किरन बेदी द्वारा मनोनित तीन सदस्यों को कोर्ट ने बताया संवैधानिक अधिकार
आईएनएन, नई दिल्ली; @infodeaofficial;
चेन्नई. केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल के पास इतने संवैधानिक अधिकार होते है कि स्वतंत्र रूप से कोई भी फैसला ले ले। उपराज्यपाल बिना मुख्यमंत्री और मत्रीपरीसद की सलाह के अपने फैसला ले सकती है। पुदुचेरी की उपराज्यपाल किरन बेदी द्वारा विधानसभा में मनोनित तीन सदस्यों के मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की प्रथम खंडपीठ ने यह फैसला सूनाया।
किरन बेदी के फैसले को बरकरार रखते हुए मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बेनर्जी और न्यायाधीश एम. सुंदर की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि देश में राष्ट्रपति सर्वोच्च पद होता है तो वैसे ही राज्यों में राज्यपाल सर्वोपरी।
बेंच ने के. लक्ष्मीनारायण और एस. धनलक्ष्मी द्वारा दायर याचिका को खारीज कर दिया और बेदी द्वारा मनोनित वी. सामिनाथन, के.जी. शंकर और एस. सेल्वागणपती की नियुक्ति को बरकरार रखा।
गौरतलब है कि स्वामीनाथन स्थानीय भाजपा के अध्यक्ष और शंकर कोषाध्यक्ष हैं। वहीं सेल्वागणपती आरएसएस के स्थानीय इाकई के सदस्य हैं। बेंच ने कहा कि यदि मंत्रीमंडल और राज्यपाल के बीच किसी प्रकार का मतभेद को सूलझाने के लिए राष्ट्रपति योग्य है। प्रदेश में मंत्रीपरिषद के पास कानून बनाने का हक है पर उसपर अमलीजामा पहनाने का हक केवल राज्यपाल के पास है।
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