हिंदी प्रचार सभा मद्रास की कर्नाटक शाखा में खुलेआम हो रहा भ्रष्टाचार
भरत संगीत देव आईएनएन/नई दिल्ली @Infodeaofficial
इस बार बी. एड. परीक्षा के दौरान संस्थान के द्वारा छात्रों को सम्बन्धित पुस्तकों के माध्यम से नकल कराई जा रही थी। इसकी सूचना जब कमिश्नर साहब को लगी तो उन्होंने संस्थान में जाकर रँगे हाथों नकल करते छात्रों और इसमें संलिप्त अध्यापकों को पकड़ा।
इससे पहले भी ऐसी कई घटनायें घटित होने के बाद भी कोई कार्रवाई नही की गई। संस्थान द्वारा फर्जी डिग्रियां बांटना, पैसे लेकर सीटों का वितरण और अनियमित रूप से बिना नियम कानूनों का पालन किये बगैर एमफिल जैसी उच्च शिक्षा वाली डिग्रियों में प्रवेश धड़ल्ले से किया जा रहा है।
कवि सतीश कुमार नैतिक जी जो दो साल से भी ज्यादा समय से निलंबित चल रहे हैं से बात की तो उन्होंने बताया कि जब संस्थान में हो रही इन अनियमितताओं को विश्वसनीय प्रोफेसरों के द्वारा उठाया गया तो उनके खिलाफ निलम्बन जैसी कार्रवाई की गई जिसकी कोई समय सीमा तय करने की बजाय लम्बे समय तक जांच प्रकिया को बिना किसी ठोस वजह के खींचा जाता है।
ऐसे में कई अध्यापक इससे पीड़ित हैं जिनकी जांच प्रक्रिया लम्बे समय से चल रही है लेकिन कोई उचित समाधान निकालने की बजाय उन पर ही जांच में असहयोग जैसे बेबुनियादी आरोप मढ़ दिए जाते हैं।
आजकल असिस्टेंट प्रोफेसर सतीश कुमार जी के साथ भी कुछ ऐसा ही किया जा रहा है जिससे उनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इन सभी घटनाओं से सम्बंधित सूचना जब हिंदी प्रचार सभा कर्नाटक के पदाधिकारियों से लेने के लिए बातचीत की जाती है तो सवालों के जवाब गोल मोल घुमा कर दिए जाते हैं।
उचित जानकारी देने की बजाय बीच में फोन काट दिया जाता है और दुबारा जब कोशिश की जाती है तो फोन उठाया नहीं जाता है। पिछले कई दिनों से संस्थान के प्रो. वी सी आर.एफ नीरलकट्टी, प्रधान सचिव जयराज जी, शिवयोगी जी , रजिस्ट्रार प्रदीप शर्मा जी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी ने सम्बन्धित घटना पर जानकारी उपलब्ध नही कराई गई।
प्रो. वी सी आर.एफ नीरलकट्टी जी के घर पर फ़ोन किया रो लगातार कई दिनों से घर नही होने का बहाना बनाकर बचते रहे। वहीँ इस मुद्दे पर बातचीत के दौरान शिवयोगी जी ने बताया उक्त परीक्षा को रद कर दिया गया है पुनः उनसे पूछा गया कि इस परीक्षा में नकलचिबाजो के शागिर्द संलिप्त अधिकारी और अध्यापकों पर क्या कारवाई की गयी तो सीधे कोई भी जवाब देने से बच गए अधिकारी ऐसी परिस्थिति में शिक्षा और शासन व्यवस्था पर सवाल होना लाजमी है कही ऐसा तो नहीं की गुरू और चेले के नकलची खेल में शासन के बड़े बड़े सुरमा अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालने का कहानी लिख रहा हो इस घटना को लेकर लोगो में काफी आक्रोश है। जहाँ शिक्षा के मंदिर में चोरी बेईमानी का खुल्लम खुल्ला तमाशा चलता हो तो ऐसी शिक्षा का तो भगवान ही मालिक है.
राष्ट्रीय महत्व की संस्था होने के बावजूद ऐसी निन्दनीय घटनाओं का होना बहुत ही शर्म की बात है। इससे पहले भी संस्थान की अनियमितताओं को उजागर करने का प्रयास किया गया, संस्थान के उच्च पदाधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन परिणाम निकलने के बजाय एक और घटना परीक्षा में नकल का मामला सामने आया है इससे लगता है कि हिंदी प्रचार सभा शाखा कर्नाटक सहित अन्य शाखाओं में सुधार की आवश्यकता के साथ साथ सम्बन्धित अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही करने की जरूरत है। तभी राष्ट्रीय महत्व की इस संस्था के मुख्य उद्देश्य को फिर से गति दी जा सकती है।