पिछले 10 सालों में UNESCO ने भारत के कई ऐतिहासिक स्थलों को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया
INN/New Delhi, @Infodeaofficial
43 UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स अभी भारत के पास हैं, 35 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित संपत्ति. आपको जानकर ख़ुशी होगी भारत टॉप 10 उन देशों की लिस्ट में भी शामिल है जिसके पास 40 से ज्यादा UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं साथ ही जानकर हैरानी होगी कि इस लिस्ट में पहले नंबर पर अमेरिका और चीन जैसे देश भी नहीं हैं.यदि पूरे वर्ल्ड की बात करें तो वर्तमान में पूरे विश्व में 1223 से ज्यादा यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं और सबसे ज्यादा UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स इटली के पास हैं, लेकिन कभी सोचा है कि भारत में ऐसा क्या है जो पूरी दुनिया में अनोखा है?
वो कौन सी जगहें हैं जो हमारे देश की विरासत को पूरी दुनिया में पहचान दिला रही हैं?. क्यों पिछले 10 सालों में UNESCO ने भारत के कई ऐतिहासिक स्थलों को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया है?तो चलिए, इस World Heritage Week में जानते हैं कैसे हमारी धरोहरें वैश्विक मान्यता पा रही हैं और हम इनसे क्या सीख सकते हैं! साथ ही जानेंगे कौन सा शहर भारत का पहला हेरिटेज सिटी बना? और वो कौन सा गांव है जो UNESCO का पहला हेरिटेज विलेज कहलाता है? साथ ही जानें किस राज्य मे सबसे ज्यादा विश्व धरोहर स्थल? और दुनिया में भारत की रैंक क्या है?
भारत के पास कई ऐसी धरोहरें हैं जो पूरे विश्व में कहीं और नहीं मिलती. जी हां, ये वही विरासत है जो हमारी परंपराओं, हमारी सभ्यता और हमारे इतिहास को जिंदा रखे हुए है, और ये सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी बहुत कीमती है. विश्व धरोहर स्थल मतलब वो जगहें जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या प्राकृतिक दृष्टि से इतनी खास हैं कि उनकी रक्षा करना पूरे विश्व का कर्तव्य बनता है.
UNESCO का यही काम है. वो ऐसी जगहों को ढूढ़ता है और उन्हें एक World Heritage Site का दर्जा देता है.पिछले 10 सालों में, भारत ने UNESCO की लिस्ट में अपनी मौजूदगी काफी बढ़ा दी है. पिछले दशक में भारत के 12 से ज्यादा साइट्स को UNESCO की लिस्ट में शामिल किया गया है. असम की “मोइदम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली UNESCO की लिस्ट में शामिल होने वाली 43वीं संपत्ति थी. ये धरोहर इसी साल जुलाई में शामिल हुई है. पिछले 10 सालों के दौरान UNESCO की लिस्ट में शामिल होने वाले प्रमुख धरोहरों के नाम इस प्रकार हैं.
जयपुर का ऐतिहासिक शहर
कंचनजंगा नेशनल पार्क
रानी की वाव
वेस्टर्न घाट्स
धोलावीरा
काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर
द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
इसके अलावा ऐसे ही कई जगहों को UNESCO ने विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया है.जब किसी जगह को UNESCO का World Heritage Site का टैग मिलता है, तो उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है.सबसे बड़ी बात तो ये है कि इससे उस जगह की सुरक्षा और संरक्षण में मदद मिलती है और हमारे देश की टूरिज्म इंडस्ट्री में भी बूम आ जाता है. आपको जानकर ख़ुशी होगी कि भारत विश्व धरोहर संपत्तियों की सर्वाधिक संख्या के मामले में विश्व में छठे स्थान पर है.ये रैंकिंग बताती है कि हमारा देश विश्व धरोहर के मामले में कितनी ऊंचाई पर है. यूनेस्को की वर्ल्ड हेरीटेज सिटी में जगह पाने वाला अहमदाबाद भारत का पहला शहर है, जिसे 2017 में UNESCO ने इस खास मान्यता से नवाज़ा.
विश्व धरोहर में शामिल अहमदाबाद इतिहास, परंपरा और आधुनिकता का संगम है. इस शहर में अगर सदियों पुरानी मस्जिदों की वास्तुकला देखने लायक है तो साबरमती नदी पर बना नया अटल ब्रिज इसका नया स्पॉट और सेल्फी प्वाइंट है. इसके अलावा दिल्ली से सिर्फ 8 घंटे की दूरी पर भारत का पहला हेरिटेज गांव है. ये गांव हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बसा है. इस गांव का नाम ‘प्रागपुर’ है. यदि सबसे ज्यादा विश्व धरोहर स्थल वाले राज्य की बात करें तो ‘महाराष्ट्र’ से सबसे ज्यादा धरोहरें UNESCO की लिस्ट में शामिल हैं.यहां कुल 6 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें अजंता और एलोरा की गुफाएं भी शामिल हैं.तो दोस्तों, अगली बार जब आप ताजमहल, अजंता की गुफाएं या धोलावीरा जैसे स्थलों पर जाएं, तो एक पल ठहरकर यह जरूर सोचें – ये सिर्फ हमारी धरोहर नहीं, बल्कि पूरे विश्व का खजाना हैं और हमारी धरोहरों का संरक्षण सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि हम सबका कर्तव्य है.