भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव कलाकारों के सीखने और आगे बढ़ने का मंच है : बाबुल सुप्रियो

आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial

क तरफ गोवा में मांडोवी नदी पर सूर्यास्‍त हो रहा था, वहीं दूसरी तरफ 50वें भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव के समापन समारोह के लिए लाल कालीन बिछाया जा रहा था। सिने जगत के चमकते सितारों की उपस्थिति में 9 दिन चलने वाले इस महोत्‍सव का समापन हो गया। इस दौरान लगभग 200 फिल्‍मे दिखाई गईं और विभिन्‍न सत्रों में कलाकारों तथा फिल्‍मकारों के साथ चर्चा हुई।

समापन समारोह में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्‍य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव कलाकारों के सीखने और आगे बढ़ने का मंच है। उन्‍होंने कहा, ‘कला के क्षेत्र में सीखने की कोई सीमा नहीं होती। आप जितना सीखते हैं, उतना आपको एहसास होता है कि आप कम जानते हैं। भारत की धरती पर यह महान प्रयास किया जाता है और गोवा आने वाले वर्षों में भी महोत्‍सव का स्‍थायी स्‍थान बना रहेगा।

यह ऐसा क्षेत्र है, जहां सभी फिल्‍मकार एक-दूसरे से सीखते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। हमारा प्रयास है कि हम महोत्‍सव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सुविधाओं में सुधार करेंगे। इसके मद्देनजर इस बार हमने दुनिया भर की 50 महिला फिल्‍म निर्देशकों को मंच उपलब्‍ध कराया। हमें उम्‍मीद है कि इससे महिला कलाकारों और फिल्‍मकारों को प्रेरणा मिलेगी तथा वे अपनी प्रतिभा यहां आकर प्रदर्शित करेंगी। भारत इसके लिए बेहतरीन स्‍थान है।’

समारोह के मुख्‍य अतिथि गोवा के राज्‍यपाल श्री सत्‍यपाल मलिक ने कहा कि सिनेमा एक शक्तिशाली माध्‍यम है, जिसका समाज पर बहुत गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। उन्‍होंने फिल्‍मकारों का आह्वान किया कि वे समाज सुधार के मद्देनजर सामाजिक मुद्दों पर फिल्‍म बनाएं।

गोवा के मुख्‍यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2019 ने फिल्‍मों के माध्‍यम से हमें मनोरंजन के अलावा अपने भीतर झांकने का अवसर प्रदान किया है। उन्‍होंने कहा, ‘महोत्‍सव के मेजबान राज्‍य के रूप में गोवा हर वर्ष विकास कर रहा है और कई सार्थक प्रयोग कर रहा है। गोवा के पूर्व मुख्‍यमंत्री स्‍वर्गीय मनोहर पर्रिकर का एक सपना था कि गोवा को फिल्‍म उद्योग का केन्‍द्र बनाया जाए। हमें उम्‍मीद है कि हम इस सपने को पूरा करने में सफल होंगे। हम गोवा में फिल्‍में बनाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस बुनियादी ढांचा विकसित करने की योजना बना रहे हैं।’

महान संगीतकार इलियाराजा, दिग्‍गज अभिनेता प्रेम चोपड़ा, ताकाशी मीके, वागनर मोरा, रकुलप्रीत सिंह, विजय देवराकोंडा, रोहित शेट्टी, आनंद एल. राय, प्रोसनजित चट्टर्जी, नित्‍या मेनन सहित फिल्‍म बिरादरी की अन्‍य हस्तियां समारोह में मौजूद थीं।

इस अवसर पर गोवा के दोनों उपमुख्‍यमंत्री श्री मनोहर अजगांवकर और श्री चन्‍द्रकांत कावलेकर, सांसद सुश्री रूपा गांगुली और श्री रवि किशन, गोवा के मुख्य सचिव श्री परिमल राय, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ़ गोवा के उपाध्यक्ष श्री सुभाष फल देसाई, महोत्‍सव संचालन समिति के सदस्य श्री शाज़ी एन. करुण, श्री राहुल रवैल, अंतर्राष्ट्रीय ज्‍यूरी सदस्य जॉन बेली, रॉबिन कैम्पिलो, चांग यांग, लिन रामसे तथा श्री रमेश सिप्पी भी उपस्थित थे।

भव्‍य समारोह के शुरुआत करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अमित खरे ने कहा कि भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2020 और 2021 में भारत के महान फिल्‍मकार श्री सत्‍यजीत रे को श्रद्धाजंलि दी जाएगी। उन्‍होंने कहा कि अगले वर्ष से श्री सत्‍यजीत रे का शताब्‍दी समारोह मनाया जाएगा।

श्री अमित खरे ने कहा कि यह समारोह बहुत सफल रहा और इस दौरान जाने-माने फिल्‍मकारों, कलाकारों और फिल्‍म आलोचकों सहित दुनिया भर के फिल्‍मों के शौकीन यहां जमा हुए। हमारा प्रयास है कि 51वां महोत्‍सव और बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि इस बार महोत्‍सव में 76 विभिन्‍न देशों की 190 से अधिक फिल्‍मों का प्रदर्शन हुआ, जिनमें 90 भारतीय, 6 विश्‍व और 11 एशियाई फिल्‍मों का प्रीमियर किया गया। श्री खरे ने कहा कि हमारे लिए यह गौरव की बात है कि इस वर्ष महोत्‍सव में 24 ऑस्‍कर फिल्‍में दिखाई गईं तथा 12000 से अधिक प्रतिनिधियों ने महोत्‍सव में हिस्‍सा लिया, जो एक रिकॉर्ड है।

 एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ़ गोवा के सीईओ श्री अमित सतीजा ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय भागीदारी के मद्देनजर महोत्‍सव में इंग्‍लैंड, अमेरिका, श्रीलंका और संयुक्‍त अरब अमीरात के कई प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्‍सा लिया। इनके अलावा गोवा, केरल, महाराष्‍ट्र और तमिलनाडु के भी अधिसंख्‍य प्रति‍निधि यहां आए। भारतीय सिनेमा के दिग्‍गज फिल्‍मकारों ने श्री इलियाराजा, श्री प्रेम चोपड़ा, श्रीमती मंजू बोरा, श्री अरविंद स्‍वामी और श्री हौबम पबन कुमार को सम्‍मानित किया गया। महोत्‍सव के तकनीकी साझेदारों और अंतर्राष्‍ट्रीय ज्‍यूरी सदस्‍यों को भी सम्‍मानित किया गया।

9 दिवसीय फिल्‍म महोत्‍सव के दौरान इतालवी फिल्‍म ‘मार्घे एंड हर मदर’ का प्रीमियर किया गया। सिने जगत के सितारों से जगमगाते समारोह के दौरान स्‍वर्ण मयूर, रजत मयूर, लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार इत्‍यादि प्रदान किए गए।

भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2019 में ब्‍लेज हेरिसन द्वारा निर्देशित फ्रेंच फिल्‍म ‘पार्टिकल्‍स’ को सर्वश्रेष्‍ठ फिल्‍म का पुरस्‍कार दिया गया। इस पुरस्‍कार के तहत स्‍वर्ण मयूर ट्रॉ‍फी, प्रमाणपत्र और 40 लाख रुपये का नकद पुरस्‍कार प्रदान किया गया, जिसे निर्देशक और निर्माता को संयुक्‍त रूप से दिया गया। ज्‍यूरी के अनुसार फ्रेंच फिल्‍म ‘पार्टिकल्‍स’ किशोरावस्‍था के विषय में एक महत्‍वाकांक्षी उदार फिल्‍म है।

