सनोबर जाकिर, आईआईएन/ग्वालीयर, @Infodeaofficial
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
भाषा इंसान की ऐसी विरासत है जिसे ना तो कोई हमसे छीन सकता है ना चुरा सकता है. मातृभाषा हर व्यक्ति की आत्मा की आवाज़ होती है जो वो जन्म लेने के बाद सीखता है. ये एक ऐसी भाषा है जिससे इंसान की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान होती है.
भारत विभिन्न भाषाओ का देश है जहाँ हर तरह की भाषा बोली जाती है. इसी परिभाषा को ध्यानमे रखते हुए प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है. मातृभाषा हमें राष्ट्रीय के प्रति प्रेम की भावना को जगाता है और साथ ही साथ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
इस दिवस का सबसे बड़ा उद्देश्यहोता है भाषाई विविधता को बढ़ावा देना औरपुरे विश्व मे अपनी भाषा की मूलियता को बताना .
ये दिवस साल 2000 से चला आ रहा है क्यूंकि 21 फरवरी 1952 को ढाका के छात्रों ने बांग्ला को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग की थी जिसमे उनको पुलिस की गोलियों का भी सामना करना पड़ाथा.
इसी की याद मेसाल 2000 मे अंतराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया.
भारत मे हिंदी को मातृभाषा या राष्ट्रभाषा बनाने का सपना हमारे देश के पिता महात्मा गाँधी का थालेकिन विवादों के चलतेये सवाल हमेशा से पैदा हुआ की क्या हिंदी भाषा राष्ट्रभाषा कहलाने योग्य है या नहीं.
आंकड़ों के हिसाब से 45 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते है और समझतेभी हैं लेकिन कही ना कही इसकी मूलियता नष्ट होती दिख रही है, करीब 230 देशों की भाषाओ का नामो निशान मिट चूका है जिसमे भारत भी सूची मे आता है, इसकी वजह से भारत सिर्फ इन भाषाओ को नहीं बल्कि पहचान से भी दूर जा रहा है.
अंत मे ये कहा जा सकता है की अपनी देश की भाषा ही सर्वोत्तम विरासत है जिसे कोईभी व्यक्तिकिसी से नहीं छीन सकता है. राष्ट्रीय भाषा ही हमारी भाषा है जिसे अपनाना सबका अधिकार है जो विविधता को बढ़ावा दे सके.
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