गैरकानूनी ढंग से एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्र को दिखाया बाहर का रास्ता

आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 

गैर कानूनी ढंग से एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्र को पुदुचेरी प्रशासन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह कार्रवाई राजनिवास के आदेश पर दाखिला नहीं लेने पर की गई है। वर्ष 2018-19 के सत्र में पुदुचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में गैर कानूनी ढंग से दाखिला लेने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाले मामले में 31 साल के एमबीबीएस छात्र द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से सर्वोच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया।

मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने गत 22 अप्रैल को कोर्स जारी रखने से इनकार कर दिया था। मामले पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मिश्रा और नवीन सिन्हा ने कहा कि वे मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में किसी प्रकार की दखलंदाजी नहीं करेंगे। इतना कहकर खंडपीठ ने विशेष अवकाश याचिका खारिज कर दी। इस आदेश के बाद 30 मेधावी विद्यार्थियों के लिए पीम्स में पढऩे का रास्ता साफ हो गया।

सक्षम अधिकारी और कोर्ट से अतिरिक्त 50 विद्यार्थियों के दाखिला लेने का आदेश मिलने के बाद अकादमिक वर्ष 2018-19 में सेंटेक द्वारा दी गई सूची को बाइपास कर संस्थान में दाखिला लिया था। मामला सर्वोच्च न्यायालय के पास पहुंचा तो सेंटेक को दाखिले की जांच और उचित कार्रवाई का निर्देश दिया गया।

जांच में सेंटेक ने पाया कि 30 विद्यार्थियों का दाखिला फर्जी तरीके से लिया गया है जिनमें से 17 को सरकारी और 13 को मैनेजमेंट कोटे से दाखिला दिया गया था जिनमें सेंटेक के नियमों की अनदेखी की गई है। जब इन विद्यार्थियों को हटाया गया तो कुछ विद्यार्थियों ने इस कार्रवाई के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

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