एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी से निवेश के लिए भारत को एक मजबूत विकास इंजन के रूप में देखा जा रहा है: जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज

INN/New Delhi, @Infodeaofficial

जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज की भारत यात्रा से पहले जर्मनी में कराए गए एक सर्वेक्षण के नतीजे दिखाते हैं कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी से निवेश के लिए भारत को एक मजबूत विकास इंजन के रूप में देखा जा रहा है। एएचके वर्ल्ड बिजनेस आउटलुक के तहत एशिया-प्रशांत और ग्रेटर चीन क्षेत्र में लगभग 820 सदस्यों का सर्वेक्षण किया गया। सर्वे से पता चला है कि भारत में कारोबार करने वाली 51 प्रतिशत जर्मन कंपनियां आने वाले साल में अपना निवेश बढ़ाने का इरादा रखती हैं।

सर्वेक्षण से पता चला है कि ग्रेटर चीन – जिसमें चीन, ताइवान और हांगकांग शामिल हैं – वहां पर जर्मनी की कंपनियों का नजरिया उत्साहजनक नहीं है । सर्वे में कहा गया कि चीन में 28 प्रतिशत कंपनियों ने आने वाले वर्ष के लिए अपने निवेश के इरादे कम कर दिए हैं । 25 अक्टूबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज एशिया पैसिफिक कांफ्रेंस ऑन जर्मन बिजिनेस को संबोधित करेंगे । जर्मनी के वित्त और पर्यावरण संरक्षण मंत्री रॉबर्ट हैबेक भी जर्मन बिजनेस के द्विवार्षिक एशिया-प्रशांत सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को भारत पहुंचे हैं ।

इस उच्चस्तरीय यात्रा से पहले जर्मन सरकार ने -फोकस ऑन इंडिया- नाम के पेपर को अपनी मंजूरी दे दी है । 16 अक्टूबर को जर्मनी की कैबिनेट ने इस पेपर को अपनी मंजूरी दी है।भारत में जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि जर्मनी दक्षिण एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को अगले स्तर तक ले आना चाहते हैं और इस बार होलिस्टिक अप्रोच के साथ जर्मन चांसलर और उनके कैबिनेट के सहयोगी भारत की यात्रा पर आ रहे हैं।

भारत और जर्मनी जलवायु परिवर्तन, ग्रीन और सतत विकास में साझेदारी और आर्थिक विकास में सहयोग करना चाहते हैं। इसके लिए जर्मनी की नई प्रवासी नीति, दोनों देशों के बीच शैक्षणिक सहयोग, जर्मनी में आने वाले भारतीय छात्र और स्किल्ड वर्कफोर्स के लिए नीतियों पर फोकस किया गया है । भारत और जर्मनी 7वें अंतर सरकारी परामर्श के दौरान दोनों देशों के बीच अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।

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