बेहतरीन निर्देशक का पुरस्‍कार लीजो जोस पेलिसेरी को उनकी फिल्‍म ‘जलीकट्टू’ को दिया गया। इस पुरस्‍कार के तहत फिल्‍म को रजत मयूर ट्रॉफी और 15 लाख रुपये का नकद पुरस्‍कार प्रदान किया गया। मराठी फिल्‍म ‘माई घाट : क्राइम नम्‍बर 103/2005’ के लिए ‘प्रभा माई’ का किरदार अदा करने के लिए उषा जाधव को बेहतरीन अभिनेत्री तथा ब्राजील की फिल्‍म ‘मारीघेला’ में कार्लोस मारीघेला का किरदार अदा करने के लिए सेयु जॉर्ज को बेहतरीन अभिनेता का पुरस्‍कार दिया गया। दोनों कलाकारों को रजत मयूर ट्रॉफी और दस-दस लाख रुपये के नकद पुरस्‍कार दिए गए।

रजत मयूर पुरस्‍कार और 15 लाख के नकद पुरस्‍कार वाला विशेष ज्‍यूरी पुरस्‍कार चीनी फिल्‍म ‘बैलून’ के लिए पेमा त्‍सेदन को दिया गया। इस फिल्‍म की शूटिंग तिब्‍बत के पठारों में की गई है और इसे फिल्‍म की भाषायी सुन्‍दरता तथा शानदार अभिनय के लिए पुरस्‍कृत किया गया है।

निर्देशक की बेहतरीन पहली फीचर फिल्‍म का शताब्‍दी पुरस्‍कार संयुक्‍त रूप से ‘अबू लैला’ के लिए अमीन सीदी बूमेडीन और ‘मॉनस्‍टर्स’ के लिए मारियूस ऑलतेनू को दिया गया। अबू लैला फिल्‍म में बचपन के दो मित्रों की कहानी है, जो खतरनाक आतंकवादी अबू लैला की तलाश में रेगिस्‍तान में चले जाते हैं।

‘मॉनस्‍टर्स’ फिल्‍म में एक दम्‍पति की हालत और उनके संबंधों को पेश किया गया है। इस फिल्‍म में 24 घंटे की कहानी दी गई है। गुजराती फिल्‍म ‘हेलारो’ के निर्देशक श्री अभिषेक शाह का ज्‍यूरी ने विशेष उल्‍लेख करते हुए कहा कि यह फिल्‍म अपने शानदार संगीत, रंग और भव्‍य नृत्‍य कला के रूप में जानी जाती है। इस फिल्‍म का कथानक 45 वर्ष पहले का है और इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण का विषय उठाया गया है। यह विषय आज अधिक प्रासंगिक हो गया है।

महोत्‍सव के 50 गौरवशाली वर्ष पूरे होने के अवसर पर आईसीएफटी-यूनेस्‍को फेलिनी पुरस्‍कार प्रदान किया गया। भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव की तरफ से यह पुरस्‍कार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अमित खरे और फिल्‍म महोत्‍सव निदेशालय के महोत्‍सव निदेशक श्री चैतन्‍य प्रसाद ने प्राप्‍त किया।

रिकार्डो सालवेत्‍ती द्वारा निर्देशित इतालवी फिल्‍म ‘रवांडा’ ने आईसीहएफटी-यूनेस्‍को गांधी पदक जीता। इस पदक की शुरुआत यूनेस्‍को और इंटरनेशनल काउंसिल फॉर फिल्‍म, टेलिविजन एंड ऑडियो-विजुअल कम्‍युनिकेशन, पेरिस ने की है। फ्रांस के कलाकार पियरे-वाइवस ट्रेमोइस ने पदक पर महात्‍मा गांधी का चित्र उकेरा है। चित्र के नीचे महात्‍मा गांधी का संदेश : ‘अंधकार के बीच प्रकाश का वर्चस्‍व’ दर्ज है।

संजय पी. सिंह चौहान द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्‍म ’बहत्‍तर हूरें’ का आईसीएफटी-यूनेस्‍को गांधी पदक श्रेणी के तहत विशेष उल्‍लेख किया गया।

महोत्‍सव 2019 के समापन समारोह की एंकरिंग सोनाली कुलकर्णी और कुणाल कपूर ने की। समारोह में ‘कॉलोनियल कजन्‍स’ के हरिहरन और लेसले लेविस ने अपने जादुई गायन से दर्शकों को मोहित किया। इसके अलावा तनुश्री शंकर ने ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ की थीम पर शानदार नृत्‍य प्रदर्शन का समायोजन किया।

