सनोबर जाकिर, आईआईएन/ग्वालियर, @Infodeaofficial
जनरेशन गैप की मातृभाषा के अनुसार यह विभिन्न युगों के लोगों के बीच विभिन्न धाराओं का अंतर होता है l भारत विभिन्न प्रकार के समाजिक एवं सांस्कृतिक विचारों से बना हुआ है और इन्हीं विचारों को मानने वाले अलग प्रकार के हैं l
आजादी से पहले का दौर और आज के दौर मे कोई समानता नहीं है, उस समय मे पैदा हुआ लोग और आज पैदा हुए लोगों से काफी अलग हैं l जैसे समय निरंतर रूप से बदलता रहता है वैसे ही लोगों के विचार भी समय के साथ परिवर्तित होते हैँ जो समाज पर सामाजिक प्रभाव डालते हैँ l
पीढ़ी के अंतराल की वजह से माता पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते अक्सर प्रभावित होते है क्यूंकि उन दोनों की विचारधारााओं मे समानता नहीं होती हैँ l
अक्सर माता पिता अपने धार्मिक विश्वासों, नैतिक मूल्यों को अपने बच्चों पर थोपते हैँ जिसे वो अपनाना नहीं चाहते l जनरेशन गैप के कारण समाज में कई बदलाव हुए हैं विशेषकर भारत में जहां संयुक्त परिवार प्रथा पहले से ही प्रचलित थी।
बाद में भारत में अलग परिवार बसाने की अवधारणा शुरू हो गई और यह भी पीढ़ी के अंतराल का ही एक परिणाम है। लोग इन दिनों गोपनीयता की लालसा रखते हैं और अपने जीवन को अपने तरीके से जीना चाहते हैं परन्तु संयुक्त परिवार प्रथा इसमें मुख्य बाधा है।
इस प्रकार बहुत से लोग अलग-अलग परिवार बसा रहे हैं। इसी प्रकार समाज के विभिन्न स्तरों पर होने वाले कई बदलाव जनरेशन गैप के परिणाम हैं।
अंत मे यह कहा जा सकता है की जैसा धरती पर सब कुछ अवधारणा है उसी तरह जनरेशन गैप में भी अच्छाई और बुराई है। इस अंतर को खत्म करने के लिए समझ और स्वीकृति को विकसित करने की आवश्यकता है।
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