मुजफ्फरपुर से न्यूयोर्क का सफर आसान नहीं था, मुश्किलें अभी भी कई है रहो में: डॉ. अभिलाषा
अमरिका के न्यूयार्क स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एनआईएच परियोजना में स्ट्रोक पैथोलॉजी पर शोध के लिए डा अभिलाषा का चयन किया गया है।
सुष्मिता दस, आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
बिहार की बेटी का शोध के लिए किया चयन, डा.अभिलाषा चली न्यूयार्क
कौन कहता है कि आसामन में छेद नहीं हो सकता जरा तबीयत से पत्थर तो फेंको यारो। बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली डा. अभिलाषा सिंह ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। बिहार के मुज्जफरपुर की रहने वाली डॉ. अभिलाषा सिंह ने ऐसा कर दिखाया है। अमरिका के न्यूयार्क स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एनआईएच परियोजना में स्ट्रोक पैथोलॉजी पर शोध के लिए डा अभिलाषा का चयन किया गया है।
इंफोडिया से हुई विशेष बातचीत में डॉ. अभिलाषा ने बताया कि उन्होंने चुनौतियों का सामना करना बचपन से सीखा है। बचपन में मां के गुजर जाने के बाद से उन्होंने खुद और परिवार की जिम्मेदारी को उठाया है। वो कहती है कि शादी से पहले उनके पिता और शादी के बाद उनके पति ने हर मौके पर उनका साथ दिया है।
डा अभिलाषा के नाम केवल यही नहीं बल्कि कई और उपलब्धियां है जो इनके अथक प्रयास को दर्शाता है। यूरोप के टॉप रैंकिंग यूनिवर्सिटी स्वीटजरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिक में भी डॉ. अभिलाषा का चयन यूरोपियन रिसर्च एवं टेनिंग ग्रांट के लिए भी हुआ है। यूरोपियन ग्रांट विश्वभर से हर साल पांच प्रतिभावान लोगों का चयन करता है जिन्हें यहां पढऩे और शोध करने का मौका मिलता है। डा. अभिलाषा उनमें से एक हैं। पेरिस कांग्रेस 2019 में उन्हें यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी की तरफ से रिसर्च एंड ट्रेनिंग ग्रांट सम्मान के लिए चुना गया है।
डॉ. अभिलाषा बताती है कि मुज्जफरपुर से न्यूयार्क का सफर डा.अभिलाषा के लिए आसान नहीं था। चुनौतियां अब भी उनके लिए कम नहीं है। डा. अभिलाषा के पिता शिवचंद्र सिंह बिहार बिजली बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी है। वह अपने घर में सबसे बड़ी है और उनके बाद दो भाई हैं।
बचपन से ही वह अपने प्रयासों से हर वह कुछ हासिल करती आई जिसकी उन्हें चाह थी। अपने स्कूल के समय से उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बिहार में बारहवीं की पढ़ाई कर राजनैतिक शास्त्र से स्नातक के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में अभिलाष ने दाखिला लिया।
लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और कुछ ही दिनों बाद उन्हें आगरा के दयालबाग इंस्टीट्यूट में विज्ञान विषय में ऑनर्स करने का अवसर मिला। इसके बाद उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई के लिए दक्षिण का रूख किया और सत्यभामा विवि में मास्टर्स के लिए दाखिला लिया और वहां भी उन्हें 2009 में सेकेंड यूनिवर्सिटी रैंक का खिताब मिला।
आपको यह बता दे की डा.अभिलाषा और उनके पति संजीव सिंह की मुलाकात सत्यभामा विश्वविद्यालय में ही हुई थी। वह कहती है की उनके पति आज जिस मक़ाम पर है उन बुलंदियों को चुने के लिए सीढिया भी उन्होंने खुद ही तैयार की है इसलिए वह मेरे हर फैसले में मेरा साथ देते है और यही कारण है की मै किसी भी चुनौती का सामना करने में खुद को कमजोर कभी नहीं समझती।
उसके बाद आईआईटी मद्रास में उन्होंने अपने शोध का काम पूरा किया और मद्रास विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल साइंस से अपनी पीएचडी पूरी की।
चुनौतियां अभी भी उनके लिए कम नहीं है, बिजनेसमैन संजीव सिंह से उनकी शादी साल 2013 में हुई और साल 2017 में दोनों को एक खूबसूरत बच्ची शिवांशी हुई। अब अपनी दो साल की बच्ची को छोड़कर पढ़ाई के लिए विदेश जाना अभिलाषा के लिए एक अलग चुनौती है। अब देखना यह है कि वह इस चुनौती को कैसे पार कर खुद को सफल साबित कर पाती हैं।