आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
सोमवार को जब दिल्ली, बंगलोर, केरल समेत कई अन्य प्रदेशों में शराब की दुकाने खोल दी गयी तो तमिलनाडु सरकार ने भी आगामी 7 मई से राज्य में शराब की दुकान खोलने की घोसना की।
लेकिन इसके 24 घंटों के बाद ही चेन्नई महानगर निगम ने यह घोसना की कि चेन्नई में व उसके आस पास के इलाकों में शराब की दुकाने नहीं खोली जाएंगी।
चेन्नई महानगर निगम की नींद दिल्ली में हुई घटना के बाद शायद खुली या फिर राज्य सरकार के इस फैसले की उनकी ही सहयोगी दल भाजपा, पीएमके, डीएमके, कमल हसन द्वारा निंदा करने के बाद मुख्यमंत्री एडपाडी के दिल को झकझोर दिया होगा। लेकिन लोगों के मन में एक ही सवाल है की आकार ऐसे फैसले क्यों ले रही है।
इस सबंध में मद्रास हाई कोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर की गयी। इस जनहित याचिका में कहा गया है की जब आम दिनों में राज्य में शराब की दुकानों में भीड़ देखने को मिलती है और शराबियों से सरकार से किस भरोसे पर नियमों को पालने की अपेक्षा रखती है।
सरकार का यह फैसला लोगों की जान को और जोखिम में डालेगा। इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता की शराब की दुकानों में नियमों की अनदेखी नहीं होगी और अगर ऐसा होता है तो कोरोना वायरस के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।
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