सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से लगाए प्रतिबंध को सही ठहराया है

आईएनएन/नयी दिल्ली,  @Infodeaofficial

कोर्ट में CPCB, NEERI, CSIR की ओर से रखी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि सामान्य पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों से 30 फीसदी कम प्रदूषण होता है। इस रिपोर्ट के आधार पर पटाखा निर्माता कंपनियों ने छूट की मांग भी की थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से ना के बराबर प्रदूषण होता है, तब तक बैन के पुराने आदेश में बदलाव का कोई औचित्य नज़र नहीं आता।

कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार आर्टिकल 21 के तहत जीने के अधिकार का हिस्सा है। लोगों को स्वस्थ वातावरण में रहने का अधिकार है। कोर्ट ने भी पहले जो पटाखों पर बैन का फैसला लिया था, वो भी दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के बेहद खतरनाक स्तर के मद्देनजर लिया गया था।

आम आदमी पर इसका क्या असर होता होगा, वो समझा जा सकता है कि क्योंकि हर कोई एयर प्यूरीफायर नहीं खरीद सकता। एक बड़ा तबका जो सड़क पर, गलियों में काम करता है, प्रदूषण का असर उस पर सबसे ज़्यादा होता है।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा ने पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक के आदेश पर पालन किया है। कोर्ट ने राजस्थान और यूपी से कहा है कि वो भी ऑनलाइन ब्रिक्री पर रोक लगाए और दो हफ्ते में इस आदेश पर अमल को लेकर रिपोर्ट दे।

सुनवाई के दौरान मुकेश जैन नाम के एक व्यक्ति ने पटाखो पर बैन को अंतरराष्ट्रीय साजिश करार देते हुए प्रदूषण के मामले में मूल याचिकाकर्ता एम सी मेहता पर गम्भीर आरोप लगाए। मुकेश जैन ने आरोप लगाया कि एमसी मेहता को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से पैसा मिला है, जिनके नक्सली संगठनों से सम्बंध है।

कोर्ट ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि हम एमसी मेहता को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते। पर वो लगातार पर्यावरण के विभिन्न गम्भीर मसलों को अपनी याचिकाओं के ज़रिए कोर्ट में रखते रहे है और कोर्ट 1984 से उनकी याचिकाओं पर आदेश पास करता रहा है।

उनके मामलों में जो आदेश पास किये गए, उनके तहत सरकार और एजेंसियों को प्रदूषण पर लगाम लगाने में कामयाबी मिली है। कोर्ट ने मुकेश जैन के रुख पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए चेतावनी दी कि ऐसे आरोप बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।हालांकि कोर्ट ने मुकेश जैन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया और चेतावनी देकर छोड़ दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *