आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
हिंद महासागर में हो रही गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तमिलनाडु के तंजावुर स्थित एयरफोर्स के बेड़े में सुखोई विमान को सोमवार को औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। इस मौके पर मौजूद इंडियन एयरफोर्स के चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि एएसयु-30 एमकेआई एक सोची समझी रणनीति के तहत यहांं रखा गया है।
यह विमान विशेष हथियारों से लैस है। हिंद महासागर के मार्ग पर चीन, अमेरिका, जापान आदि देशों की नजर है। जो इस मार्ग पर अपना आधिपत्स स्थापित करना चाहते हैं। ऐसे में इन गतिविधियों पर नजर रखने में सुखोई विमान काफी सहायक होगा।
सुखोई के साथ एयरलांच क्रुज मीसाइल ब्रह्मोस को भी रखा गया है। यह बेस पड़ोसी देशों और अन्य देशों के गतिविधियों पर नजर रखने में काफी सहायक होगा। 22 मई 2019 को सुखोई से ब्रह्मोस मीसाइल का टेस्ट फायर किया गया।
सुखोई से ब्रह्मोस को फायर करने का यह दूसरा सफल परिक्षण था। इस परिक्षण में ब्रह्मोस से लक्ष्य को उच्च सटिकता से साधा गया। सुखोई के आने से दक्षिण बेस को काफी बल मिलेगा। सुखोई हवा से जमीन और समुद्र दिन-रात किसी भी परिस्थिति में प्रहार कर सकता है।
रामसेतु के कारण तमिलनाडु से केरल जाने वाले जहाजों को श्रीलंकाई समुद्री सीमा से होकर जाना पड़ता है। सुखोई के शामिल होने से दक्षिण भारत में यह एयरफोर्स का दूसरा बड़ा सीमावर्ती लड़ाकू स्कवाड्रन होगा जो की लम्बी दूरी और कई अन्य कार्रवाई के लिए सहयोगी होगा। कोयम्बत्तूर के पास सुलुर में एयरफोर्स स्टेशन लाइट कम्बाट एयरक्राफ्ट तेजस है।
गौरतलब है कि तंजावुर स्कवार्डन का निर्माण कार्य 15 सितम्बर 1961 को किया गया था जिसमें एसयु-7 और बाद में इसमें जमीनी स्तर पर मार करने वाली एयरक्राफ्ट एमआईजी-27 को शामिल किया था।
तब के रक्षामंत्री ए.के. एंटोनी ने 27 मई 2013 को राष्ट्र को समर्पित किया जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम में है। दक्षिणी प्रायद्वीप में विभिन्न रणनीतिक और आर्थिक संपत्ती की रक्षा के उद्देश्य से इस विमान सेवा का शामिल होना काफी महत्वपूर्ण है।
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