विशेषज्ञ न्यायाधीशों की संकल्पना लागू करने से मिलेगा त्वरित न्याय का लक्ष्य
न्यायपालिका पर वादों का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। जनसंख्या वृद्धि की दर से स्पष्ट है कि आगामी समय में यह बोझ कम होने के बजाय और बढ़ेगा। देश में बढ़ते आपराधिक और दीवानी मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए विशेषज्ञ जजों की बहुत जरूरत है। यदि विशेषज्ञ न्यायाधीशों को नियुक्त किया जाए और वे वाद सुनें तो इनका निपटारा तीव्र व सरल होगा।
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
वीआईटी के चेन्नई परिसर में आयोजित ‘भारत में आपराधिक न्याय’ विषयक राष्ट्रीय व्याख्यान में मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी.टी. सेलवम ने यह कहा। उन्होंने कहा कि देश में विशेष अदालतें तो बनायी गयी हैं, लेकिन इनके लिए विशेषज्ञ न्यायाधीशों की नियुक्ति की संकल्पना अभी नहीं स्वीकारी गयी है। वादों के निपटारे में विलंब होने का कारण यह भी है। न्यायपालिका को विशेषज्ञ न्यायाधीशों की व्यवस्था के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए।
90 के दशक से पहले के वादों व निर्णयों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि तब और आज में बहुत अंतर आ गया है। अब प्रतिदिन सैकड़ों वाद न्यायालय में आते हैं।
संसाधन व न्यायाधीशों की कमी के कारण लम्बित पड़े रहते हैं। ऐसे में नवीन और सरल न्यायिक व्यवस्था का विकास किये जाने की आवश्यकता है। न्होंने कहा कि आपराधिक प्रकरणों में समय के साथ काफी परिवर्तन आ चुका है। ऐसे प्रकरण बढ़ते जा रहे हैं। इन पर नियंत्रण के लिए विधि-व्यवस्था प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता है।
वीआईटी के प्रति कुलपति डा. एन. संबंधम ने कहा कि दुनिया भर में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और इन अपराधों से निपटना बड़ी चुनौती है। इसके लिए ठोस कानून बनाने की आवश्यकता है।
साइबर अपराध रोकने के लिए राष्ट्रीय एजेंसी तो आवश्यक है ही, साथ ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सूचना व तकनीक का आदान प्रदान भी आवश्यक है।
वीआईटी के विधि विभाग के संकाय अध्यक्ष डॉ एम. गांधी ने कहा कि आईआईएम व भारतीय विधि संस्थान में विशेषज्ञ न्यायाधीश पदों के लिए अभ्यर्थियों को तैयार करने का विशेष संस्थान बनाया जाना लाभप्रद हो सकता है।
इन संस्थानों से निकलने वालों अभ्यर्थियों के लिए न्यायिक सेवा में स्थान की संभावना देखी जानी चाहिए। हालांकि अभी न्यायिक अधिकारी भर्ती प्रक्रिया अलग तरह की है। इसलिए यह संकल्पना व्यवहारिकता की कसौटी पर कैसे खरी उतरे, इस पर विमर्श होना चाहिए। वीआईटी के सहायक प्रोफेसर पीआरएल राजा वेंकटेशन ने भी विचार व्यक्त किए।