गुरुकुल परंपरा को जाग्रत करना आज की जरूरत

आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 

शिक्षा का मतलब है हम एक अच्छा इंसान बन सकंे। इसके लिए जरूरी है बेहतर शिक्षा। सुशिक्षित बालक देश की धरोहर बन जाता है। आज के विकास के युग में ऐसी शिक्षा का वातावरण धीरे धीरे हमारे बीच से अलग हो रहा है और हमारी मानसिकता कहीं पर संकुचित हो रही है, यह बात समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश शाह ने रेडहिल्स स्थित जैन मंदिर में गुरुकुल शिक्षा पद्धति के बारे में कही।

बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा गुरुकुल परंपरा को जाग्रत करना आज की खास आवश्यकता है। समाज में परिवर्तन तो शिक्षा के माध्यम से ही लाया जा सकता है किंतु हमें यह टटोलने की जरूरत है कि आखिर हम शिक्षा के मामले में किस चौराहे पर खड़े हैं। क्या हम अपनी परंपरा और संस्कृति को भूल रहे हैं। उपयोगी शिक्षा हमें शिक्षित होने का भान कराती है। आज गुरुकुल पद्धति हमसे बहुत दूर हो गई है क्योंकि हम भटक गए हैं। सब कुछ होते हुए भी हमारे पास कुछ नहीं है।

गुरुकुल शिक्षा के बारे में उन्होंने कई उदाहरण दिए और अनुरोध किया कि गुरुकुल परंपरा में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और भाषा डाल दी जाए तो पहले की तरह सर्वश्रेष्ठ हो जाएगी।

इसलिए आज मॉडर्न बनाने के लिए सभी आवश्यक पाठ्यक्रमों को डालकर आकर्षक बनाया जा सकता है। गुरुकुल परंपरा की शिक्षण पद्धति के नैसर्गिक व मानसिक विकास का फायदा उठाया जा सकता है जो आज हमारे बीच से गायब हो रहा है। इसका बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। अपना विश्वास है कि गुरुकुल से निकला बच्चा कम समय में पाठ्यक्रम पूरा कर विश्व पटल पर अपनी प्रतिभा का प्रतिमान स्थापित करने की क्षमता रखता है।

उन्होंने कहा गुरुकुल में पढऩे वाले बच्चों को कमजोर न समझें और न ही उन पर ताना कसें। इस नकारात्मक सोच से बचिए। अल्पसंख्यक आयोग तमिलनाडु के सदस्य सुधीर लोढ़ा ने लॉजिकल थिंकिंग विकसित करने और उसके महत्व की व्याख्या करते हुए कहा मस्तिष्क सही-झूठ का निर्णय तब ले सकता है जब बच्चे में तार्किक शक्तियां विकसित हों। बच्चे को ऐसा ज्ञान दिया जाए कि वह दोनों में अंतर समझने में विवेक का इस्तेमाल करे और उसके अनुसार निर्णय ले।

लॉजिकल नॉलेज संस्कारी शिक्षा पद्धति से ही जल्दी विकसित की जा सकती है। उसमें मानवीय मूल्यों का समावेश होने की वजह से बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति तीव्र हो जाती है और उसकी विश्लेषणात्मक शक्तियां दूसरे बच्चों की तुलना में कई गुना अधिक होती है।

मुंबई गुरुकुल के संचालक मेहु शाह ने लैंग्वेज, नॉलेज, क्रिएटिविटी और विजन पावर को बढ़ाने के बारे में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की सराहना की और कहा कि आज बच्चों को संस्कारी बनाना अत्यंत आवश्यक है। आज एक अभिभावक घर और परिवार के सारे ऐसो आराम की वस्तुएं उपलब्ध करके खुद को विजेता समझता है किंतु सब कुछ जीत कर भी अशांत दुख से पीडि़त रहता है।

कार्यक्रम के दौरान गुरुकुल के बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने माइंड पावर कौशल का प्रदर्शन भी किया। यह आयोजन आदि पाश्र्वनाथ जैन आर्य संस्कार विद्यापीठ गुरुकुलम के तत्वावधान में जैन धर्मगुरु श्रीमद विजय रत्नाचल सूरीश्वर के मार्गदर्शन में केसरवाड़ी स्थित मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया गया था जिसमें 2,600 प्रतिनिधि शरीक हुए।

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