लेह-लद्दाख में ‘आदि महोत्‍सव’आज से प्रारंभ

आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial 

दि महोत्‍सव (राष्‍ट्रीय जनजाति महोत्‍सव), जनजाति मंत्रालय और ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राइफेड) की संयुक्‍‍त पहल है। महोत्‍सव आज पोलो ग्राउंड, लेह-लद्दाख में प्रारंभ हुआ। 9 दिवसीय यह महोत्‍सव 17 अगस्‍त से 25 अगस्‍त, 2019 तक चलेगा। केंद्रीय जनजाति मामलों की राज्‍य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह और ट्राइफेड के चेयरमैन श्री आर.सी. मीणा की गरिमामयी उपस्थिति में महोत्‍सव का उद्घाटन केंदीय जनजाति मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने किया।

महोत्‍सव की थीम है – जनजाति शिल्‍प, संस्‍कृति और वाणिज्‍य की भावना का उत्‍सव। ट्राइफेड सेवा प्रदाता और बाजार को विकसित करने की भूमिका निभाएगा।

उद्घाटन संबोधन में श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि समावेशी विकास के उद्देश्‍य मेंजनजातियों का विकास शामिल है। हमारे संविधान के अनुसार जनजातियों की विशेष आवश्‍यकताओं को पूरा करने की जिम्‍मेदारी सरकार पर है। जनजातीय मंत्रालय पूरे देश के जनजाति समुदाय के लोगों के सर्वां‍गीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार 2019-20 के दौरान पूरे देश में 3000 वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) की स्‍थापना करेगी। इनमें से 13 वन धन विकास केंद्र लद्दाख में स्‍थापित किए जाएंगे। उन्‍होंने आदि महोत्‍सव के सफल होने की कामना की।

श्रीमती रेणुका सिंह ने कहा कि जनजाति मामलों का मंत्रालय निकट भविष्‍य में सभी राज्‍यों की राजधानियों में आदि महोत्‍सव का आयोजन करेगा। उन्‍होंने कहा कि जनजाति शिल्‍पकारों के उत्‍पादों का विपणन, पूरे देश में ट्राइब्‍स इंडिया द्वारा संचालित 104 बिक्री केंद्रों और 190 देशों में एमजॉन के माध्‍यम से किया जा रहा है।

उद्घाटन कार्यक्रम के तहत दो प्रतिष्ठित नृत्‍य मंडलियों ने लद्दाखी लोकनृत्‍य-जबरो नृत्‍य और स्‍पावो नृत्‍य प्रस्‍तुत किए। जबरो नृत्‍य घुमंतु जनजातियों का नृत्‍य है। स्‍पावो नृत्‍य हिमालय क्षेत्र- केसर के पौराणिक नायक से संबंधित है। आने वाले दिनों में फूल नृत्‍य, एबेक्‍स नृत्‍य, गदल नृत्‍य तथा एलिएट्टो नृत्‍य भी प्रस्‍तुत किए जाएंगे।

लेह-लद्दाख में अपनी तरह का यह पहला आयोजन है।20 राज्‍यों के 160 जनजाति शिल्‍पकार इस महोत्‍सव में भाग ले रहे हैं। उत्‍पादों में राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, ओडिशाव पश्चिम बंगाल के जनजाति वस्‍त्र; हिमाचल प्रदेश, मध्‍य प्रदेश और पूर्वोत्‍तर के जनजाति आभूषण; मध्‍य प्रदेश के गोंड कला की पेंटिंग; छत्‍तीसगढ़ का धातु शिल्‍प; मणिपुर के बर्तन तथा उत्‍तराखंड, मध्‍य प्रदेश और कर्नाटक के प्राकृतिक व जैविक उत्‍पाद शामिल हैं।

महोत्‍सव के दौरान प्रसंस्‍कृत और मूल्‍य संवर्द्धन वाले वन उत्‍पादों तथा ट्राइब्‍स इंडिया के आपूर्तिकर्ताओं के रूप में लद्दाख के शिल्‍पकारों और महिलाओं की पहचान की जाएगी।

भारत की जनसंख्‍या में जनजातियों की आबादी 8 प्रतिशत है। इसका अर्थ है कि 10 करोड़ भारतीय जन‍जाति समुदाय के हैं। लद्दाख की 70 प्रतिशत आबादी जनजातियों की है।

लद्दाख के जनजाति शिल्‍पकारों में आजिविका के अवसर के सृजन के लिए महोत्‍सव में जनजाति शिल्‍पकार मेला का आयोजन किया गया। शिल्‍पकारों और उनके उत्‍पादों की पहचान की गई। ट्राइफेड के विक्रय केंद्रों के माध्‍यम से इन उत्‍पादों का विपणन किया जाएगा। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में आयोजित होने वाले राष्‍ट्रीय जनजाति महोत्‍सवों को लिए इन शिल्‍पकारों को आमंत्रित किया जाएगा।

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