बिहार में कन्हैया कुमार के कंधे पर दाव लगाने को तैयार कांग्रेस
आईएनएन/मुंबई, @Infodeaofficial
बिहार में विधानसभा चुनाव में अब केवल आठ महीने बचे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने अपनी पूरी शक्ति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है. बड़ी बात ये है कि इस बार कांग्रेस राजद के प्रभाव से बाहर निकलकर फ्रंट फूट पर खेलने की कोशिश कर रही है. ऐसे में, लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन में आयी दरार अब बड़ी होती दिख रही है.
पिछले दो महीने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो बार बिहार आ चुके हैं. पहली बार राहुल 18 जनवरी और दूसरी बार आठ फरवरी को पटना पहुंचे. इसके बाद, बिहार कांग्रेस एक्शन में दिख रही है. कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तरह रोजगार के मुद्दे पर एक पदयात्रा निकालने जा रही. इस पद यात्रा की अगुवाई पार्टी की युवा और छात्र इकाई करेगी. बताया जा रहा है कि 16 मार्च से 14 अप्रैल तक कांग्रेस के युवा–छात्र नेता और कार्यकर्ता बिहार में नौकरी दो यात्रा निकालेंगे. इसमें कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI के प्रभारी कन्हैया कुमार भी शामिल होंगे. ऐसे में इस कार्यक्रम को बिहार की सियासत में कन्हैया की वापसी के तौर पर देखा जा सकता है.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुट गई है. बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारु के आने के बाद पार्टी लगातार आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुटी है. आज कांग्रेस के युवा चेहरा और एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार आज पटना पहुंचे. उनकी सदाकत आश्रम में आज एक महत्वपूर्ण बैठक हुई.
बिहार कांग्रेस में कन्हैया कुमार के आगे बढ़ने से राजद में हल्की नाराजगी देखने को मिल रही है. इस यात्रा पर राजद के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया जा रहा है. जानकार बताते हैं कि लालू यादव और तेजस्वी यादव को कन्हैया कुमार पसंद नहीं है. राजनीति की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि ऐसा माना जाता है कि लालू प्रसाद यादव कन्हैया कुमार के बिहार में सक्रियता अब तक नहीं चाहते रहे थे.
अब पप्पू यादव के बयान ने भी महागठबंधन की टेंशन बढ़ा दी है. राजद के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से जुड़े सवाल के जवाब में सांसद पप्पू यादव ने कहा कि महागठबंधन का निर्णय सामूहिक होता है. सबकी सहमति से होता है. महागठबंधन का निर्णय राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, माले के नेता और लालू यादव सब मिलकर लेंगे. नेतृत्व कांग्रेस करेगी.
राजद तेजस्वी को बिहार में सबसे युवा चेहरा के रुप में प्रस्तुत कर रही है. ऐसे में कांग्रेस ने भी युवा राजनीति को बढ़ावा देते हुए विकल्प की तलाश शुरू कर दी. मगर सवाल यह है कि राहुल गांधी, लालू-तेजस्वी के मन के विरुद्ध कन्हैया कुमार को बिहार में एक्टिव क्यों कर रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि बिहार महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.