ऐसी तकनीक जो प्राकृतिक आपदा की जानकारी पहले ही दे देगी
Ritesh Ranjan/Chennai, @Royret
हर साल लाखों लोग प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में संकट एक अपरिहार्य घटना है, यह समुदाय पर बहुत अधिक विनाशकारी प्रभाव डालता है। आपदा से बहुत से लोग प्रभावित होते हैं और यह जीवन और आजीविका तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर और दीर्घकालिक प्रभाव डालता है। लोग जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें उबरने में कई दिन, महीने, साल लग जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण, आपदा और हमारी योजना/प्रबंधन प्रतिक्रिया के बीच का समय अवधि लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।
हम प्राकृतिक खतरों को रोक या बदल नहीं सकते। लेकिन नई तकनीक को अपना कर जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले खतरों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इससे हमें शुरुआती चरणों में ही चेतावनी मिल जाती है। इससे हमें स्थिति का पहले से ही सामना करने और जीवन के संसाधनों और धन आदि को बचाने में मदद मिलती है। ऐसा ही कुछ प्रयास तमिलनाडु की एक स्टार्टअप कंपनी ने कर दिखाया है।
एसेडियोस नमक इस स्टार्टअप ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे कि किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की जानकारी प्राप्त के लोगों को उसके बारे में पहले से सावधान किया जा सकता है। AIoT सेंसिंग डिवाइस के क्रियान्वयन से हमें सभी प्रकार के बहु-खतरे और प्राकृतिक आपदाओं से पूर्व चेतावनी प्रणाली (EWS) मिल सकती है। AI और ML आधारित सेंसिंग सिस्टम डेटा ट्रांसमिशन, डेटा प्रोसेसिंग, निर्णय लेने के कई चरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे जनता के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को घोषणाएँ और अलर्ट पहुँचाने का काम आसान हो जाएगा। EW-AWLR IoT आधारित यह अलर्ट प्रणाली सॉफ्टवेयर, वेब-सर्वर, सौर ऊर्जा संचालित रिमोट-फंक्शनल स्मार्ट IoT पोल से जुडी हुई होती है जिसमें प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के ट्रांसमिशन की सुविधा होती है।
जब खतरनाक मौसम / जल स्तर करीब आता है, तो स्वचालित AWLR अलर्ट सिस्टम साइट / पावर हाउस / सुरक्षा कक्ष / बांध के ऊपर फ्लैश लाइट और ध्वनि के साथ सायरन को ट्रिगर करते हैं, फिर उन्हें नीले, नारंगी और लाल अलर्ट द्वारा सावधान करते हैं। इस वायरलेस/वायर्ड रिपीटर अलर्ट सिस्टम को बढ़ाया जा सकता है और ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को वास्तविक समय में बहु-स्तरीय अलर्ट देने के लिए पावर हाउस मॉनिटरिंग रूम में स्थापित किया जा सकता है।
मुथु कुमार रामलिंगम जो इस कपनी के संथापक है बताते है कि एना विश्वविद्यालय में इन्होने अपने कर्रिएर कि शुरुआत सेंटर फॉर डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट विभाग में काम करना शुरू किया तभी से इनके दिमाग में ऐसी तकनीक विकसित करने का विचार चल रहा था। वो बताते है कि मैंने इस कपनी की स्थापना 2018 में कि थी और इसका प्रोटोटाइप 2019 में तैयार किया गया था।
वो बताते है कि कई देशों द्वारा स्थानीय समर्थित आपदा प्रबंधन एजेंसियों के साथ प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को अपनाया जाता है। हमने जो भी विकसित किया है वह बहु-खतरे की घोषणा प्रणाली पर केंद्रित है जिसका उपयोग हम अंतिम मील कनेक्ट को समझने के लिए कर सकते हैं। यह कोई सायरन नहीं है, रिमोट स्मार्ट अनाउंसमेंट पोल से सर्वर लोकेशन के बीच की तकनीक पूरी तरह से वीपीएन के माध्यम से डुप्लेक्स है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसी तरह, सेंसर एंड एज टेक में निर्णय लेने का विकल्प है, जिससे रिमोट साइट पर ही पहले स्तर की चेतावनी दी जा सकती है भले ही हमारे पास संचार समस्या हो, एज कंप्यूटिंग के माध्यम से, पहले लेवल की चेतावनी जारी की जा सकती है।
मौजूदा दौर में कितने देश इस तरह की प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। सभी ने सामान्य सायरन आधारित अलर्ट सिस्टम को ही अपनाया है जो कि वास्तविक समय की घोषणा प्रणाली नहीं है। इसे मोबाइल के साथ एकीकृत करना काफी आसान है। तमिलनाडु, केरल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश सरकार के मौसम विभाग को क्लाइमेट चेंज मॉनिटरिंग सिस्टम में सहायता प्रदान कर रहे है। इसके अलावा कई बड़ी निजी कपनियों को भी इस तकनीक के माध्यम से मदद पंहुचा रहे है।
मैंने अबतक कई देशों की सरकार और वहां की एजेंसियों को अपने उत्पाद का विवरण भेज रखा है। अभी तो हम देश में ही विभिन्न कंपनी और संस्थानों को अपना उत्पाद बेच रहे है लेकिन आने वाले दिनों में उम्मीद है कि जल्द हमारा उत्पाद बहार के देशों में भी देखने को मिलेगा। मुथु कुमार रामलिंगम, संथापक, एसेडियोस