आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकेया नायडू ने युवा विद्यार्थियों से कमजोर लोगों की सेवा करने को कहा है। उऩ्होंने कहा कि युवा पीढ़ी के लिए नागरिकों के दुख और संघर्ष के प्रति सहानुभूतिपूर्ण बनना बहुत आवश्यक है और कमजोर वर्गों की बेहतरी के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।
श्री नायडू आज नई दिल्ली में केरल के विद्यार्थियों के समूह से बातचीत कर रहे थे। यह विद्यार्थी केरल के मीडिया घराना ‘मातृभूमि’ के भ्रमण कार्यक्रम में दिल्ली आए हुए हैं। यह कार्यक्रम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह के संबंध में आयोजित किया गया है।
उपराष्ट्रपति ने सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन लाने में शिक्षा के महत्व पर बल दिया है। उन्होंने विद्यार्थियों से निरंतर रूप में सीखने और बदलती दुनिया की गति के साथ रखने के लिए उभरती टेक्नोलॉजी को अपनाने की आदत डालने को कहा।
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली के छुपे हुए खतरों के प्रति सचेत रहना चाहिए। इनमें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य सामग्री और शारीरिक रूप से कामकाज का बोझ शामिल है। उन्होंने विद्यार्थियों से नियमित शारीरिक अभ्यास की आदत विकसित करने को कहा विशेषकर योगाभ्यास की आदत और स्वस्थ रहने के लिए बाहरी गतिविधियों पर समय देने को कहा।
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और प्रकृति के अनुरूप रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति और संस्कृति एक साथ मानवता की बेहतरी के लिए काम करती हैं।
मजबूत, स्थिर, एकीकृत, समृद्ध और समावेशी भारत के अपने विज़न की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने देश के नागरिकों को गंभीरता और क्षमता के साथ कर्तव्य निभाने के लिए प्रोत्साहित किया।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए मातृभूमि की सराहना करते हुए श्री नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी ने हमें सत्य और अहिंसा का सर्वाधिक शक्तिशाली हथियार दिए। यह बड़ी से बड़ी बाधाओं को परास्त करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि सेवा और मानवतावाद के महात्मा गांधी के विज़न ने विश्व नेताओं की पीढियों को प्रेरित किया है।
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