आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
चिकित्सा सम्बंधित सुविधाओं जैसे दवा, चिकित्सीय उपकरण इन सभी के लिए विश्व भर के सभी देश चीन पर निर्भर रहते हैं लेकिन कोरोना महामारी के पैदा होने के बाद से चीन पर यह निर्भरता खत्म हो हो रही है और विश्व के लिए भारत एक नया विकल्प बनकर उभर रहा है।
यह कहना है कहां शासुन फार्मास्यूटिकल्स के संस्थापक अभय कुमार जैन का। वह कहते हैं कि भारत ने दवा और चिकित्सीय उपकरण में विश्व बाजार में 33% क्षेत्र पर आधिपत्य स्थापित कर लिया है और आने वाले दिनों में यह 50% हो जाएगा।
इससे एक तरफ चीन पर दवा और चिकित्सीय उत्पादों के लिए निर्भरता कम होगी और वही भारत में निवेश और रोजगार की संभावनाएं पैदा होंगी।
अभी कोरोना महामारी के बाद जिस प्रकार से अधिकांश देश चीन के खिलाफ गोलबंद हो रहे हैं उससे यह साफ जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में जिन-जिन देशों ने उद्योग चीन में स्थापित किया है उसकी दिशा अब भारत की ओर मुड़ेगी।
इस संभावना को भारत सरकार ने भी भाप लिया है और इसके लिए पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है। देश में श्रम कानूनों में बदलाव इसका एक उदाहरण है।
अभय कुमार बताते हैं कि शासुन पिछले 44 सालों से मेडिकल क्षेत्र में में काम कर रहा है। भारत में पहली स्टेम सेल बैंकिंग सुविधा की स्थापना शासून फार्मास्यूटिकल्स ने वर्ष 2004 में की थी। वर्ष 2010 में ही उन्होंने भाप लिया था कि भारत की पौराणिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का आने वाले दिनों में मांग बढ़ेगी।
इसलिए उन्होंने धनवनत्रि नैनो आयुर्वेदा (डीेएनए) नाम की एक कंपनी स्थापित की जो नैनो तकनीक का इस्तेमाल कर आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण करती है। आयुर्वेदा में हर बीमारी का इलाज है लेकिन उसका कोई साक्ष्य नहीं इसलिए इन दवाओं की महत्ता अभी काम है।
डीेएनए में हम इन विभिन्न प्रकार की बिमारियों के दवा का निर्माण गहन गहन शोध के बी आड़ करते हैं। वह बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वर्षा 2050 तक विश्व भर में आयुर्वेदिक दवाइयों का काफी महत्ता होगी।
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