उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पर्व का हो गया समापन
INN/Chennai, @Infodeaofficial
आज तड़के उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो गया। आज देर रात से ही बिहार में विभिन्न नदियों और तालाबों में श्रद्धालु प्रातःकालीन अर्घ्य देने के लिए इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। अधिक भीड़ को देखते हुए बहुत सारे श्रद्धालुओं ने अपने घरों की छतों पर और मुहल्लों में विशेष रूप से बनाए गए कृत्रिम तालाबों में छठ का अनुष्ठान पूरा किया। बिहार की राजधानी पटना में संगीतमय और धार्मिक उल्लास के वातावरण में लोगों ने छठ गीत गाते हुए अनुष्ठान किए।
देश विदेश में इस महापर्व को मनाया गया। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी इस महापर्व को बड़े जोश खरोश से साथ मनाया गया। चेन्नई महानगर के आस पास इसका कई जगह पर आयोजन किया गया था। रेड हिल्स, मरीना बीच, ईसीआर के बीच पर छठ व्रतियों ने सुबह के उगते सूर्य की उपासना कर अपने व्रत को तोडा। कई भक्तों ने अपने घरों पर इस उत्सव को मनाया।
गौरतलब है कि इस साल, चेन्नई में रहने वाले बिहार और झारखंड समुदाय द्वारा छठ पूजा का जीवंत त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया गया, जिसका श्रेय बिहार चौपाल चेन्नई को जाता है। गैर-निवासी बिहारियों के लिए एक सहायता प्रणाली के रूप में कार्य करते हुए, बिहार चौपाल चेन्नई ने कई स्थानों पर छठ पूजा समारोहों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे बिहार की सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा चेन्नई में आया।
बिहार चौपाल चेन्नई की उत्सव में भूमिका
बिहार चौपाल चेन्नई ने भक्तों को अनुष्ठानों के लिए आवश्यक विभिन्न वस्तुओं, जैसे फल, गन्ना, मिट्टी के दीये और अन्य पारंपरिक प्रसाद की व्यवस्था करने में मदद करने का आवश्यक कार्य किया, जो उत्सव के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन वस्तुओं के महत्व को पहचानते हुए, विशेष रूप से घर से दूर एक स्थान पर, संगठन ने स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ समन्वय किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध हों।
इस उपलक्ष्य पर डॉ सुशीला कुमारी ने बताया कि छठ देवी मां की उपासना, प्रकृति के छठवें तत्व के रूप में निर्मल जल स्त्रोतों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती है। वस्तुत: सूर्य देव की अग्नि तथा प्रकाश से ही सूर्यांश पृथ्वी पर जल तथा वायुमंडल की स्थापना हुई। इन चारों तत्वों को दिव्य आकाशीय जीवन ऊर्जा के सानिध्य से पंचतत्व अर्थात प्रकृति का निर्माण हुई है जिससे हमारी उत्पति हुई है । हम प्रकृति का एक भाग है और इनका पूजन और संरक्षण हमारे लिए सौभाग्य की बात है जो हमें और सभी जीव जन्य को बिना मूल्य का एक जल, जीवन एवं हरियाली प्रदान करती है । ऐसी प्रकृति सिर्फ और सिर्फ माता पिता की ही होती है।
उन्होंने डॉ आशीष बिहार चौपाल को छठ पूजा की आयोजन में अहम भूमिका और एक गैर निवासीयो को एक धागा में पिरोने के कार्य को प्रशंसा किया और धन्यवाद दिया और साथ ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री म के स्टालिन, एवं उनकी सरकार और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के अधिकारियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने छठ पर्व के अवसर पर मरीनाबीच पर स्वच्छता और प्रशासनिक ध्यान रखा।
बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष्य अमरदीप कुमार का कहना है कि तमिलनडु के लोगों और बिहार के लोगों में एक समानता है कि दोनों कही भी जाएं अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ते। आज यही नजारा चेन्नई में देखने को मिला जहा बिहार के विभिन्न भाग से यहाँ रह रहे लोगों ने छठ पर्व मनाया। यह पहली बार है जब अपने घर से दूर छठ महापर्व को मन रहा हूँ।
मैंने पढाई चेन्नई से ही की है लेकिन उस वक़्त ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलता था लेकिन अब चेन्नई में छठ महापर्व के अवसर पर यह नजारा आम सा दीखता है। मैंने ईसीआर के पलवक्कम बीच पर अपने माता, दीदी और उनके दोस्तों के साथ इस महापर्व को मनाया। ईसीआर के कई इलाको में बीच के कई परिवार छठ पर्व को मानाने के लिए इकठ्ठा हुए थे। लोगों में इस जज्बे को देखकर लगता है कि बिहार के लोगों को अपनी संस्कृति के प्रति कितना प्यार है।