चेन्नई में छठ पूजा: गैर-निवासी बिहारियों और झारखंडियों के लिए एक सांस्कृतिक समागम

छठ पूजा: भक्ति और कृतज्ञता का उत्सव

INN/Chennai, @Infodeaofficial

छठ पूजा, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक है, जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह सूर्य देव, सूर्य और उनकी पत्नी छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। अपार भक्ति के साथ मनाया जाने वाला छठ पूजा एक धन्यवाद का त्योहार है जहाँ भक्त स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

छठ पूजा का महत्व

यह त्योहार चार दिनों तक चलता है, जिसमें कठोर अनुष्ठान, उपवास और सूर्य को समर्पित प्रार्थनाएँ की जाती हैं, जिन्हें जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य के प्रति कृतज्ञता में अनुष्ठान किए जाते हैं। छठ इसलिए अनोखा है क्योंकि इसमें अनुशासन, शुद्धता और सादगी पर जोर दिया जाता है, जिसमें भक्त सूर्य के सम्मान में जल, फल और पारंपरिक खाद्य पदार्थ जैसे ठेकुआ और खरना प्रसाद चढ़ाते हैं। ये प्रसाद मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य का प्रतीक हैं, और यह त्योहार लोगों के प्राकृतिक तत्वों के साथ बंधन को उजागर करता है।

छठ पूजा के दौरान भक्त कठोर उपवास रखते हैं, अक्सर बिना पानी के, और पूजा आमतौर पर किसी जल निकाय के पास की जाती है। भोर और शाम को, भक्त डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य (जल और प्रार्थना का पारंपरिक प्रसाद) देते हैं, जो जीवन की चक्रीय प्रकृति और अंधकार और प्रकाश के बीच संतुलन का प्रतीक है।

इस साल, चेन्नई में रहने वाले बिहार और झारखंड समुदाय द्वारा छठ पूजा का जीवंत त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया गया, जिसका श्रेय बिहार चौपाल चेन्नई को जाता है। गैर-निवासी बिहारियों के लिए एक सहायता प्रणाली के रूप में कार्य करते हुए, बिहार चौपाल चेन्नई ने कई स्थानों पर छठ पूजा समारोहों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे बिहार की सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा चेन्नई में आया।

चेन्नई में मरीना बीच, रेड हिल्स, बेसंट नगर, इसीआर के विभिन्न बीच इलाकों में छठ पूजा समारोह मनाया गया, जिसने भक्तों को बंगाल की खाड़ी की सुंदर पृष्ठभूमि के बीच अर्घ्य देने के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान किया। इसके अलावा, कई भक्तों ने बिहार चौपाल चेन्नई के सदस्यों के घरों पर उत्सव मनाया, जिससे एक अधिक अंतरंग और समुदाय-केंद्रित पूजा की अनुमति मिली।

बिहार चौपाल चेन्नई की उत्सव में भूमिका

बिहार चौपाल चेन्नई ने भक्तों को अनुष्ठानों के लिए आवश्यक विभिन्न वस्तुओं, जैसे फल, गन्ना, मिट्टी के दीये और अन्य पारंपरिक प्रसाद की व्यवस्था करने में मदद करने का आवश्यक कार्य किया, जो उत्सव के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन वस्तुओं के महत्व को पहचानते हुए, विशेष रूप से घर से दूर एक स्थान पर, संगठन ने स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ समन्वय किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध हों।

इसके अलावा, उत्सव ने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाया, जो बिहारी और झारखंडी प्रवासी की एकता और ताकत को दर्शाता है। इंजीनियर, छात्र, पेशेवर और परिवार सभी अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए एकत्र हुए, अपनी सांस्कृतिक जड़ों की पुष्टि की और अपनेपन और सामुदायिक भावना को बढ़ावा दिया।

 

भूगोल से परे एक सांस्कृतिक बंधन

इस वर्ष चेन्नई में छठ पूजा समारोह ने परंपरा और अनुकूलन के बीच एक सेतु का काम किया, जिससे बिहार और झारखंड समुदाय को अपनी मातृभूमि से दूरी के बावजूद अपनी विरासत से जुड़ा हुआ महसूस हुआ। बिहार चौपाल चेन्नई के प्रयासों ने घर से दूर रहने पर भी सांस्कृतिक त्योहारों को संरक्षित करने और मनाने में सामुदायिक संगठनों के महत्व को उजागर किया। यह आयोजन सांस्कृतिक मूल्यों की लचीलापन और सामुदायिक समर्थन की शक्ति का प्रमाण था।

बिहार चौपाल चेन्नई के सूत्रधार डा आशीष कुमार ने कहा कि चेन्नई में छठ पूजा मनाकर, बिहार और झारखंड के प्रवासी लोगों ने न केवल अपनी परंपराओं को जीवित रखा, बल्कि चेन्नई में व्यापक दर्शकों के लिए अपनी मातृभूमि की सांस्कृतिक समृद्धि को भी पेश किया, जिससे यह वास्तव में समावेशी और यादगार उत्सव बन गया। उन्होंने बताया कि आज इस आयोजन के बाद हमें लगा कि बिहार चौपाल अब सार्भौम हो रहा है जिससे हमारी जिम्मेदारी बढ़ रही है। हमारा कार्य अब केवल बिहार वासियों तक ही सिमित नहीं रहना चाहिए अब हमारा दायरा बढ़ता नज़र आ रहा है। आने वाले दिनों में यह विचार कर ही अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।

इस उपलक्ष्य पर सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में काम करने तकनिकी अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि चेन्नई में छठ पूजा के आयोजन को समुद्र किनारे देखकर एक अलग तरह का आनद आया। हर इस त्यौहार को मानाने के लिए घर जाते थे लेकिन इस बार किन्ही कारणों से घर जाना नहीं हुआ लेकिन यहाँ के छठ पूजा में सम्मिलित होकर बड़ा आनद आया। सबसे ज्यादा ख़ुशी इस बात की हुई कि यहाँ बिहार एवं झारखण्ड के लोगों से मिलने का मौका मिला जो विभिन्न जगहों पर काम कर रहे है। हमें एक धागे में पिरोने के लिए मई बिहार चौपाल का काफी शुक्रगुजार हूँ।

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