जीडीपी आकलन — एक स्पष्टीकरण
आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय(एनएसएसओ) ने हाल ही में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 74वें चक्र के अन्तर्गत अंतिम रूप दिए गए भारत के सेवा क्षेत्र उद्यमों की तकनीकी रिपोर्ट जारी की है। सर्वेक्षण में 35456 उद्यमों के आंकड़ों का उपयोग किया गया है, जो कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय के डेटाबेस से लिए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 35456 उद्यमों का 38.7 प्रतिशत सर्वेक्षण-से-बाहर की इकाईयों के हैं। मीडिया के कुछ वर्गों ने सर्वेक्षण-से-बाहर की इकाइयों(सेवा क्षेत्र के सर्वेक्षण के उद्देश्य से ऐसा वर्गीकरण किया गया है) की गलत व्याख्या की है और इन इकाइयों को ऐसी इकाइयां माना है,जो अस्तित्व में नहीं हैं। इस व्याख्या के आधार पर यह कहा गया है कि एमसीए डेटाबेस से सर्वेक्षण-से-बाहर के उद्यमों को नहीं हटाकर केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय(सीएसओ) ने देश के सकल घरेलू उत्पाद का आकलन अधिक किया है। यह प्रेस वक्तव्य इस गलत धारणा का स्पष्टीकरण है।
एनएसएसओ रिपोर्ट की 38.7 प्रतिशत सर्वेक्षण-से-बाहर के उद्यमों में 21.4 प्रतिशत ऐसे उद्यम शामिल हैं, जो कवरेज-से-बाहर हैं। कवरेज-से-बाहर उद्यम साधारण तौर पर ऐसे उद्यम हैं, जो ऐसे कार्यकलाप नहीं करते हैं, जिन्हें सेवा क्षेत्र सर्वेक्षण में शामिल किया जा सके, हालांकि ये उद्यम कुछ आर्थिक क्रियाकलाप करते हैं – उदाहरण के लिए विनिर्माण क्षेत्र में। परिणामस्वरूप देश के जीडीपी आकलन के लिए इन उद्यमों को कवरेज से बाहर के उद्यम नहीं माना जा सकता। दूसरे शब्दों में उक्त कवरेज-से-बाहर उद्यमों के आधार पर जीडीपी का आकलन देश की जीडीपी का अभिन्न हिस्सा है।
शेष 17.3 सर्वेक्षण-से-बाहर उद्यमों के संदर्भ में ऐसी इकाइयां जो जीडीपी आकलन के लिए एमसीए डेटाबेस का हिस्सा नहीं हैं, मात्र 0.9 प्रतिशत हैं। शेष 16.4 प्रतिशत उद्यम या तो बंद हो चुके हैं या उनका कोई अता-पता नहीं है। हालांकि एमसीए डेटाबेस के निरंतर अद्यतन होने से बंद पड़े और अज्ञात उद्यमों के अनुपात में कमी आ रही है। इसलिए जीडीपी का अधिआकलन(ओवर एस्टीमेशन) की सीमा नहीं के बराबर है।
महत्वपूर्ण रूप से हमें यह नोट करना चाहिए कि गैर उत्तरदायी उद्यमों द्वारा आंकलित निजी कॉरपोरेट सेक्टर की कुल प्रदत्त पूंजी का हिस्सा एमसीए डाटा बेस का उपयोग करते हुए जीडीपी अनुमानों को प्रभावित करता है। निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र में गैर उत्तरदायी उद्यमों की संख्या इसे प्रभावित नहीं करती है। निम्नलिखित तालिका वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक सक्रिय फर्मों की संख्या और उन फर्मों की संख्या को दर्शाती है, जिनकी जानकारी का जीवीए आंकलन के लिए सीधे ही उपयोग कर लिया गया था।
तालिका 1: शामिल और बहिष्कृत फर्मों की प्रदत्त पूंजी के आधार पर प्रभाव डालने वाले कारक
वर्ष | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 |
वर्ष के लिए दायर फर्मों की संख्या (लाख) | 5.6 | 6.1 | 6.0 | 6.3 | 7.1 |
सक्रिय कंपनियां (लाख) | 8.8 | 9.5 | 10.1 | 10.8 | 11.6 |
गुणक (प्रदत्त पूंजी के आधार पर) | 1.15 | 1.14 | 1.17 | 1.13 | 1.17 |
रिपोर्टिंग कंपनियों की प्रदत्त पूंजी का हिस्सा | 87% | 88% | 85% | 88% | 85% |
गैर-रिपोर्टिंग कंपनियों की प्रदत्त पूंजी का हिस्सा | 13% | 12% | 15% | 12% | 15% |
2012-13 से 2016-17 तक ऐसे उद्यमों की संख्या, जिनका सकल घरेलू उत्पाद आकलन के लिए वार्षिक रिटर्न उपलब्ध नहीं था, उनकी प्रदत्त पूंजी एमसीए डेटाबेस में सभी उद्यमों की प्रदत्त पूंजी की केवल 12-15 प्रतिशत थी। उत्तरदायी उद्यमों के अनुमानित जीवीए अनुमान में पूरे निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के जीवीए की तुलना में केवल 1.13-1.17 बढ़ोतरी हुई। अधिकांश गैर-उत्तरदायी उद्यमों ने अपना डाटा उपलब्ध नहीं कराया है। उन्होंने अनुवर्ती वर्षों में रिटर्न फाइल के लिए अपने विवेक का उपयोग किया है। उनके पहले दर्ज रिटर्न में उनकी गतिविधियां जारी रही। तद्नुसार समग्र जीवीए अनुमानों में उनका समावेश वैध था।
अंत में, जहां पर अनुमान कुछ कम या अधिक रहा है जीडीपी के स्तर पर उतार-चढ़ाव का जीडीपी के स्तर पर प्रभाव पड़ता है और यह वर्ष दर वर्ष वार्षिक वृद्धि दर को भौतिक रूप से प्रभावित नहीं करता है। जैसा कि ऊपर तालिका 1 में देखा गया है कि एमसीए डेटा बेस आधार में फर्मों के अनुपात ने उनके परिचालन को कम कर दिया है इससे वर्ष 2012-13 से 2016-17 के वर्षों में न्यूनतम रूप से भिन्नता आती है। यह स्थिति सुनिश्चित करती है कि जीडीपी स्तर वास्तविकता के मुकाबले थोड़ा बहुत कम हो सकता है। लेकिन उससे जीवीए की वर्ष दर वर्ष विकास दर में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एमसीए डेटा बेस जीडीपी के आकलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग देश में आर्थिक गतिविधि का अधिक सही माप उपलब्ध कराता है।