मनुष्यों में गुस्सैल प्रवृति आमतौर पर मांशाहारी भोजन का सेवन करने से आता है। यदि हमें इस गुस्से से छुटकारा पाना है तो शाकाहारी भोजन को अपनाना चाहिए।
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
एसएस शासून जैन महिला कॉलेज में शनिवार को आयोजित वल्ड वेज डे सेलिब्रेशन के मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए एआईएडीएमके विधायक डा. आर. नटराजन ने कहा कि मानसाहारी भोजन लोगों में तामसिक प्रवृति पैदा करता है। हमें इससे बचने की जरूरत है, इसके लिए यह जरूरी है कि हम शाकाहारी भोजन को अपनाए। उन्होंने कहा कि मै स्वयं शाकाहारी हुं, इसलिए यह बेहतर तरीके से बता सकता हुं कि शाकाहारी होने के क्या फायदे हो सकते हैं। किसी जानवर को मारकर खाने से सबसे बड़ा खतरा यह है कि उस जानवर में मौजूद रोग आपके शरीर में पहुच जाते है। इसलिए हमें मांसाहार से बचना चाहिए।
इस मौके पर वल्ड वेजिटेरियन कांग्रेस के पूर्व अंतरराष्ट्रिय अध्यक्ष एन. ताराचंद दुग्गड़ ने कहा कि हम पिछले 25 सालों से अपने कार्यक्रमों दृवारा लोगों को मांसाहार छोड़ शाकाहारी भोजन करने को जागरुक कर रहे हैं। हमारा यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। हम एसे कई जागरुकता कार्यक्रम करते आ रहे हैं जिसका उद्देश्य लोगों को मांसाहार से होने वाले नुकसान के बारे में बता उन्हें शाकाहारी बनने को प्रेरित करना है।हमरा मुख्य फोकस स्कूली बच्चों और कॉलेज के युवाओं में इस बात को लेकर जागरुकता लाने पर है। यही कारण है कि हम समय-समय पर स्कूली व कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए एसे कार्यक्रम का आयोजन करते रहते हैं।
वल्ड वेजिटेरियन कांग्रेस के नवनियुक्त अंतरराष्ट्रिय अध्यक्ष जयंतीलाल छल्लानी ने कहा कि जैन धर्म में भगवान महावीर ने सिखाया है कि हमे सभी जीवीत प्राणियों से प्रेम करना चाहिए और उनकी सुरक्षा करनी चाहिए। किसी भी जीव की हत्या को जैन धर्म में महापाप माना जाता है। इसलिए मै चाहता हुं कि लोग मांसाहार का त्याग कर शाकाहार भोजन को अपनाएं। उन्होंने बताया कि लोगों को शाकाहार के बारे में जागरुक करने के लिए उन्होंने कई योजनाएं तैयार कर रखीं हैं, जिसपर जल्द काम शुरू किया जाएगा। मांसाहार भोजन और उसके नुकसान के बारे में लोगों को जागरुक किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सरकार के दिशानिर्देश के बावजूद होटल व रेस्टोरेंटों के मीनु में शाकाहारी भोजन के आगे ग्रीन डॉट तथा मांसाहार के आगे ब्राउन डॉट संकेत नहीं लगाया जाता। हम उसपर भी कार्रवाई करने की योजना पर काम कर रहे हैं। मांसाहार भोजन तैयार करने में काफी मसाले और पानी की जरूरत होती है जो शरीर के लिए लाभकारी नहीं है जबकि शाकाहार भोजन पकाने में कम पानी और मसालों का नाम मात्र प्रयोग होता है।
इस मौके पर ड्राइंग एवं पेंटिंग प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी शामिल हुए। विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर कलाक्षेत्र फाउंडेशन की निदेशक रेंवती रामचन्द्रन, अभय कुमार जैन, डी. सुरेश जैन, एम. महावीर बोहरा, सुरेश रेड्डी, शांति सर्वोत्तमन समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
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