केंद्र सरकार घोसणा जमीनी स्तर पर किसानो को लाभ पहुंचाने के लिए नाकाफी: स्वामीनाथन
फसल बीमा को लेकर एम्. एस. स्वामीनाथन की प्रतिक्रिया
आईएनएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial;
जमीनी स्तर पर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जो घोषणाएं की वह नाकाफी है। किसानों की व्यथा और उनकी आर्थिक तंगी दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को न्यूनतम सर्मथन मूल्य बढ़ाया है। हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फसल बीमा को सुधारने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं वह संतोषजनक नहीं है।
हमारे देश में कृषि में आर्थिक और पारिस्थितिकीय स्थिति सही नहीं है। प्रोफसर स्वामीनाथन ने कहा कि देश भर में कर्ज से परेशान किसान या तो आत्महत्या कर रहा है या फिर रैली व प्रदर्शन कर रहा है। देश के किसानों की प्रमुख मांग रही है कि उनके कर्ज को माफ किया जाए और लाभकारी कीमत मिले। कृषि में स्थाई आमदनी और लाभ प्रमुखत: मानसून और बाजार पर निर्भर करता है।
बाजार समर्थन जो किसान की सबसे बड़ी जरूरत है इस नीति में तीन एकीकृत घटक होने चाहिए हैं। पहला न्यूनतम समर्थन मूल्य या सी2 + 50 प्रतिशत आधारित एमएसपी। दूसरा अनुकूल खरीद नीति ताकि किसानों को एमएसपी मिल सके। तीसरी खाद्य सुरक्षा अधिनियम, स्कूलों में नून मील योजना आदि योजनाओं का प्रभावी रूप से कार्यान्वयन कर खपत बढ़ाना। स्वामीनाथन का कहना है कि आज की घोषणा में कई जटिलताएं हैं।
घोषित एमएसपी भले ही अधिक हो पर अनुशंसा से कम है। अधिकतम एमएसपी स्वागतयोग्य है पर एमएसपी पर अपर्याप्त सार्वजनिक खरीद है। हालांकि यह चावल और गेहूं में नहीं है लेकिन दाल उगाने वाले किसानों के लिए स्थिति ऐसी नहीं है। नेशनल कमिशन ऑन फार्मस जो आय व स्थायित्व दोनों को सुधारने में मदद करता है उसकी अनुशंसा को लागू करने की जरूरत है।