दक्षिण भारत की सर्वाधिक सफल योजना का स्याह पक्ष

-आंध्रप्रदेश में मीडडे मील योजना में 4.5 लाख फर्जीनाम

-तमिलनाडु, केरल व कर्नाटक में योजना को आधार कार्ड से जोडऩे के काम अंतिम चरण में

आईएनएन, नई दिल्ली ; @infodeaofficial

मिलनाडु एक ऐसा प्रदेश है जहां सबसे पहले 1962 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कामराज के प्रयास से राज्य के बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए स्कूलों में मीडडे मील योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन घरों के बच्चों को शिक्षा से जोडऩा था जहां दो वक्त की रोटी की समस्या होती है। इस योजना के प्रारंभ में इसका काफी प्रभाव राज्य की जनता पर देखा गया। जो लोग पहले अपने बच्चेको काम पर ले जाते थे वे अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने लगे। इससे उनका दो तरफा फायदा होने लगा पहला उनके बच्चों की भूख की समस्या दूर हुई दूसरा वे पढ़ लिख कर बेहतर भविष्य बनाएंगे। अपने मां-बाप की तरह मेहनत मजदूरी के काम को छोड़ देंगे। 1982 उस वक्त के मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन ने इस योजना को और गंभीरता से कार्यानवन में लेकर आए जिससे स्कूली बच्चों दोपहर के भोजन में पोषक तत्व मिलना शुरू हुआ। तमिलनाडु के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल जिन्होंने एजीआर के दौर में इस योजना पर काम किया था उनका कहना है कि एमजीआर ने इस योजना पर काफी जोर-शोर से काम किया जिसका नतीजा यह हुआ कि राज्य के स्कूलों में बच्चों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। एमजीआर ने अपने कार्यकाल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के पूरी तरह से कार्यान्वयन के लिए काफी जोर लगाया। जिसका असर उस दौर में राज्य के साक्षरता प्रतिशत पर भी पड़ा। यह वह दौर था जब राज्य के युवा स्कूल की पढ़ाई खत्म कर कॉलेज में पढऩे के लिए काफी उत्साहित हो रहे थे।
कर्नाटक के स्कूलों में विशेष अभियान
वहीं कर्नाटक में करीब 85 प्रतिशत विद्यार्थियों का आधार कार्ड डेटा स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम विभाग ने एकत्र किया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में एक करोड़ छात्रों में से 85 लाख विद्यार्थियों के आधार कार्ड विवरण एकत्र कर लिए गए हैं, जिसे संबंधित विभाग के पास उनकी वैधता की जांच के लिए भेजा गया है। बेंगलुरु के स्कूली शिक्षा विभाग संघ के सचिव शशि का कहना है कि पहले हमने इस पहल का विरोध किया था। लेकिन इसके फायदों के बारे में जानकारी मिलने के बाद हम इसके समर्थन में आ गए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों के आधार कार्ड विवरण के लिए स्कूलों में एक विशेष अभियान की शुरुआत की, जिसके तहत विद्यार्थियों का आधार कार्ड बनवाया गया।
मीडडे मील स्कीम को आधार से जोडऩे की योजना में तमिलनाडु भी पीछे नहीं
सभी सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के आधारकार्ड बनाकर उसे मीड डे मील स्कीम से जोडऩे के केंद्र सरकार के इस प्रयास में तमिलनाडु भी पीछे नहीं है। यह कहना है तमिलनाडु के सामाजिक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव के मणिवासन ने पत्रिका को बताया कि यहां के सरकारी स्कूलों के ९०-९५ प्रतिशत छात्रों को आधारकार्ड की योजना से जोड़ लिया गया है। जो बचे हुए हैं वह सूदूर ग्रामीण क्षेत्र में आते है जो हमारी आउटसोर्स एजेंसी की पहुंच से दूर है। इसलिए काम में देरी हो रही है। वहीं हर साल इस योजना के तहत नए विद्यार्थियों के आधार कार्ड बनवाने और जोडऩे की जटिल प्रक्रिया को सरल करने के लिए अब राज्य सरकार एजेंसी के अलावा आंगनवाड़ी के सदस्यों को इस काम का प्रशिक्षण उन्हें तैय्यार करेगी ताकि हम गांव गांव तक पहुंच कर स्कूली विद्यार्थियों को इस योजना से जोड़े। इस योजना के लाभ पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अबतक इस योजना के तहत विद्यार्थियों की पहचान आधार कार्ड के जोडऩे पर कुल संख्या में एक लाख की कमी आई जो सूची में फर्जी नाम की कटौती को दर्शाता है। लिए तैय्यार करने में लगी हुई है। तमिलनाडु सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक संघ के अध्यक्ष सामी सत्यमूर्ति का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों में आधार कार्ड के प्रति जागरूकता का आभाव है। इसके साथ ही आधार कार्ड केंद्र की कमी और ग्रामीण इलाकों से काफी दूर होने के कारणभी अभी भी काफी विद्यार्थियों को इस योजना के तहत जोड़ा नहीं जा सका है, जिसपर काम चल रहा है और जल्द ही इसे भी पूरा कर लिया जाएगा।
4.5 लाख ऐसे नाम जो फर्जी थे 
आंध्रप्रदेश में आईटी क्रांति लाने वाले मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार के आदेश के बाद तत्काल प्रभाव से मीडडे मील योजना के तहत सभी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का आधार कार्ड लिंक करवा दिया है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर आंध्रप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां अबतक 100 प्रतिशत विद्यार्थियों के आधार कार्ड लिंक करा दिए गए हैं। इस लिंकिंग अभियान के बाद कई खुलासे सामने आए जो चौंकाने वाले थे। आधारकार्ड लिंक करने के अभियान में राज्य के लगभग 20 लाख विद्यार्थियों का आंकड़ा सरकार के पास आ चुका है। इस आंकड़ें को तैयार करने के दौरान पता चला कि मीडडे मील अभियान में करीब 4.5 लाख ऐसे नाम थे जो फर्जी निकले थे। स्कूलों में इन नामों के आधार पर मीडडे मील योजना के तहत खाद्य सामग्री मंगवाई जाती थी जो केवल कागजों में थे। हकीकत में इन बच्चों का नामों निशान ही नहीं था।
केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन से पहले ही हुई योजना की शुरूआत
केरल के स्कूली शिक्षा विभाग के एक अधिकारी सजी कृष्णन का कहना है कि केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन से पहले ही केरल में विद्यार्थियों के आधार कार्ड लिंकिंग के अभियान को शुरू कर दिया गया था। यह अभियान केरल में वर्ष 2015 से शुरू है और अबतक उन्होंने 98 प्रतिशत बच्चों का आधार कार्ड डेटा सरकारी वेबसाइट से लिंक कर दिया है। सुदूर और ग्रामीण क्षेत्र में आधार कार्ड मशीन की सुविधा नहीं होने के कारण शेष दो प्रतिशत का काम अबतक पूरा नहीं हो पाया है। जिसे जल्द ही पूरा कराने पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केरल में यह अभियान पिछले दो सालों से चल रहा है इसलिए अबतक के प्राप्त रिकार्ड में से यहां किसी प्रकार के फर्जी सूची की बात सामने नहीं आई है। बचे हुए दो प्रतिशत को पूरा करने के लिए सरकारी कर्मचारी रविवार व छुट्टी के दिन भी काम पर लगे रहते हैं।
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