नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का समापन

आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial

नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन 2019 का दूसरा संस्करण 22 अक्टूबर 2019 को शुरू हुआ था जिसका समापन तीन दिनों के सकारात्मक विचार विमर्श के बाद 24 अक्टूबर 2019 को हुआ।

माननीय रक्षा मंत्री ने 22 अक्टूबर 2019 को नौसेना कमांडरों को संबोधित किया और भारतीय नौसेना के सभी कर्मियों को ऊंची परिचालन गति बनाए रखने और समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा करने के लिए बधाई दी।

इस साल मई और जून में ओमान की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हमले की घटनाओं के मद्देनज़र तेज और अच्छे ढंग से ‘ऑपरेशन संकल्प’ शुरू करने के लिए उन्होंने नौसेना को बधाई दी जिससे प्रभावी ढंग से भारतीय समुद्री नाविकों और राष्ट्र के आर्थिक हितों की रक्षा की जा सकी।

माननीय रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि भारतीय नौसेना ने हमारे हितों वाले क्षेत्रों में जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों की नियमित तैनाती के माध्यम से परिचालन सजगता का ऊंचा स्तर बनाए रखा है और अपने पदचिन्हों का विस्तार किया है।

तटीय और अपतटीय सुरक्षा समेत हमारी समग्र समुद्री सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण के रूप में उन्होंने नौसेना द्वारा 26/11 की घटना के बाद किए गए ठोस प्रयासों का भी उल्लेख किया जिसमें हमारे समुद्री और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में बढ़ाया गया एजेंसियों के मध्य का सहयोग और समन्वय भी शामिल है। उन्होंने सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के स्वदेशीकरण, आत्मनिर्भरता और समर्थन के क्षेत्र में नौसेना के प्रयासों की प्रशंसा की।

माननीय रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना ने न केवल हिंद महासागर क्षेत्र के देशों बल्कि दुनिया भर के समुद्री देशों के साथ सक्रिय सहयोग और जुड़ाव के माध्यम से राष्ट्रीय और विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए सैन्य कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में ख़ुद को स्थापित किया है।

विदेश सहयोग पहलों, मैत्रीपूर्ण विदेशी नौसेनाओं की क्षमता वृद्धि और क्षमता निर्माण में नौसेना के निरंतर प्रयासों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इन पहलों ने न केवल इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत किया है बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना को एक पसंदीदा भागीदार के रूप में परिवर्तित किया है।

कमांडरों के साथ अपनी बातचीत के दौरान माननीय रक्षा मंत्री ने नौसेना की युद्ध तत्परता, आधुनिकीकरण की गति और विभिन्न अधिग्रहण व बुनियादी ढांचे से संबंधित मामलों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने नौसेना कमांडरों से एक मजबूत नौसेना बनाने के लिए उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का आग्रह किया जो समुद्री क्षेत्र में उभरने वाली किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह सतर्क और तैयार हो।

कमांडरों को दिए अपने शुरुआती संबोधन में नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने परिचालन तत्परता, क्षमता वृद्धि, रखरखाव, ऑपरेशन लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांचे के विकास और मानव संसाधन प्रबंधन से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया।

तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने महत्वपूर्ण क्षमता शून्यों पर काबू पाने की ओर ध्यान आकर्षित किया ताकि अन्य क्षमता शून्यों के बीच कम से कम किसी समय में किसी समुद्र तट पर एक ऑपरेशनल कैरियर उपलब्ध हो, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारतीय नौसेना के बढ़ते शासनादेश के मद्देनजर।

विचार-विमर्श के दौरान यह सामने आया कि भारतीय नौसेना संभावित खतरों के खिलाफ हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र और उसके परे नीले पानी और तटीय ऑपरेशनों में सक्षम, आधुनिक सतह, उप-सतह और वायु संपत्तियों के साथ एक अच्छी तरह संतुलित बहु आयामी शक्ति बनी हुई है।

इस बल के मौजूदा स्तरों का संवर्धन / आधुनिकीकरण किया जा रहा है ताकि भारतीय नौसेना के लिए परिभाषित भूमिकाओं और कार्यों का पूरा विस्तार किया जा सके।

इसके अलावा भारतीय नौसेना हमारे हित के क्षेत्रों में हो रही हलचलों पर नज़दीक से निगरानी रख रही है, साथ ही हमारे विदेशी सहयोग को आगे बढ़ा रही है जिसका उद्देश्य माननीय प्रधानमंत्री के ‘सागर’ और एक्ट ईस्ट नीतियों जैसे विज़न के अनुरूप इस क्षेत्र की अन्य नौसेनाओं के साथ परिणाम आधारित बातचीत करना है। इन गतिविधियों के आकलन के आधार पर भारतीय नौसेना की तैयारियों को मजबूत करने के लिए सरकार के साथ आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

कमांडरों ने परिचालन कुशलता में सुधार के लिए भारतीय नौसेना के कार्यात्मक पुनर्गठन और ऑप्टिमल मैनिंग से जुड़े हुए बहुत से विषयों पर चर्चा की। उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा विश्लेषण के उपयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई और तय समय सीमा में हासिल किए जाने वाले प्रमुख कार्यों की पहचान की गई।

भारतीय नौसेना के मध्य के विषयों पर चर्चा करने के अलावा एक भविष्यगामी संयुक्त सेवा वातावरण में ऑपरेशनों के प्रभावी संचालन से संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों की पड़ताल की गई और एक कार्य योजना बनाई गई।

नौसेना स्टाफ के प्रमुख ने कमांडरों से आह्वान किया कि किसी भी संभावना से निपटने के लिए परिचालन मुस्तैदी की उच्चतम स्थिति को बनाए रखें।

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