संपत्ती के साथ-साथ उत्तरदाइत्व पर भी है उत्तराधिकारी का हक: मद्रास हाईकोर्ट

आईएनएन, लखनऊ; @infodeaofficial;  

चेन्नई. बेटा का अधिकार केवल पिता की संपत्ती पर नहीं बल्कि उनके उत्तरदाइत्वों पर भी होता है। सैदापेट के ए. रविचंद्रन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एस. वैद्यनाथन ने यह फैसला दिया। हमारे धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक ऋण न चुकाना भी एक पाप है और इसे नहीं चुकाने पर दूसरी दुनियां में जाकर भी आदमी चैन से नहीं रह पाता। इस संदर्भ में जज ने कहा कि भगवान राम को भी अपने पिता का वादा निभाने के लिए अपने दिवंगत कर्मचारी के परिवार को मुआवजा राजा दशरथ की निधन के बाद देना पड़ा था।

जज ने पौराणिक कथाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पिता के उत्तरदाइत्व का भुगतान बेटे को करना उसका अधिकार और जिम्मेदारी दोनों होती है। गौरतलब है कि वर्ष २००१ में सैदापेट स्थित याचि के घर के नाले की सफाई के दौरान कर्मचारी नरसिंहम की मौत हो गई थी। जिसका मुआवजा उसके परिवार को मिलना चाहिए था। इस मामले में पुझितिवाकम के जोनल ऑफिसर ने २१ अगस्त २०१७ को याचि रविचंद्रन को नरसिंहम के कानूनी वारिश आदिलक्ष्मी को १० लाख रुपए का मुआवजा देेने का आदेश जारी किया। इस आदेश के खिलाफ रविचंद्रन ने कोर्ट में याचिका लगाई। याचिक में उसने कहा कि मुआवजे की रकम उसके पतिा ने पहले ही मृतक के परिवार को दे दी है। करीब १५ साल के बाद अचानक से निगम की नींद खुली और उसने मुआवजा हमारे माथे पर ठोक दिया। इसलिए याचि ने इस आदेश को खारीज करने की मांग की। मामले पर सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि याचि और निगम यह दोनों की जिम्मेदारी है कि वह मृतक के अधीनस्थ को मुआवजा दे। जज ने निगम के आदेश में सुधार कर मुआवजे की राशी ७.५० लाख रुपए निर्धारित की जिसमें से ५ लाख रुपए याचि और २.५ लाख रुपए निगम को देने का आदेश दिया है।

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