आईआईटी के पूर्व छात्र बढ़ा रहे नए शोधार्थियों की मदद को हाथ

आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial

देश के प्रसिद्ध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) यूं ही नहीं देश के सबसे आकर्षक शिक्षण संस्थान हैं। शोध व नवोन्मेष के लिये विख्यात ये संस्थान यदि इन कार्यों में दुनिया भर में पहचान बनाये हुए हैं तो इसका श्रेय यहां के प्रोफेसरों व वर्तमान छात्रों के साथ ही पूर्व छात्रों को भी जाता है।

आईआईटी चेन्नई के निदेशक प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति ने कहा कि शोध कार्यों के लिए फंडिंग की जरूरत पड़ती है। यह फंड जुटाना बड़ी चुनौती होती है। विशेषकर समाज के लिये किये जाने वाले शोध कार्यों में फंडिंग बड़ी चुनौती बनती है। फंड के अभाव में कई शोध कार्य पूरे नहीं हो पाते। ऐसे में शोधों को जारी रखने के लिए एकमात्र सहारा सीएसआर फंडिंग का होता है।

प्रोफेसर राममूर्ति आईआईटी मद्रास में रीयूनियन डे को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने वर्ष 2009 के 12 प्रतिष्ठित अलुमनस अवार्डी के नामों की भी घोषणा की। ये अवार्ड अकादमिक, उद्योग, शोध, बिजनेस व एंटरप्रेनरशिप, लीडरशिप और सामान्य श्रेणी में दिए जाएंगे। 

संस्थान के इंटरनेशनल एंड अलुमनाई रिलेशन्स के डीन प्रोफेसर महेश पंचांगुला ने कहा कि आईआईटी मद्रास के 48 हजार पूर्व छात्र (अलुमनाई) हैं। इनमें से 35 हजार संस्थान से जुड़े हुए हैं।

ये पूर्व छात्र विद्यार्थियों को उनके शोध कार्य में हर सम्भव मदद करते आ रहे हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने आईआईटी मद्रास को देश के इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में टॉप रैंकिंग दी है।

ये प्रयास आगे भी जारी रखने की जरूरत है ताकि हम आने वाले विद्यार्थियों को बेहतर कल दे सकें। 

आईआईटी मद्रास के 1983 स 1993 बैच के पूर्व छात्रों ने संस्थान के आधारभूत ढांचे के विकास और शोध कार्य के लिये छात्रों की मदद के लिए 14 करोड़ रुपए एकत्र करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में 300 से अधिक पूर्व छात्रों ने भाग लिया।

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