समापन समारोह की शुरुआत में इतावली फिल्‍म ‘डेसपाइट दी फॉग’ का एशियाई प्रीमियर हुआ। इंडियन पेनोरमा वर्ग में 26 फीचर फिल्‍में और 15 गैर-फीचर फिल्‍में दिखाई गईं। इस बार महोत्‍सव में रूस फोकस देश था। महोत्‍सव स्‍वर्ण जयंती समारोह की शुरुआत में इसाबेल ऐन मेडेलीन हूपर्ट को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार दिया गया। रजनीकांत को भारतीय सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए ‘आइकॉन ऑफ गोल्‍ड जुबली अवॉर्ड’ से नवाजा गया। इस पुरस्‍कार की शुरुआत इसी महोत्‍सव में की गई है।

इस वर्ष अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धा में 15 फिल्‍में थीं, जिनमें से दो फिल्‍में भारतीयों द्वारा बनाई गई थीं। 50वें महोत्‍सव के ‘फेस्टिवल केलाइडोसकोप’ श्रेणी में 20 चुनी हुई फिल्‍में रखी गई थीं, जिन्‍हें दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में बनाया गया था। वर्ल्‍ड पेनोरमा श्रेणी में 64 फिल्‍में थीं, जिन्‍हें विशेष रूप से इस महोत्‍सव के लिए तैयार किया गया था। महोत्‍सव के दौरान ऐसी 24 फिल्‍में भी पेश की गईं, जो ऑस्‍कर की दौड़ में शामिल थीं या शामिल हैं। आईसीएफटी-यूनेस्‍को गांधी मेडल के लिए प्रतिष्ठित फिल्‍मों में एक भारतीय फिल्‍म भी शामिल थी। ऑस्‍कर पूर्वावलोकन श्रेणी में 10 ऑस्‍कर पुरस्‍कृत फिल्‍मों का प्रदर्शन किया गया।

महिला फिल्‍मकारों के सम्‍मान के मद्देनजर महोत्‍सव में विश्‍व सिनेमा की 50 फिल्‍में शामिल की गईं, जिन्‍हें 50 प्रतिष्ठित महिला फिल्‍मकारों ने निर्देशित किया था और जो दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध रहीं। भारतीय न्‍यूवेव सिनेमा के वर्ग में 1950 और 1970 के दशकों की 12 फिल्‍में शामिल की गई थीं।

एक अलग दादा साहब फाल्‍के पुरस्‍कार पूर्वावलोकन वर्ग में अमिताभ बच्‍चन की 6 बेहतरीन फिल्‍में दिखाई गईं, ताकि अमिताभ बच्‍चन की उपलब्धियों का सम्‍मान किया जा सके। ‘रेस्‍टोर्ड क्‍लासिक’ श्रेणी में उदय शंकर की शानदार फिल्‍म ‘कल्‍पना’ और ऋत्विक घटक की ‘टाइटस एकती नादिर नाम’ को पेश किया गया। इन दोनों फिल्‍मों को दुरुस्‍त करने के बाद दिखाया गया था।

एशियाई फिल्‍मकार को सम्‍मानित करने के लिए एक श्रेणी बनाई गई थी, इसके तहत जापानी फिल्‍मकार ताकाशी मीके की फिल्‍में दिखाई गईं। महोत्‍सव में 1969 में रिलीज होने वाली फिल्‍मों के लिए एक वर्ग समर्पित था। मेजबान राज्‍य गोवा की उल्‍लेखनीय फिल्‍मों को दिखाने के लिए ‘दि गोवन स्‍टोरी’ नामक वर्ग बनाया गया था, जिसमें 6 फिल्‍में रखी गई थीं। सुगमता और समावेश का संदेश देने के लिए महोत्‍सव में ‘एक्सेसेबिल इंडिया-एक्‍सेसेबिल फिल्‍मस’ वर्ग के तहत दिव्‍यांगजनों के लिए श्रव्‍य विवरण आधारित तीन फिल्‍में दिखाई गईं।

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