इस सवाल पर जयकुमार कहते हैं कि एआईएडीएमके विधानसभा उपचुनाव को लेकर पूर्ण रूप से आश्वस्त है लेकिन तमिल और तमिलनाडु के हित के लिए जरूरी है कि पार्टी 40 सीटें तमिलनाडु और पुदुचेरी से जीतें, ताकि केंद्र सरकार पर अपनी मांगों और जरूरतों को लेकर दवाब बनाया जा सकें। तमिलनाडु की कई समस्याएं सालों से राज्य के विकास पर ग्रहण लगाकर बैठी हैं। ऐसे में यदि एआईएडीएमके केंद्र सरकार के गठन में मजबूत भूमिका निभाती है तो इन समस्याओं का स्थाई हल निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि सब समय और परिस्थिति की बात है। वर्ष 1998 में अम्मा एनडीए सरकार के साथ थी। अब हमारे साथ अम्मा नहीं है लेकिन उनके बताये सिद्धांत जरूर है, जिसका उद्देश्य केवल जनसेवा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भी जनसेवा और लोकसशक्तिकरण के प्रति वैसी ही भावना देखने को मिलती है, यही कारण है कि हम आगामी चुनाव के लिए एनडीए के साथ आए हैं।
यह चुनाव परिवारवाद बनाम लोकतंत्र का है
राज्य सरकार के मत्स्य पालन मंत्री व पार्टी के वरिष्ठ नेता डी. जयकुमार कहते हैं कि 2019 का चुनाव देश के साथ प्रदेश में भी परिवारवाद बनाम लोकतंत्र के बीच लड़ा जायेगा।
आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
राजनीति की धारा कभी सीधी नहीं चलती, यह आड़ी—तिरछी चलती है या यूं कहें कि शतरंज की बिसात पर दौड़ने वाले घोड़े की ढाईघर की चाल पर चलती है। तमिलनाडु की मुख्यत: द्विध्रुवीय राजनीति में इस बार सत्ताधारी एआईडीएमके केंद्र सरकार का नेतृत्वकर्ता भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होकर चुनाव मैदान में है। एआईएडीएमके के लिये यह पहला बड़ा चुनाव है, जब उसके पास अम्मा का जादुई नेतृत्व नहीं है और राज्य में सत्ताविरोधी लहर के बीच उसे डीएमके और कांग्रेस के गठबंधन से दो—दो हाथ करना है। हालांकि एआईएडीएमके का वर्तमान नेतृत्व अपनी सफलता को लेकर आश्वस्त है।
राज्य सरकार के मत्स्य पालन मंत्री व पार्टी के वरिष्ठ नेता डी. जयकुमार कहते हैं कि 2019 का चुनाव देश के साथ प्रदेश में भी परिवारवाद बनाम लोकतंत्र के बीच लड़ा जायेगा।
डीएमके और एआईएडीएमके दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर यह है कि डीएमके में परिवारवाद चलता है और एआईएडीएमके परिवारवाद मुक्त है। हम लोगों के लिए और लोकतंत्र के लिये काम करते हैं और डीएमके केवल एक परिवार के लिए।
जयकुमार का दावा है कि उनकी पार्टी के साथ एनडीए उपचुनाव भी जीतेगी और लोकसभा में भी तमिलनाडु व पुदुचेरी मिलाकर 40 सीटें जीतेगा।
हालांकि डीएमके राज्य सरकार पर निशाना साधते हुये लंबे समय से बाल की खाल निकालने की कोशिश कर रही है और अम्मा के निधन के बाद एआईएडीएमके में आयी दरार से लाभ लेने को आशान्वित है। लेकिन जयकुमार इससे साफ इनकार करते हुये कहते हैं कि हमने जो घोषणापत्र में लिखा है उसे कर के दिखाएंगे जबकी डीएमके ऐसा नहीं कर सकती। डीएमके केवल लोगों को छलावा देकर सत्ता हांसिल करना चाहती है और यह अब सम्भव नहीं है। डीएमके समाधान नहीं, बल्कि समस्याएं पैदा करती है। कच्चतीवु, नीट, कावेरी, मुल्लैपेरियार जैसी सभी समस्याएं डीएमके की देन है। ये सभी विवाद डीएमके के शासन में पैदा हुये। एआईडीएमके जब सत्ता में आयी तो इन समस्याओं के स्थायी समाधान का प्रयास किया।
जयललिता के निधन के बाद पार्टी में सत्ता शीर्ष के लिये संघर्ष शुरू हो गया और लंबे समय तक चला।
पहले शशिकला ने पार्टी और सरकार को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की और फिर जब उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में सजा हो गयी तो उनके भतीजे टीटीवी दिनकरण ने पार्टी पर न केवल दावा ठोंका, बल्कि पार्टी व सरकार को अस्थिर करने का पूरा प्रयास किया।
इस बीच कभी जयललिता द्वारा मुख्यमंत्री पद पर बिठाये गये ओ पनीरसेल्वम ने भी उनकी मौत के बाद मुख्यमंत्री न बनाये जाने पर एक तरह से बगावती तेवर अख्तियार कर लिये थे।
हालांकि बाद में वर्तमान मुख्यमंत्री पलनीसामी और पनीरसेल्वम गुट में समझौता हुआ और दोनों फिर से पार्टी को एक साथ आगे बढ़ाने में लग गये।
