अस्तित्व ने आयोजित किया व्याख्यान कार्यक्रम
आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
अपनी संस्कृति के विलुप्त होने का प्रमुख कारण हमारी उसके प्रति जागरूकता में कमी और हमारे विचारों का मंद होना है। इसी का फायदा उठाकर पश्चिमी देश आज हमसे कहीं ज्यादा अग्रणी हैं और भारतवर्ष जैसा देश जिसकी संस्कृति और सभ्यता हजारों वर्ष पुरानी है बहुत पीछे छूटा हुआ है।
मईलापुर स्थित भारतीय विद्या भवन में अस्तित्व द्वारा आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए अंतरराष्ट्रीय पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने यह बात कही। उन्होंने कहा एक वह जमाना था जब हमारी माताएं रात की बची रोटी को प्याज और सब्जी के साथ लपेट कर हमें सुबह का नाश्ता करा देती थी और आज हम उसी बासी रोटी को पिज्जा के नाम से ऊंचे दामों पर खरीद रहे हैं।
एक वह दिन था जब विदेश से लोग भारत आकर ज्ञान अर्जित करते थे और वही ज्ञान अपने देश ले जाते थे, पर आज स्थिति बदल गई है। आज हमारे ज्ञान को नहीं बल्कि ज्ञानी लोगों को ही भारत से बाहर बुलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा मौजूदा केन्द्र सरकार भारत को विश्वगुरु बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है और काफी हद तक वह इस लक्ष्य को आगे भी बढ़ा चुकी है। योग को आज विश्वभर में मान्यता दिलाने का काम मोदी सरकार ने ही किया है। राजनीति पर व्यंग्य कसते हुए उन्होंने कहा हमारी जनता वैसी सरकार चुनती है जैसी सरकार वह चाहती है।
मतदान करने के बाद सबको लगता है कि हमने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली, लेकिन ऐसा नहीं है हमारी सरकार क्या कर रही है और क्या नहीं, हमें इसका भी ध्यान रखने की जरूरत है। अपने निजी अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा मैं जिस होटल में ठहरा हुआ हूं वहां ठहरने के लिए मंैने पैसे दिए हैं लेकिन कमरे में जब मैंने ड्रॉवर खोली तो देखा उसमें बाइबल पड़ी हुई है। यह कैसी व्यवस्था है अगर वहां धर्मग्रंथ रखना ही था तो सभी धर्मों के ग्रथ रखने चाहिए थे वरना एक भी धर्म का नहीं। हमें बाइबल पढऩे के लिए कोई इस तरह से बाध्य नहीं कर सकता।
कुलश्रेष्ठ ने कहा भारतीय होकर भी हम अपने धर्म और संस्कारों को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। यह हमारी मूर्खता है इसके लिए हम किसी सरकार या नेता को दोष नहीं दे सकते। अंत में उन्होंने कहा भाषा के आधार पर मैंने कई राज्यों को केंद्र सरकार को आंख दिखाते हुए देखा है लेकिन मेरा कहना है अगर हिंदी से किसी को समस्या है तो संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा घोषित कीजिए क्योंकि उसी से सभी भाषाओं का उद्गम हुआ है। राष्ट्रपिता हम महात्मा गांधी को क्यों कहते हैं जैसे 1947 के बाद ही भारत का जन्म हुआ हो। अगर राष्ट्रपिता की उपाधि किसी को देनी है तो वेदव्यास को मिलनी चाहिए।
भारत को यूनिटी इन डायवर्सिटी की उपमा देते हैं जो सरासर गलत
इस मौके पर पूर्व रॉ अधिकारी और रिटायर्ड कर्नल आरएसएन सिंह ने कहा लोग भारत को यूनिटी इन डायवर्सिटी की उपमा देते हैं जो सरासर गलत है। भारत पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक एक सूत्र में बंधा हुआ है। इसे तीन शब्दों में आसानी से समझा जा सकता है साड़ी, संस्कृत और संगीत। साड़ी देश के हर प्रदेश की महिलाओं का पहनावा है, संस्कृत एक ऐसी भाषा है जिससे हर प्रांत की भाषा का उद्गम हुआ है और संगीत एक ही सरगम से बंधा हुआ है।
ऐसे में कहां हम अलग हंै? हमें इस विभिन्नता में एकता के भाव से अलग करने की कोशिश पिछले कई सालों से की जाती रही है क्योंकि कुछ धर्म और देश के प्रतिनिधि हमारी संस्कृति और विज्ञान से खार खाते हैं। भारत के मुसलमान क्यों अरब संस्कृति का अनुसरण करते हैं? क्यों हमारी मुस्लिम बहनों को बुरके में रहने पर बाध्य किया जाता है जो हमारी संस्कृति का हिस्सा कभी भी नहीं रही।
आज सउदी अरब के किंग सलमान अब उन प्रथाओं को तोडक़र 21वीं सदी के साथ कदम मिला रहे हैं। जहां महिलाओं को बिना बुरका के बाहर जाने की ईजाजत नहीं हुआ करती थी, जहां कार चलाना महिलाओं के लिए वर्जित था वे सब पाबंदिया हटाई जा रही है। इस मौके पर अस्तित्व के संस्थापक गौतम खारीवाल, सुगालचंद जैन, रमेश चोपड़ा, प्रदीप कुमार, सुरेश गोलेछा, हंसराज, वैभव सिंघवी, दिनेश, बिपिन समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।
Leave a Reply