विश्व गुरु बनने के लिए जड़ों की ओर लौटना जरूरी: अश्वनी चौबे

Ritesh Ranjan/Chennai, @royret 

गर मैं आपसे यह कह दूं कि अपने चेहरे का तेज और सुंदरता बढ़ाने के लिए आपको रोज सुबह उठकर के सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए तो क्या आप विश्वास करेंगे? लेकिन वही जब कोई फिल्मी सितारा आपको किसी विज्ञापन में बताए कि फेयर एंड लवली या कोई अन्य विदेशी ब्रांड का क्रीम इस्तेमाल करने से आपके चेहरे की सुंदरता निखर जाएगी तो आप फट से मान लेंगे। यही हमारा दुर्भाग्य है। दुर्भाग्य इसलिए कि हमें अपने पौराणिक कार्य-विधियों के पीछे के विज्ञान के बारे में नहीं बताया गया। जैसे कि सूर्य को सुबह-सुबह जल चढ़ाने से हमारे चेहरे पर का तेज तो बढ़ता ही है इसका कोई दुष्प्रभाव हमारे ऊपर नहीं पड़ता। इसके विपरीत विदेशी या देसी क्रीम में कई प्रकार के हानिकारक रसायन मिले होने के कारण हमारी त्वचा को नुकसान पहुँचने की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसलिए मेरा मानना है कि भारत को यदि विश्व गुरु बनाना है तो हमें अपनी जड़ों की तरफ लौटना ही होगा।

आज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से यह संभव हो पाया है कि भारत की पौराणिक योग विद्या का अनुसरण पूरे विश्व में किया जा रहा है। मोदी जी ने सनातन धर्म के पीछे छिपे इसी वैज्ञानिक रहस्य के आधार पर भारत को विश्व गुरु बनाने का बीड़ा उठाया है।

केंद्रीय पर्यावरण और मौसम परिवर्तन विभाग के राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने एक विशेष साक्षात्कार में गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी को संपर्क की भाषा के रूप में इस्तेमाल करने के बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि भारत में अधिकांश लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं और भारत के लोगों को एक सूत्र में बांधने के लिए जरूरी है कि हिंदी का ज्ञान सभी को हो। इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य भाषा को प्रमुखता नहीं दी जा रही है। उन्होंने अमित शाह के एक बयान का जिक्र करते हुए बताया कि भारत के लोगों को भारत में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए। जिससे कि हम उस प्रदेश की संस्कृति को समझ सकें।

मेरा जब भी तमिलनाडु का दौरा होता है तब मेरा यही प्रयास रहता है कि यहां से दो चार तमिल के शब्द लिखकर और सीखकर ही जाऊं। मैं चाहता हूं कि दक्षिण भारतीय भाषाओं की शिक्षा उत्तर भारतीय विद्यालयों में भी वैकल्पिक विषय के रूप में दी जाएँ। उत्तर भारत में रहने वाले लोग जिन्हें दक्षिण की भाषाओं में रुचि है वह इन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर सकें।

हमारी सरकार का यह कतई प्रयास नहीं है कि हम हिंदी को दूसरों पर थोपें लेकिन हमारा यह प्रयास है कि संपर्क भाषा के रूप में एक ऐसी भाषा अवश्य हो जो देश के सभी राज्यों को एकता के सूत्र में पिरो सके। लेकिन दुखद बात यह है कि कुछ राजनैतिक पार्टियां अपना राजनैतिक स्वार्थ साधने के लिए जनता के सामने इस मुद्दे को गलत तरीके से पेश करने मे लगी हुई हैं।

उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के विध्वंस का जिक्र करते हुए बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था। जहां विदेशों से लोग पढ़ने के लिए आते थे। विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे इस ज्ञान कुंज को इसलिए नष्ट कर दिया ताकि वह हमें अपना गुलाम बना सकें और अपनी सभ्यता और संस्कृति को हम पर थोप सकें। विदेशी आक्रमणकारियों ने इसलिए हमारे कई मंदिरों और इबादतगाहों को ध्वस्त कर दिया। अयोध्या का राम मंदिर उसका एक ज्वलंत उदाहरण है। देश में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलेंगे जो धीरे-धीरे अब लोगों के सामने आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी अपने कुछ रिच हेरिटेज को पुनः प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध है।

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। तमिलनाडु की राजनैतिक पार्टियां और यहां के अधिकांश लोग इनकी रिहाई के लिए काफी सालो से प्रयास कर रहे थे। उन्होंने एक वीडियो का जिक्र करते हुए बताया कि राजीव गांधी हत्याकांड में राजीव गांधी के साथ जिन लोगों ने अपनी जान गवाई उनके परिवार वालों को यह फैसला नागवार गुजरा। क्योंकि उनकी नज़रों में राजीव गांधी के हत्यारों को उनके इस कुकृत्य के लिए कभी क्षमा नहीं किया जा सकता। इनके इस कुकृत्य के कारण हमने अपने देश का प्रधानमंत्री खोया है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे चेन्नई में दक्षिणी राज्यों के नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम और मिलियन प्लस सिटीज चैलेंज फंड के दो दिवसीय रिव्यू वर्कशॉप पर एक संगोष्ठी में हिस्सा लेने आए थे। चौबे बताते हैं कि मौजूदा समय में वायु प्रदूषण मानव जीवन के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। पिछले दो दशकों से यह हमारे सामने एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है। औद्योगिक विकास और आर्थिक लाभ के लिए हमने पर्यावरण का काफी नुकसान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हमें स्वच्छ जल और नील गगन का नारा दिया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आज की संगोष्ठी उसी योजना का हिस्सा है। तमिलनाडु सरकार ने भी इस दिशा में कई प्रयास किए हैं और केंद्र सरकार के साथ मिलकर के अन्य योजनाओं पर भी काम कर रही है।

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