INN/Chennai, @Infodeaofficial
महानगर के युवा गीत-ग़ज़लकार एवं कवि डॉ. सतीश कुमार श्रीवास्तव ‘नैतिक’ के काव्य-संग्रह ‘दर्द का व्याकरण’ का विमोचन राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय किशनगढ़ राजस्थान में हुआ। तमिलनाडु की धरती से संबंध रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी, राष्ट्रकवि सुब्रह्मण्य भारती की रचनाओं में भिन्नता में एकता विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन बुधवार को अपनी पुस्तक के विमोचन के दौरान इस डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि वंदना से शुरू होकर महाकवि तुलसीदास के अभिनंदन पर समाप्त होने वाले 112 पृष्ठों वाले इस 42 कविताओं के संग्रह में मज़दूरों एवं किसानों का दर्द है तो होली-दिवाली का उत्साह भी, कोरोना की त्रासदी है तो उसका सकारात्मक प्रभाव भी, मिलन है तो वियोग भी, गंभीरता है तो व्यंग्य भी। अपने संग्रह के शीर्षक पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा है कि आज विज्ञान चाहे जितनी भी प्रगति क्यों न कर लिया हो लेकिन आज लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी कारण से परेशान है।
आम हो या खास आज हर आदमी के दिल में कोई न कोई दर्द ज़रूर है। ऐसी विषम परिस्थिति में एक-दूसरे का पैर खींचने और उसपर कीचड़ उछालने से अच्छा हमें एक दूसरे का सहारा बनकर पारस्परिक मदद करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इस पुस्तक में समाज के लोगों को यह समझाने का प्रयास किया गया है कि ख़ुदा और भगवान के नाम पर एक दूसरे को कष्ट देने से कहीं अधिक अच्छा दुनिया का दुख दूर करना है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सच्चे मन से दूसरों का दुख दूर करने वाला व्यक्ति एक न एक दिन अपने आप मसीहा बन जाता है।
पुस्तक विमोचन के दौरान राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. एन. लक्ष्मी अय्यर, राजस्थान वि.वि. के कला संकाय के डीन प्रो. नंद किशोर पांडेय, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा की प्रो.बीना शर्मा, आईआईटी इंदौर के प्रो. गंटी एस मूर्ति, दयानंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ लक्ष्मीकांत, चेन्नई के तमिल एवं अग्रेजी के साहित्यकारप डॉ. रेन्बो रवि एवं अमिटि विश्वविद्यालय के सहायक प्रो. डॉ. अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव समेत कई अन्य मूर्धन्य विद्वान मौज़ूद थे।
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