लेकिन विपक्ष पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच चल रहे अघोषित युद्ध को अपने फायदे में देख रहा था पर जयकुमार कहते हैं कि डीएमके जनविरोधी वाली पार्टी है और एआईएडीएमके का गठन ही इसकी जनविरोधी नीतियों से लड़ने के लिये हुयी थी।
वो कहते हैं कि पार्टी ने पहले एमजीआर और फिर अम्मा के जाने के बाद बहुत कठिन दौर देखा।
लेकिन समय ने बहुत कुछ सिखाया और विकट परिस्थितियों से उबरने का रास्ता भी दिखाया। एमजीआर की मौत के बाद पार्टी में जो हुआ उससे काफी कुछ सीखने को मिला है। तब भी पार्टी में दो फाड़ हुए थे लेकिन बाद में पार्टी फिर से एक हो गई और आज पार्टी फिर से सत्ता में रहकर लोगों की भलाई के लिए काम कर रही है। अम्मा की मौत के बाद जो हुआ वो हमने सोचा नहीं था एसा होगा लेकिन पुराने अनुभव से सीख लेते हुए हमने समय रहते समस्या को हल कर लिया। एमजीआर और अम्मा हमसब के लिए गुरु थे और उन्हीें के पदचिहृनों पर चलकर पार्टी हर परिस्थिति का सामना कर आगे बढ़ती जा रही है।
मालूम हो कि इससे पहले भी अटल बिहारी बाजपेयी के समय एआईएडीएमके राजग में शामिल रही है, लेकिन अम्मा ने कभी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया। स्थानीय राजनीति की आवश्यकता और राज्य में हिंदी क्षेत्र की पार्टी विरोधी माहौल के चलते वह अकेले चुनाव लड़ीं और जीतने के बाद भाजपा नीत राजग को समर्थन किया। पर इस बार सीधे भाजपानीत राजग में शामिल होकर चुनाव लड़ने का परिणाम क्या होगा?
डीएमके और कांग्रेस का गठबंधन क्या रंग लायेगा, इस पर भी जयकुमार ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई तमिलों के हित के लिए जितना पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता जयराम ने किया है और वर्तमान एआईएडीएमके सरकार कर रही है उतना अबतक किसी ने नहीं किया है। श्रीलंकाई तमिलों पर सबसे अधिक अत्याचार तब हुआ, जब केंद्र में कांग्रेस और राज्य में डीएमके सरकार थी। डीएमके श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे को लेकर केवल घड़ियाली आंसू बहाती है, लेकिन श्रीलंकन तमिलों की बेहतरी के लिए सत्ता में रहते न तो कांग्रेस ने काम किया और न ही डीएमके ने। अम्मा ने ही इस विषय को अंतराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने का प्रस्ताव दिया था और श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे समेत अन्य को युद्ध अपराधी घोषित करने की मांग की थी। एआईएडीएमके सरकार अब भी यही चाहती है कि श्रीलंकाई तमिलों को उनके घर वापस भेजा जाए, पर इस पर हम जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहते हैं।
लोकसभा चुनाव में राजग के साथ चुनाव लड़ने पर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी एआईडीएमके का राजग के साथ चुनाव लड़ने के भी कयास लगाये जा रहे हैं। लेकिन जयकुमार कहते हैं कि अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अभी हमारे सामने एक ही लक्ष्य है कि हम विधानसभा उपचुनाव और लोकसभा चुनाव जीतें। रही बात विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन अथवा राजग के साथ मिलकर लड़ने की तो इस संबंध में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही निर्णय लेगा।
मछुआरों की समस्याओं के समाधान में उनके विभाग की भूमिका और केंद्र सरकार के सहयोग पर जयकुमार ने कहा कि अगली बार जब नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे तो अनिवार्य रूप से केंद्र सरकार अपने मंत्रालयों में एक मंत्रालय मत्सय मंत्रालय भी रखेगी। यही नहीं मछुआरों की समस्या को लेकर आए दिन राज्य और केंद्र सरकार को परेशानी झेलनी पड़ती है, इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर मछुआरों के लिए विशेष बोट देने की योजना कर रही है ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा को पार करने और इससे मछुआरों को होने वाली समस्याओं का स्थायी समाधान किया जा सके।
इस योजना के अंतर्गत पहले पाक बे रेंज नागपट्टिनम, तंजावुर और पुदुकोट्टै के मछुआरों को 2000 बोट दिए जाएंगे। इस बोट की कीमत 75 हजार से एक करोड़ रुपए है। इसमें 50 प्रतिशत योगदान केंद्र सरकार, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत मछुआरों को देना होगा और बांकी बैक की ओर से लोन मिलेगा।
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