इन्डोमिथाइसिन कोरोना रोग को ख़तम करने में काफी कारगर
चेन्नई के डॉक्टर और शोधार्थियों का दावा
इन्डोमिथाइसिन से उपचार करने से किसी प्रकार का साइडइफेक्ट नहीं
आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
देश- विदेश में कोरोना ने काफी कहर मचाया है। इसकी चपेट में आने से कई लोगों ने अपनी जान गावै है और कैयो ने अपबने चहेते को खोया है। पूरी दुनिया इस बीमारी से निजात पाने की खोज में लगी हुई है और इससे निजात पाने के लिए वैक्सीन इजात की गयी। लेकिन अभी भी इसके कई वेरिएंट सामने आ रहे है जिसपर इन वैक्सीन का कोई असर नहीं पड़ता है और व्यक्ति इस महामारी की चपेट में आ जाता है। हालाँकि कोरोना के मामलो में बीते कुछ समय में कमी आयी है लेकिन हाल के दिनों में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ने लगी है जो सरकार और आमजन पर चिंता की लकीर खींच रही है। इसी बीमारी पर शोध कर रहे चेन्नई के एक डॉक्टर ने दावा किया है की इन्डोमिथाइसिन दावा के शुरुआती दिनों में प्रयोग से कोरोना को मात दिया जा सकता है। हालाँकि केंद्र सरकार व स्वाथ्य मंत्रालय ने इस शोध पर अपनी मुहर नहीं लगायी है लेकिन शोधार्थी दावा करते है उनके इस उपाय ने कइयों की जान बचाई है।
किसी भी व्यक्ति में कोरोना सम्बंधित किसी प्रकार के लक्षण देखने को मिलते है तो उसे तुरंत से इन्डोमिथाइसिन दवाई दी जानी चाहिए। यह दवाई आम बुखार और शर्दी होने पर दी जाती है। अगर कोई व्यक्ति दुर्भाग्यवश कोरोना से प्रभावित हो गया है तो उसे प्रथम उपचार के रूप में पैरासिटामोल दवाई की जगह अगर इन्डोमिथाइसिन दिया जय तो व्यक्ति के जल्दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। यह कहना है डॉक्टर राजन रविचंद्रन का जो की आईआईटी मद्रास में एडजंक्ट फैकल्टी और एम्आईओटी अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक है। आईआईटी मद्रास में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा की पनिमलर मेडिकल कॉलेज में उन्होंने जो शोध किया है उसी के आधार पर वह दावे से यह कर रहे है। वर्ष 2020 में जब कोविद ने देश में पाँव पसारा ही थी तभी उन्होंने इस शोध को किया था। अप्रैल 2020 में पहली बार और दूसरी लहार के दौरान मई-जून 2021 उन्होंने इस शोध पर काम किया। शोध के परिणाम यह आये की इन्डोमिथाइसिन सभी वेरिएंट पर काम करता है। सबसे बड़ी बात है की इन्डोमिथाइसिन वायरस को शरीर के अंदर मल्टीप्लय होने से रोकता है।
संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर आर कृष्ण कुमार ने बताया की हमने यह तुलनात्मक शोध पैरासिटामोल और इन्डोमिथाइसिन दवाइयों से उपचार के दौरान किया है। गौरतलब है की इन्डोमिथाइसिन दावा वायरस को ख़तम करती है। हमने कुल 210 मरीजों पर इसका परिक्षण किया है 107 संक्रमित मरीजों का इलाज पैरासिटामोल और 103 संक्रमित मरीजों का इलाज इन्डोमिथाइसिन से किया गया। जिन मरीजों को इन्डोमिथाइसिन दी गयी उनमे किसी प्रकार की ऑक्सीजन की कमी नहीं पायी गयी लेकिन जिन मरीजों को पैरासिटामोल दिया गया था उनमे ऑक्सीजन की कमी देखि गयी उन्हें बाद में वेंटिलेटर पर रखा गया। जिन मरीजों को इन्डोमिथाइसिन दिया गया उनमे तीन से चार दिनों में सुधार आने लगा और 15 दिनों के अंदर वे बिलकुल ठीक हो गए और पैरासिटामोल जिन मरीजों को दिया गया उनमे सुधार आने में सात से दस दिनों का समय लगा। 75 एमजी का इन्डोमिथाइसिन पांच दिनों तक लगातार लेने पर किसी भी संक्रमित मरीज में काफी सुधर देखने को मिलता है। इन मरीजों में कफ, खांसी और बुखार की समस्या तीन से चार दिनो में ठीक हो जाती है। हमने यह शोध माइल्ड और मॉडरेट मरीजों पर किया है। हमने अपनी रिपोर्ट को आईसीएमआर और स्वस्थ्य मंत्रालय को भी भेजा है लेकिन अबतक वह से कोई जवाब नहीं आया है।