबके सुरक्षित होने की बात कही है। ऐसे ज्योतिष विद्या को अंधविश्वास की श्रेणी में रखा जाता है पर परिवार के लोगों ने पांच छ: ज्योतिषों से मुलाकात की। अलग अलग ज्योतिषों नेे एक ही बात उन लोगों को जिंदा होने की कही। जिस से परिवार के लोगों को लगता है कि वास्तव में वे मरे नहीं है और कहीं न कहीं खुद को सुरक्षित किया है। भारत सरकार से बार बार खोज की गुंजाइश लगने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

अब सरकार द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है। क्या सरकार को नहीं चाहिए कि मृतकों के परिवार के लोगों की बात को ध्यान में रखते हुए, उनको पूर्ण भरोसा के लिए, उनकी संतुष्टि के लिए पुन: खोज अभियान चलाना चाहिए। क्या पता शायद फिर से किसी परिवार के चेहरे पर मुस्कान वापस आ जाए। एक जनतांत्रिक व्यवस्था में जनता की भलाई के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। अगर नेताओं को पूर्ण बहुमत की सरकार चाहिए तो क्या जनता को पूर्ण भरोसे की सरकार नहीं चाहिए?

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